
बिहार। में भ्रष्टाचार के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अब अपराध की उसी भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया है। इस साल का जून महीना अब तक के सबसे अधिक ट्रैप ऑपरेशनों के लिए रिकॉर्ड बन गया है। सिर्फ जून में ही 14 सरकारी कर्मियों को घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा गया, जो दर्शाता है कि अब घूसखोरी बर्दाश्त के दायरे से बाहर हो चुकी है। इस साल अब तक कुल 36 ट्रैप कांड दर्ज हुए हैं, जिनमें 41 आरोपी ऑन स्पॉट गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें सबसे ज़्यादा मामले राजस्व विभाग और पुलिस महकमे से जुड़े हैं।
विजिलेंस डीजी जीएस गंगवार के अनुसार, निगरानी की टीमें अब हर दिन ऑपरेशन पर निकल रही हैं। आम जनता की शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है, और हर शिकायतकर्ता को व्यक्तिगत रूप से बुलाकर उसकी बात को समझा जाता है। इसके बाद पूरी प्रक्रिया गोपनीय तरीके से सत्यापित की जाती है। विजिलेंस थाना अब 24 घंटे सक्रिय रहता है, और छुट्टियों में भी ऑपरेशन जारी रहते हैं।
राजस्व कर्मी और पुलिस सब-इंस्पेक्टर अब तक के सबसे बड़े घूसखोर साबित हुए हैं। 25 जून को पटना जिले के खुसरूपुर की सीडीपीओ मात्र 3400 रुपए घूस लेते हुए पकड़ी गईं — यह साल की सबसे छोटी लेकिन प्रतीकात्मक गिरफ्तारी थी।
आंकड़ों की नजर से समझिए कार्रवाई की रफ्तार:
जनवरी से जून 2025 तक: 36 ट्रैप, 41 गिरफ्तार
केवल जून: 14 गिरफ्तारी, ₹15,02,000 की घूस बरामद
पिछले साल 2024 में पूरे साल में केवल 12 गिरफ्तारियां हुई थीं, जबकि इस बार छह महीने में ही तीन गुना से अधिक।पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि 2022 सबसे अधिक भ्रष्टाचार पकड़ने का साल रहा, लेकिन 2025 अब रफ्तार में उससे आगे निकलता दिख रहा है।
इतना ही नहीं, इस साल आय से अधिक संपत्ति के 12 मामलों में दोषियों को सजा भी दिलाई गई है। इससे स्पष्ट है कि अब केवल पकड़ने तक ही कार्रवाई सीमित नहीं, बल्कि मुकदमा और सजा तक के लिए निगरानी ब्यूरो गंभीर है।
बहरहाल बिहार में अब घूसखोरी के खिलाफ ‘ऑपरेशन क्लीन’ अपने तेज दौर में है। भ्रष्टाचार की भाषा में अब जवाब उसी अंदाज़ में मिल रहा है पकड़, सज़ा और बदनामी।
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