अब विद्यार्थी किताबों में जोधपुर के खेजड़ली गांव में 1730 में खेजड़ली वृक्ष को बचाने की घटना, वृक्षों की रक्षा के लिए माता अमृतादेवी बिश्नोई के बलिदान और 363 शहीदों की कहानी पढ़ सकेंगे। देशभर के साथ प्रदेश के स्कूलों में पहुंची एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की कक्षा 3, 4 और 5 की किताबों में खेजड़ली बलिदान की कहानी को शामिल किया गया है। तीनों कक्षाओं की किताब में एक-एक अध्याय में इसे जगह मिली है।
स्कूली पाठ्यक्रम में खेजड़ली पर अध्याय
-1730 में हुए खेजड़ली नरसंहार के बारे में जानकारी देना।
-रेगिस्तान में खेजड़ली वृक्ष का महत्व बताना।
-पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा की प्रेरणा देना।
-सामाजिक न्याय के लिए लड़ना सिखाना।
कक्षा-3, विषय- पर्यावरण अध्ययन
पुस्तक- हमारा पर्यावरण भाग-1
अध्याय-15, खेजड़ली का बलिदान: वृक्षों के सच्चे रक्षक
कक्षा-4, विषय- हिंदी
पुस्तक- हिंदी सुमन भाग-2
अध्याय-13, राजस्थान की धरती
कक्षा-5, विषय- हिंदी
पुस्तक- हिंदी सुमन
अध्याय-16, उत्सर्ग
माता अमृता देवी बिश्नोई के बलिदान, वृक्षों की सुरक्षा और पर्यावरण पर तीन अध्याय एनसीईआरटी की तीन पाठ्यपुस्तकों में छपे हैं। केंद्र और राज्य सरकारों ने बिश्नोई समुदाय की मांग को पूरा कर दिया है।
You may also like
Amarnath Yatra : 24000 श्रद्धालुओं ने किए बाबा अमरनाथ के दर्शन, कुल तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़कर 93341 हुई
क्या यही प्यार है... युवक युवती ने एक दूजे का हाथ पकड़ा और फिर उठा लिया चौंकाने वाला कदम
उद्धव ठाकरे ने निशिकांत दुबे पर किया कटाक्ष, बोले- ऐसे 'लकड़बग्घे' सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश कर रहे
क्या हैं 'आंखों की गुस्ताखियां' के गाने जो दिल को छू लेते हैं? जानें फिल्म की राइटर मानसी बागला की राय!
क्या है खुशी भारद्वाज का अनुभव 'क्रिमिनल जस्टिस' में पंकज त्रिपाठी के साथ?