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आखिर जयपुर में क्यों तीन दिनों से हड़ताल पर बैठे कैब ड्राईवर ? चालकों ने बताई विरोध प्रदर्शन की वजह

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जयपुर में कैब चालकों की हड़ताल आज (6 जून) तीसरे दिन भी जारी है। बुधवार को बड़ी संख्या में कैब चालक शहीद स्मारक पर एकत्रित हुए और विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले उन्होंने उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं। उन्होंने दोहराया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी। इस विरोध प्रदर्शन के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें दो से तीन गुना किराया देकर सफर करना पड़ रहा है। निजी कैब चालक लोगों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं।

किस्त पर चला रहे हैं गाड़ी
कैब चालक सत्यनारायण जोगी ने बताया कि हमें पिकअप के कोई पैसे नहीं मिलते। पिकअप के लिए हमें चार-पांच किलोमीटर जाना पड़ता है और अगर हम सवारी नहीं लेते हैं तो हमारी रेटिंग कम हो जाती है। हमें प्रति किलोमीटर सात से आठ रुपए मिलते हैं। यह बहुत कम है। हमारी गाड़ी की किस्त चल रही है। परिवार के खर्चे हैं, लेकिन कैब चलाने से यह खर्च पूरा नहीं हो रहा। ग्राहक की सामान्य शिकायत पर हमारी आईडी ब्लॉक कर दी जाती है। हमारी सुनवाई नहीं होती। अगर उनका ऑफिस यहां हो तो हम शिकायत कर सकेंगे। प्रदर्शन में शामिल रामराज गुर्जर कहते हैं, "हम कंपनी के रवैये से बहुत परेशान हैं। कई बार जब कोई ग्राहक ऑनलाइन पेमेंट करता है तो वह हमारे वॉलेट में अपडेट नहीं होता और सवारी को भी प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाता है।

कैब ड्राइवरों की मुख्य समस्याएं

सवारी न करने पर कैब ड्राइवरों की रेटिंग कम कर दी जाती है। कैब ड्राइवरों का कहना है कि उन्हें 7-8 रुपए प्रति किलोमीटर मिलते हैं, जो बहुत कम है। ग्राहक की छोटी सी शिकायत पर कैब ड्राइवरों की आईडी ब्लॉक कर दी जाती है। ऑनलाइन पेमेंट वॉलेट में अपडेट नहीं होता और सवारी को भी हटा दिया जाता है। हम कमर्शियल वाहन चलाते हैं, हमें 9 पेपर बनाने होते हैं, जबकि निजी वाहनों को केवल तीन पेपर बनाने होते हैं। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो परिवहन विभाग हम पर अपनी मनमानी करता है और अगर हम सारे पेपर बना भी लें तो भी हमारी कमाई नहीं हो पाती। हम 14-15 साल से टैक्सी चला रहे हैं। हमें कोई और काम नहीं आता। इसलिए हम अपमान सहते हुए भी यह काम कर रहे हैं।

2 साल बाद भी गिग वर्कर्स के लिए नियम नहीं बने
राजस्थान पहला राज्य है जिसने गिग वर्कर्स के लिए कानून तो बना दिया, लेकिन करीब दो साल बाद भी कानून के नियम नहीं बन पाए हैं। इसलिए इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। गिग वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष सिंह ने बताया कि गिग वर्कर्स के लिए सबसे पहले राजस्थान में कानून बना था, वह शिकायत निवारण का प्लेटफॉर्म था। सामाजिक सुरक्षा के लिए व्यवस्था की गई थी, वह कानून सबसे अच्छा उपाय था, लेकिन सरकार उस पर अमल नहीं कर रही है। अगर उस पर अमल हो जाए तो उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

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