देहरादून। प्रदेश सरकार ने बाबा का भेष बनाकर लोगों को ठगने और सनातन संस्कृति को बदनाम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए ऑपरेशन कालनेमि शुरु किया है। इस ऑपरेशन के तहत राज्य में अब तक कुल 2448 लोगों की पहचान की गई है। इसमें 377 संदिग्धों की पहचान की गई है। इसके अलावा पहचान छिपा कर लोगों को ठगने पर 222 अभियुक्तों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है, जबकि 140 लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं। इस अभियान के तहत संवेदनशील इलाकों में पहचान पत्र, निवास प्रमाण और दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड की पहचान बनाए रखना सरकार का मूल मंत्र है। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से संबंधित व्यक्ति यदि धार्मिक भेष का दुरुपयोग कर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करता है, तो उस पर कानून के तहत कठोरतम कार्रवाई होगी। उत्तराखंड सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा और सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ऑपरेशन कालनेमि न केवल उत्तराखंड में आस्था के नाम पर चल रहे पाखंड पर प्रहार है, बल्कि यह संदेश भी है कि देवभूमि में अब धर्म का अपमान नहीं सहा जाएगा।
दूसरी तरफ धर्मांतरण की घटनाओं पर भी लगाम लगाई जा रही है। प्रदेश में लालच, भय या धोखे से धर्मांतरण करने की कोशिशें करने वालों को पकड़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री के मुताबिक पहले प्रदेश में लालच, भय या धोखे से धर्मांतरण की घटनाएं प्रकाश में आती रहती थी, लेकिन सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड की धार्मिक स्वतंत्रता की मर्यादा को किसी भी कीमत पर लांघने नहीं दिया जाएगा।
वर्ष 2022 में पारित उत्तराखंड धर्म‑स्वतंत्रता अधिनियम, 2022 के तहत जबरन धर्मांतरण को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध घोषित किया गया। दोषियों को 2 से 10 वर्ष की सजा और 25,000 से 10 लाख तक जुर्माना का प्रावधान किया गया है। हाल ही में छांगुर बाबा गिरोह के पांच सदस्यों के खिलाफ दर्ज मुकदमा भी इसी संकल्प का परिचायक है।
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