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आत्मनिर्भरता और स्वबल से ही भारत की प्रगति संभव : मोहन भागवत

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नागपुर। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगाए जा रहे टैरिफ से विश्व के कई देशों में असंतोष व्याप्त है। कुछ पश्चिमी देशों की यह अपेक्षा है कि भारत ट्रंप की रणनीति के आगे झुक जाएं। हालांकि भारत सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाया है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रा.स्व.संघ) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने नागपुर में एक संकेतात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत की प्रगति केवल आत्मनिर्भरता और स्वबल के माध्यम से ही संभव है।

भागवत शुक्रवार को कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के अंतर्गत डॉ. हेडगेवार अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, "देश और समय की परिस्थितियां हमें संकेत दे रही हैं कि अब भारत को आत्मनिर्भर बनना ही होगा। केवल अपने बलबूते पर ही भारत वास्तविक प्रगति कर सकता है। हमारी अस्मिता ही हमारी शक्ति और समृद्धि का आधार है। जहाँ स्वत्व होता है, वहीं शक्ति, ओज और लक्ष्मी का वास होता है। जब हम अपने स्वत्व को भूल जाते हैं, तब गिरावट शुरू होती है।

भारत का पतन भी इसी विस्मरण के कारण हुआ। उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। ईसा की पहली सदी से सोलहवीं सदी तक भारत विश्व में अग्रणी था, क्योंकि वह अपने स्वत्व पर अडिग था। जब भारतीयों ने अपने स्वत्व को भूलना शुरू किया, तब वह विदेशी आक्रमणों का शिकार बनने लगा। अंग्रेजों ने तो भारतीयों की बुद्धि को भी गुलाम बनाने की रणनीति अपनाई। यदि भारत को आत्मनिर्भर बनना है तो पहले उसे अपने स्वत्व की पहचान करनी होगी।

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