कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा जेडीबी गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में एग्रीकल्चरल फोरम फॉर टेक्निकल एजुकेशन ऑफ फार्मिंग सोसाइटी की ओर से तीन दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। इसमें ग्लोबल चैलेंज एंड इनोवेशन इंटीग्रेटिव अप्रोच फॉर एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी विषय पर 700 से अधिक रिसर्च पेपर शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वर्धमान महावीर खुला विवि के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी प्रोफेसर रहे। सोडाणी ने कहा कि पर्यावरण की जागरूकता में महिलाओं का बहुत योगदान है।
प्राचीनकाल से ही महिलाएं तुलसी और पीपल की पूजा करती हैं। उन्होंने जनसंख्या विस्फोट पर कहा कि संपन्न देश कार्बन फुटप्रिंट को बढ़ा रहे हैं। वे सामान्य देश की तुलना में 30 गुना अधिक वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। उन्होंने पब्लिक ट्रांसपोर्ट और वॉटर कंजर्वेशन विषय पर भी विचार व्यक्त किए। सत्र की अध्यक्षता प्रिंसिपल डॉ. अजेय विक्रम सिंह चंदेल ने की। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोगात्मक दृष्टिकोण से इस प्रकृति को सुंदर बना सकते हैं। कॉलेज शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. गीताराम शर्मा ने कहा कि हमारा अस्तित्व तभी है जब हम पर्यावरण को सुरक्षित रखें। संयोजक डॉ. विजय देवड़ा ने कहा कि कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य ज्ञान को साझा करना है। कॉन्फ्रेंस के डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र मेहता ने भी विचार रखे। औषधियों का उपयाग पर पेंटेंट नहीं करवाते : पहले तकनीकी सत्र में की-नोट स्पीकर प्रो. एन के दुबे ने एथनो मेडिसिनल डाइवर्सिटी पर कहा कि विश्व की 80 प्रतिशत आबादी विभिन्न रोगों के लिए हर्बल मेडिसिन ले रही है।
प्राचीन काल से ही भारत में विभिन्न तरह की औषधियों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन, पेटेंट हम नहीं करवा पाते हैं। उन्होंने तुलसी, हल्दी, सेलिक्स एल्बा,चिया सीड, मिलेट्स आदि के औषधीय गुणों पर चर्चा की। मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के प्रो. महीप भटनागर ने रेस्टोरेशन ऑफ़ इकोसिस्टम इंटीग्रेटिव अप्रोच टू सस्टेन विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया। दो अलग तकनीक सत्रों में कुल 40 शोध पत्र पढ़े गए।
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