राजस्थान सरकार ने फार्मासिस्टों के रजिस्ट्रेशन व अन्य फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है, जिससे प्रदेश भर के फार्मासिस्टों में रोष व्याप्त है। राजस्थान फार्मेसी काउंसिल के तहत लागू की गई नई अधिसूचना में विभिन्न श्रेणियों की फीस में 2 से 10 गुना तक की बढ़ोतरी की गई है। अधिसूचना के अनुसार प्रथम पंजीकरण शुल्क 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया है।
प्रत्येक अतिरिक्त योग्यता के पंजीकरण का शुल्क 100 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है। नाम हटवाने के बाद दोबारा पंजीकरण का शुल्क 50 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये, गुड स्टैंडिंग सर्टिफिकेट का शुल्क 100 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया है। वार्षिक नवीनीकरण शुल्क 250 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया गया है, जबकि बहाली शुल्क 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया है। प्रमाण पत्र की दूसरी प्रति का शुल्क भी 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया है। सबसे विवादास्पद वृद्धि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की है, जो पहले निशुल्क थी और अब 5000 रुपये निर्धारित की गई है।
फार्मासिस्ट और उनके संगठनों ने विरोध शुरू किया
फार्मासिस्ट और उनके संगठनों ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। फार्मा यूथ वेलफेयर संस्थान के प्रवीण सेन ने कहा कि फीस में इतनी बड़ी वृद्धि पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे परिषद की आय कई गुना बढ़ जाएगी, लेकिन हजारों फार्मासिस्टों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। संगठनों ने सरकार से इस अधिसूचना को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
क्या कहना है फार्मासिस्ट संगठनों का
फार्मासिस्ट संगठनों का कहना है कि फार्मेसी सेक्टर पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में इतनी अधिक फीस वृद्धि से छोटे शहरों और गांवों में काम करने वाले फार्मासिस्टों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है।