राजस्थान के झालावाड़ जिले में 8 सितंबर 2025 से बड़ा किसान आंदोलन शुरू होने जा रहा है। भारतीय किसान संघ के बैनर तले यह आंदोलन किया जाएगा, जिसमें करीब 50 हजार किसान शामिल होकर मिनी सचिवालय पर अनिश्चितकालीन महापड़ाव डालेंगे। किसानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की मुख्य मांग है कि उनकी फसलों के लिए लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य (C2 + 50%) तय किया जाए। किसान नेताओं का कहना है कि वर्तमान में किसानों को उनकी मेहनत और लागत का उचित दाम नहीं मिल रहा है, जिससे खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है।
भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले कई महीनों से सरकार को ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। मजबूर होकर किसानों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है। आंदोलन का उद्देश्य सरकार का ध्यान आकर्षित करना और किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान निकालना है।
आंदोलन की तैयारियों को लेकर संगठन की कई बैठकों का आयोजन किया गया। इनमें निर्णय लिया गया कि जिले और आसपास के इलाकों से हजारों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली और बैलगाड़ियों के साथ झालावाड़ पहुंचेंगे। आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण होगा, लेकिन इसमें अनिश्चितकालीन पड़ाव होगा, यानी समाधान मिलने तक किसान धरने पर डटे रहेंगे।
किसान नेताओं ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का वर्तमान ढांचा किसानों की जरूरतों को पूरा करने में असफल साबित हो रहा है। कई बार समर्थन मूल्य घोषित तो कर दिया जाता है, लेकिन मंडियों में उसकी वास्तविक खरीद नहीं होती। ऐसे में छोटे और मध्यम किसान औने-पौने दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हो जाते हैं।
ग्रामीण अंचल में आंदोलन की खबर तेजी से फैल रही है। गांव-गांव में किसान बैठकें आयोजित कर रहे हैं और 8 सितंबर को झालावाड़ पहुंचने की अपील कर रहे हैं। महिलाएं और युवा भी इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे। किसानों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार ने गंभीरता से विचार नहीं किया, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है। संगठन का कहना है कि किसान आज भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें ही उनकी मेहनत का न्यायोचित मूल्य नहीं मिल रहा।
प्रशासन ने आंदोलन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है, ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े। कुल मिलाकर, झालावाड़ में शुरू होने जा रहा यह आंदोलन राजस्थान की राजनीति और किसान आंदोलन की दिशा तय करने में अहम साबित हो सकता है। अब निगाहें सरकार की ओर हैं कि वह इस बड़े आंदोलन से पहले किसानों को कोई ठोस आश्वासन देती है या नहीं।
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