जयपुर शहर में बिजली आपूर्ति के दावों की हकीकत सिविल लाइंस, गांधी नगर और सी-स्कीम की गलियों में देखने पर ही समझ में आती है। यहां रहने वाले मंत्रियों और अफसरों के बंगलों को तीन-तीन फीडर से बिजली मिलती है। एक बंद होने पर दूसरा तुरंत चालू हो जाता है। लेकिन शहर में लाखों उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके पास बिजली कब आएगी और कब जाएगी, इसका कोई शेड्यूल नहीं है। वीआईपी इलाकों की विशेष सुरक्षा के बीच शहर के बाकी हिस्सों के लिए बिजली 'कभी-कभी सेवा' बन गई है।
तीन तरफ से बिजली, मिनटों में सप्लाई चालू
सिविल लाइंस और गांधी नगर में मंत्री, सचिव और वरिष्ठ अफसर रहते हैं। इन इलाकों में कभी बिजली की कमी नहीं होती, क्योंकि यहां एक साथ तीन फीडर से कनेक्शन है। जैसे ही एक फीडर ट्रिप होता है, दूसरा तुरंत सप्लाई संभाल लेता है। सी-स्कीम में दो फीडर से सप्लाई हो रही है। सिविल लाइंस: चंबल, लालकोठी और ईएसआई पावर हाउस से
गांधी नगर: जनता स्टोर, पुलिस मुख्यालय और गौतम नगर फीडर से
सी-स्कीम: रेजीडेंसी और लालकोठी पावर हाउस से
शहर के बाकी हिस्से में रोजाना बिजली कटौती की सजा
वीआईपी इलाकों की इस 'बिजली सुरक्षा' के विपरीत, शहर के अन्य इलाकों में स्थिति गंभीर है। सांगानेर, प्रतापनगर, भांकरोटा, बिंदायका, जोतवाड़ा, मुरलीपुरा और आगरा रोड जैसे इलाकों में रोजाना एक से दो घंटे बिजली कटौती होती है। आमेर और दिल्ली रोड जैसे बाहरी इलाकों में अगर रात को बिजली चली जाए तो सुबह तक इंतजार करना पड़ता है।
लोड मैनेजमेंट फेल, रोजाना 5 हजार से ज्यादा शिकायतें
जयपुर डिस्कॉम के अधिकारियों ने दावा किया था कि शहर में 8 से 160 एमवीए के बिजली ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं और पीक ऑवर्स के लिए लोड मैनेजमेंट सिस्टम तैयार है, लेकिन मई-जून की भीषण गर्मी में यह सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया। औसतन रोजाना 5 हजार से ज्यादा बिजली कटौती की शिकायतें दर्ज की गईं।
5 हजार का ध्यान, लाखों की परेशानी
तीन फीडरों से जहां सिर्फ 5 हजार वीआईपी उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति मिल रही है, वहीं शहर के बाकी हिस्सों में लाखों उपभोक्ता लोड शेडिंग और ट्रिपिंग से जूझ रहे हैं। इन इलाकों में जब बिजली जाती है तो डिस्कॉम इंजीनियर अक्सर 'लोड बढ़ गया है' कहकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।
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