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सीकर में मास्टर प्लान से डरे जमीन मालिकों को मिली राहत! सरकार ने जारी की नयी गाइडलाइन, यहां पढ़े पूरी रिपोर्ट

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नगरीय विकास विभाग ने सीकर नगर परिषद व अन्य की नगरीय सीमा तो बढ़ा दी है, लेकिन मास्टर प्लान में ऐसे क्षेत्रों के भू-उपयोग को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। यदि विभाग नगर परिषद की सीमा को शहरीकरण क्षेत्र में शामिल कर दे तो लोगों को काफी राहत मिल सकती है। ऐसे क्षेत्रों के लोग मास्टर प्लान के प्रारूप प्रकाशन पर आपत्ति भी दर्ज कराएंगे। नगरीय सीमा के अधिकार क्षेत्र में शामिल राजस्व गांवों के अंतर्गत आने वाली भूमि के मामलों में भूमि रूपान्तरण की सक्षमता को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। लेकिन अब विभाग ने इनके सक्षम अधिकार क्षेत्र को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर दी है। 

इससे क्षेत्र के लोगों को भी राहत मिलेगी। ऐसे समझें पूरी गाइडलाइन... यदि अधिसूचित क्षेत्र में मास्टर प्लान प्रभावी नहीं है तो उस भूमि पर नवगठित प्राधिकरण व नगर विकास न्यास द्वारा 90ए की कार्रवाई की जाएगी। सीकर के मास्टर प्लान में अधिसूचित शहरीकरण क्षेत्र (शहरीकरण योग्य सीमा) में नगर परिषद सीकर द्वारा धारा 90-ए के तहत भूमि रूपान्तरण की प्रक्रिया की जा सकेगी। परिधि नियंत्रण पट्टी में सम्मिलित राजस्व ग्रामों का भूमि रूपान्तरण नगर विकास न्यास द्वारा किया जाएगा।

ऐसे प्रकरण जिनमें अधिसूचना जारी होने से पूर्व जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार को आवेदन प्रस्तुत किया जा चुका है तथा आंशिक या पूर्ण राशि जमा करवाई जा चुकी है। ऐसे प्रकरणों में राजस्थान भू-राजस्व (ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का गैर कृषि प्रयोजनों हेतु रूपान्तरण) नियम 2007 के अन्तर्गत जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी एवं तहसीलदार स्तर पर कार्यवाही की जाएगी।

ऐसे प्रकरण जिनमें अधिसूचना जारी होने से पूर्व जिला कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार को आवेदन प्रस्तुत किया जा चुका है किन्तु राशि जमा नहीं करवाई गई है, ऐसे प्रकरणों में यूआईटी द्वारा कार्यवाही की जाएगी। ऐसे प्रकरण जिनमें परिधि नियंत्रण पट्टी में सम्मिलित ग्रामों में कृषि भूमि के रूपान्तरण, आवंटन एवं नियमन से सम्बन्धित प्रकरणों में स्थानीय निकाय द्वारा प्रीमियम राशि जमा करवाकर 90-ए के अन्तर्गत कार्यवाही की जा चुकी है। ले-आउट प्लान स्वीकृत हो चुका है। ऐसे प्रकरणों में भूमि रूपान्तरण सम्बन्धित स्थानीय निकाय द्वारा किया जाएगा।नगरीय क्षेत्र में स्थित परिधि नियंत्रण क्षेत्र के ऐसे मामले जो संबंधित स्थानीय निकाय को आवेदन किये गये हैं किन्तु संबंधित निकाय द्वारा आपत्तियां प्रकाशित नहीं की गयी हैं तथा इन पर आगे की कार्यवाही नहीं की गयी है।

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