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पाकिस्तान के अस्पताल महिला डॉक्टरों और नर्सों के लिए कितने सुरक्षित?

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Getty Images पाकिस्तान में ज़्यादातर महिला डॉक्टर और नर्स ख़ुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं

(इस रिपोर्ट में दी गई कुछ जानकारी पाठकों को विचलित कर सकती है.)

वह 27 नवंबर 1973 की रात थी. अरुणा शानबाग उस समय किंग एडवर्ड मेडिकल कॉलेज,बॉम्बे में बतौर नर्स अपनी सेवाएं दे रही थीं, जब उनपर हमला हुआ.

उनपर हमला करने वाला सोहनलाल भरता नाम का शख़्स उसी अस्पताल में काम करने वाला वार्ड अटेंडेंट था.

उस रात अरुणा का बलात्कार किया गया और फिर उनकी हत्या करने की कोशिश की गई. हत्या की इस कोशिश के दौरान अरुणा के दिमाग़ को ऑक्सीजन मिलना बंद हो गया.

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इस हमले में उनकी जान तो बच गई, मगर उस समय 26 साल की अरुणा अगले चार दशकों तक उसी अस्पताल में कोमा में पड़ी रहीं.

बाद में हमलावर सोहनलाल भरता को ‘हत्या के प्रयास और डकैती’ के आरोप साबित होने पर सात साल की क़ैद की सज़ा हुई लेकिन रेप के आरोप को चार्जशीट से हटा दिया गया.

उस समय के अख़बारों के अनुसार जेल से रिहाई के बाद सोहनलाल को उसी शहर के एक सरकारी अस्पताल में दोबारा नौकरी भी मिल गई.

दूसरी तरफ़ इस भयावह घटना के 42 साल बाद 2015 में कोमा की हालत में उसी अस्पताल में अरुणा की मौत भी हो गई.

यह भारत में मेडिकल स्टाफ़ की किसी नर्स के साथ रेप की ऐसी पहली घटना थी जो मीडिया में बड़े पैमाने पर कवर की गई.

हाल ही में कोलकाता में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद पाकिस्तान में भी यह बहस छिड़ गई है कि यहां मेडिकल स्टाफ़ को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

पाकिस्तान में क्या हाल है? image BBC पाकिस्तान में जूनियर नर्सों का कहना है कि उनकी शिकायतों को नजरअंदाज़ किया जाता है

बीबीसी उर्दू ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान के कई डॉक्टरों और नर्सों से बात की है.

इन महिला डॉक्टरों और नर्सों का कहना है कि पाकिस्तान में महिला चिकित्साकर्मियों की एक बड़ी संख्या को मरीज़ों, उनके तीमारदारों और रिश्तेदारों की ओर से शारीरिक और मौखिक हिंसा का सामना करना पड़ता है.

उनका कहना है कि ज़्यादातर सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा की व्यवस्था बेहद ख़राब है और किसी की जवाबदेही तय नहीं की जाती है.

लेकिन इन महिला चिकित्साकर्मियों का दावा है कि जो बात उनके लिए सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली है, वह है- अस्पताल में ही मौजूद सहयोगियों की ओर से की जाने वाली यौन हिंसा और दुर्व्यवहार.

इस मामले में बीबीसी की पड़ताल में डरावने रुझान सामने आए हैं. अस्पतालों में प्रताड़ना की घटना पर चुप्पी, शर्म और डर की ऐसी संस्कृति है, जिसकी वजह से ऐसे मामले बेरोकटोक जारी हैं.

एक दर्जन से अधिक डॉक्टरों और नर्सों ने बीबीसी के साथ अपने अनुभव साझा किए हैं जिनमें उन्होंने उन हमलों और दुर्व्यवहारों का ज़िक्र किया है जिनका उन्हें या उनकी साथी महिलाकर्मियों को सामना करना पड़ा है, ख़ास कर सरकारी अस्पतालों में.

ज़्यादातर महिलाओं ने नाम न बताने की शर्त पर बीबीसी से बात की है, क्योंकि उन्हें अपने घरवालों की की डांट, नौकरी से हाथ धोने और ‘इज़्ज़त’ गंवा देने का डर था.

'सबसे ज़्यादा ख़तरा ऑपरेशन थिएटर में होता है' image BBC नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर पाकिस्तान की कई महिला डॉक्टरों और नर्स ने बीबीसी से यौन उत्पीड़न की घटनाएं साझा कीं हैं

कराची के एक निजी अस्पताल से एक महिला, सिविल सर्विसेज़ अस्पताल की एमएलओ के दफ़्तर पहुंचीं. यहीं सिंध का पहला एंटी रेप सेंटर भी बना हुआ है.

उन्होंने रिपोर्ट लिखवाई और आरोप लगाया कि दस दिन पहले शहर के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान एक सर्जन ने उनका रेप किया है.

शिकायत करने वाली महिला का मेडिकल चेकअप किया गया और रिपोर्ट तैयार की गई, मगर बाद में महिला ने किसी वजह से यह फ़ैसला किया कि वह इस बात को आगे नहीं बढ़ाएंगी.

बीबीसी से बात करते हुए एक नर्स कहती हैं कि नर्सों के लिए सबसे ज़्यादा ख़तरनाक जगह ऑपरेशन थिएटर होता है.

वह बताती हैं कि ऑपरेशन थिएटर में जूनियर नर्सों के साथ सभी सीनियर डॉक्टर और ट्रेनी डॉक्टर मौजूद होते हैं. यहां नर्सों, विशेष तौर पर युवा और ट्रेनी नर्सों का काम डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान अलग-अलग डिवाइस देना और उनकी मदद करना होता है.

वो कहती हैं, "हम बहुत सावधान रहते हैं कि कहीं कुछ ग़लत न हो जाए और दबाव भी बहुत ज़्यादा होता है. ऐसे में आपके इर्द-गिर्द मौजूद डॉक्टरों में से कोई जब ग़लत ढंग से आपको छूने की कोशिश करते हैं, तो समझ में नहीं आता है कि क्या करें."

बीबीसी को एक और नर्स ने (जो इस्लामाबाद में ट्रेनिंग ले रही थीं) बताया कि उन्हें अपनी ट्रेनिंग छोड़नी पड़ी क्योंकि ऑपरेशन थिएटर में एक डॉक्टर उन्हें यौन दुर्व्यवहार का शिकार बना रहे थे.

उन्होंने बताया, "वो मुझे ग़लत ढंग से छूने की कोशिश करते थे. मैं सर्जरी के डिवाइस पकड़ाती तो वो मेरा हाथ पकड़ लेते. बार-बार मेरे पास आने की कोशिश करते, कंधे से कंधा सटाते, इशारे करते. मुझे यह सब चुप रहकर सहना पड़ता था."

"मेरे पिता की मौत हो चुकी थी, मैं केवल मैट्रिक पास कर सकी थी और अब स्कॉलरशिप पर नर्सिंग का कोर्स कर रही थी. वह काफ़ी सीनियर डॉक्टर थे. मैं शिकायत कर भी देती तो कोई सुनने वाला नहीं था.''

उनके अनुसार उन्होंने इस यौन दुर्व्यवहार से तंग आकर नर्सिंग की ट्रेनिंग बीच में ही छोड़ दी.

बीबीसी से बात करते हुए एक अन्य नर्स एलिज़ाबेथ थॉमस (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि जूनियर और सीनियर नर्सों को मरीज़ों के रिश्तेदार भी तंग करते हैं और अस्पताल के कर्मचारी भी.

उन्होंने बताया, "शिकायत करने का कोई फ़ायदा नहीं होता क्योंकि कोई सुनता नहीं. अगर आप एक जूनियर नर्स हैं तो आपकी फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं.

" यहाँ आम चलन तो यह है कि जांच किए बिना ही नर्स पर ही इलज़ाम लगा दिया जाता है. कह दिया जाता है कि 'तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक सीनियर डॉक्टर पर झूठा इलज़ाम लगाने की'!''

'95 फ़ीसदी महिला कर्मियों के साथ बदसलूकी' image BBC पाकिस्तान के अस्पताल में महिला स्टाफ के साथ बहस करता एक मरीज़

डॉक्टर समीया सैयद कराची की चीफ़ पुलिस सर्जन हैं. वह कहती हैं कि समस्या जवाबदेही की व्यवस्था पर भरोसे की कमी की है.

वो कहती हैं, "ऐसा नहीं है कि घटनाएं नहीं हो रहीं. समस्या यह है कि ये घटनाएं रिपोर्ट नहीं हो रहीं. नर्स को कोई मरीज़ तंग कर सकता है, उसके साथ दुर्व्यवहार कर सकता है. यह मौखिक भी हो सकता है और शारीरिक भी. वह ग़लत ढंग से छू सकता है, छेड़छाड़ कर सकता है. हमारे पास ऐसे बहुत मामले आए हैं."

पाकिस्तान में महिला डॉक्टरों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा के सरकारी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.

लेकिन अमेरिकी संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ ने अपनी रिपोर्ट में निजी स्तर पर किए गए सर्वे का डेटा छापा है.

उनकी पड़ताल के अनुसार पाकिस्तान में मेडिकल क्षेत्र में 95 फ़ीसदी महिला स्टाफ़ को ज़बानी बदसलूकी और कभी-कभी शारीरिक हिंसा भी का सामना करना पड़ता है. 59 फ़ीसदी महिला नर्सों ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत की है जबकि 29 फ़ीसदी को यौन हिंसा का सामना करना पड़ा है.

'जर्नल ऑफ़ मेडिसिन' की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 30 फ़ीसदी महिला डॉक्टरों को किसी न किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

पाकिस्तान इकोनॉमिक सर्वे की हाल की रिपोर्ट के अनुसार 24 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश पाकिस्तान में केवल क़रीब 3 लाख डॉक्टर हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या आधे से भी कम है जबकि नर्सों की संख्या 1 लाख़ 27 हज़ार है.

'नर्स ने रेप के बाद छत से छलांग लगाई' image BBC पाकिस्तान में भी मेडिकल पेशे से जुड़ी महिलाओं के लिए हालात बहुत अच्छे नहीं हैं

डॉक्टर समीया ने एक अन्य केस के बारे में बताया, जिसमें एक युवा नर्स को कथित तौर पर गैंगरेप का निशाना बनाया गया.

उन्होंने बताया, "एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने एक नर्स को झांसा देकर अपने हॉस्टल में बुलाया जहां वह ठहरे हुए थे. वहां वह अकेले नहीं थे बल्कि उनके साथ उनके दो दोस्त डॉक्टर भी मौजूद थे."

"उस लड़की ने वहां छत से छलांग लगा दी और फिर वह कोमा में चली गई. उस युवा नर्स का रेप किया गया था. उसमें कुछ भी रज़ामंदी से नहीं हुआ था. मगर उस लड़की ने फ़ैसला किया कि वह इस मामले को रिपोर्ट नहीं करेगी."

वो कहती हैं, "वह नर्स आज कहां है, मुझे नहीं पता. उसने यह जॉब छोड़ दी और चली गई. केस चलता तो उस पर ही इल्ज़ाम लगता कि वह ऐसी ही थी. आख़िर किस-किस से लड़ती, इसलिए जॉब छोड़कर चली गई."

वो बताती हैं, "एक अन्य सरकारी अस्पताल की डॉक्टर को कई हफ़्ते तक ब्लैकमेल किया जाता रहा. उन्हें ब्लैकमेल करने वाला शख़्स एक डॉक्टर ही था, जिन्होंने अस्पताल के वॉशरूम में लगे रोशनदान से उनकी वीडियो क्लिप बना ली थी."

"लेडी डॉक्टर ने उस अस्पताल की कुछ सीनियर महिला डॉक्टरों की मदद ली और पुलिस से संपर्क कर इस मामले को हल करवाने की कोशिश की."

लेडी डॉक्टर नहीं चाहती थीं कि यह मामला ज़्यादा लोगों तक या उनके घरवालों तक पहुंचे.

डॉक्टर समीया के मुताबिक़ "एक और युवा महिला डॉक्टर को एक सीनियर डॉक्टर ने यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया. उस महिला डॉक्टर ने अपने पति और ससुर की मदद से शिकायत कराई. उत्पीड़न की जांच अगले छह महीने तक चलती रही. इस लेडी डॉक्टर ने जाँच समिति के साथ पूरा सहयोग किया लेकिन अंत में कुछ नहीं हुआ."

वो बताती हैं कि इस दौरान अस्पताल में दूसरे साथियों ने भी उनसे दूर रहना शुरू कर दिया और उन्हें सामाजिक तौर पर अकेला छोड़ दिया गया.

पंजाब के एक सरकारी अस्पताल में तैनात एक महिला डॉक्टर ने बताया कि अस्पतालों में ऐसी कोई औपचारिक समिति नहीं है जहां महिलाएं पूरे भरोसे के साथ अपनी शिकायत कर सकें.

वो कहती हैं, "जो कमेटी बनती है उसमें या तो वही डॉक्टर मौजूद होते हैं जो उत्पीड़न की घटना में शामिल होते हैं या उनके दोस्त उन कमेटियों का हिस्सा होते हैं. हमारे पास यंग डॉक्टर्स एसोसिएशन का एक प्लेटफ़ॉर्म है मगर आप देखें, वहां भी तो यही लोग हैं ना! फिर कोई क्यों शिकायत करके अपनी ज़िंदगी और मुश्किल में डाले?"

'ड्यूटी पर डॉक्टर लड़की होनी चाहिए' image BBC पाकिस्तान इकोनॉमिक सर्वे की हाल की रिपोर्ट के अनुसार 24 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश पाकिस्तान में केवल दो लाख 99 हज़ार डॉक्टर हैं.

डॉक्टर आमना (बदला हुआ नाम) आज से आठ साल पहले वह एक सरकारी अस्पताल में रेजिडेंट ऑफ़िसर के तौर पर काम कर रही थीं.

उनके लिए मरीज़ों से भरे वार्ड की व्यवस्था चलाने से भी ज़्यादा बड़ा दबाव वह नज़रें थीं जो लगातार उन्हें देखती रहती थीं.

वह बताती हैं, "वह शख़्स मेरा सीनियर डॉक्टर था और उसका बैकग्राउंड बहुत मज़बूत था. वह मुझसे बिना वजह फ़्रैंक होने की कोशिश करता था. मैं वार्ड में मरीज़ चेक कर रही होती तो मेरे साथ सटकर खड़े होने की कोशिश करता."

"मेरे हाथ में फ़ाइल देखकर उस पर झुकने की कोशिश करता. ओछे और दो अर्थ वाले जुमले इस्तेमाल करता. सबसे मुश्किल घड़ी रात की शिफ़्ट होती थी. सुबह तीन-चार बजे वो वार्ड में आ जाता और बेमतलब बातें करने की कोशिश करता."

इस महिला डॉक्टर ने ऐसी हरकतों से तंग आकर अस्पताल प्रशासन से उस डॉक्टर की शिकायत की.

उन्हें जो जवाब मिला वह इस तरह था, "तुम्हें यहां आए हुए जुमा-जुमा आठ दिन हुए हैं और इस बात का क्या सबूत है तुम्हारे पास… हम उस शख़्स को सात साल में ठीक नहीं कर पाए. तुम्हारी शिकायत से कुछ नहीं बदलेगा और तुम्हारी बात पर कोई यक़ीन भी नहीं करेगा."

वह बताती हैं कि जब महिला डॉक्टर या नर्स उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की कोशिश करती हैं तो उन्हें 'हतोत्साहित' किया जाता है.

वो कहती हैं, "महिला डॉक्टर ऐसी हरकतों और उत्पीड़न की शिकायत भी करती हैं मगर उनसे कहा जाता है कि सबूत भी लेकर आएं. अक्सर डॉक्टरों और नर्सों ने वीडियो बनाकर भी ऐसी घटना की जानकारी दी, मगर कुछ नहीं हुआ. ऐसे यौन उत्पीड़न करने वाले डॉक्टर को दो-तीन महीने के लिए किसी और वार्ड में भेज दिया जाता था और फिर वह वापस आ जाता."

बीबीसी से बात करते हुए मेडिसिन विभाग से संबंध रखने वाली कई महिलाओं ने बताया कि ऐसा भी एक पैटर्न है जहां महिलाओं को उनके 'लड़की होने और ख़ूबसूरत होने की वजह से एक ख़ास ढंग से टार्गेट किया जाता है.'

डॉक्टर सादिया एक निजी अस्पताल में जॉब कर रही हैं. उन्होंने हमें उन दिनों के बारे में बताया जब वह एक सरकारी अस्पताल में हाउस जॉब कर रही थीं.

उन्होंने दावा किया, "जब मैं मेडिसिन वार्ड में थी तो हमारे एक सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर थे. वह उस वार्ड में डॉक्टरों की ड्यूटी और रोटेशन यह देखकर लगाते थे कि लड़की होनी चाहिए और प्यारी होनी चाहिए.

"फिर वहां 'हाउस ऑफ़िसर ऑफ़ द मंथ' का अवॉर्ड देने का फ़ैसला किया गया. हर महीने उस अवॉर्ड की शर्त यही होती थी कि बस अवॉर्ड उसी डॉक्टर को मिलेगा जो लड़की हो और प्यारी हो. तब हम यह भी सुनते थे कि उसकी तो शादी हो गई है, उसको अवॉर्ड देने का कोई फ़ायदा नहीं."

वह कहती हैं कि ऐसे रवैयों के बारे में प्रशासन से बात करने की कोशिश की जाती है "लेकिन उन लोगों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था. उन्हें कोई नतीजा नहीं भुगतना पड़ता और उनके लिए सभी रास्ते पहले की तरह खुले रहते थे."

नशा कर महिला स्टाफ से छेड़छाड़ image BBC पाकिस्तान के अस्पतालों में महिला स्टाफ से छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ रही हैं

महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए एक तरफ़ अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में साथी चिकित्साकर्मी की ओर से उत्पीड़न जैसी घटनाओं का डर रहता है.

महिला डॉक्टरों और नर्सों को अस्पताल आने वाले मरीज़ों के परिवार वालों के हमलों कभी डर रहता है.

बीबीसी से बात करते हुए कम से कम तीन महिला डॉक्टरों ने ख़ुद पर होने वाले हमले के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि हमलावर मरीज़ या तीमारदार नहीं बल्कि आम लोग थे जो नशे की हालत में अस्पताल में घुस गए थे.

उन अस्पतालों में सुरक्षा की विशेष व्यवस्था नहीं होती और कोई भी आम आदमी अस्पताल में आ सकता है. सरकारी अस्पतालों में हालात बदतर हैं.

डॉक्टर समीया सैयद कहती हैं, "सरकारी अस्पताल एक पब्लिक प्रॉपर्टी है तो उन अस्पतालों में काम करने वाले मेडिकल स्टाफ़, चाहे वह मर्द हों या औरत, सभी को पब्लिक प्रॉपर्टी ही समझा जाता है. यानी अगर किसी को शीशा फोड़ना हो तो मेरे सिर पर ही फोड़ सकता है."

डॉक्टर सादिया कहती हैं कि उनकी कई साथी डॉक्टर को कई बार यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.

वो कहती हैं, "इन घटनाओं में अस्पताल का कर्मी या किसी मरीज़ का रिश्तेदार शामिल नहीं था बल्कि ऐसा करने वाले नशे की हालत में अस्पताल का चक्कर लगाने वाले लोग थे."

"उदाहरण के लिए एक शाम मेरी साथी कुछ दूसरी डॉक्टरों के साथ दूसरे वार्ड में जा रही थीं तो उन्हें शराब के नशे में धुत एक शख़्स ने छेड़ना शुरू कर दिया. एक बार एक और डॉक्टर दोस्त पर हमला कर दिया गया. वहां सिक्योरिटी गार्ड नहीं थे."

वो बताती हैं कि यह घटनाएं कराची के एक बड़े सरकारी अस्पताल में हुई थीं.

नर्स एलिज़ाबेथ थॉमस कहती हैं कि ऐसी घटनाएं आम हैं कि जब शराब पीने के बाद लोग अस्पतालों में महिला स्टाफ़ को टारगेट करने की कोशिश करते हैं.

वो कहती हैं, "एक बार अस्पताल में एक आदमी आया. वह शराब के नशे में चूर था. हमें दूर से ही बदबू आ रही थी. वह बार-बार महिला डॉक्टर और हमारे ऊपर गिरने की कोशिश करता. हमें छूने की कोशिश करता तो कभी हाथ पकड़ने की कोशिश करता."

"उसने मेरे साथ मौजूद डॉक्टर का दुपट्टा खींच लिया. ऐसे मौक़े पर हम बहुत घबरा जाते हैं कि अब क्या करें. उस आदमी का इलाज करें या अपनी हिफ़ाज़त करें. हम बहुत बेबस महसूस करते हैं."

बीबीसी से बात करते हुए लाहौर के एक निजी अस्पताल में बतौर डेंटिस्ट काम करने वाली एक डॉक्टर ने भी ऐसे ही एक घटना बताई.

वो कहती हैं, "मेरे रूम में एक शख़्स आया, जो शराब के नशे में धुत था. उसने कहा कि मैं उसके दांत चेक करूं. मुझे महसूस हुआ कि कुछ ग़लत है. मगर बतौर डॉक्टर हम किसी मरीज़ की जांच के लिए मना नहीं कर सकते."

"मैंने उन्हें बैठने के लिए कहा मगर उस शख़्स ने मेरे ऊपर गिरने की कोशिश की. मेरे पति भी उसी रूम में मौजूद थे. उन्होंने उस शख़्स को देख लिया. वह और दूसरे कर्मचारी भागते हुए आए और उस आदमी को अस्पताल से निकाल दिया. मैं आज तक यह घटना भूल नहीं पाई हूं.''

'इंजेक्शन लगाओ वर्ना मार दूंगा' image BBC पाकिस्तान में ज़रूरत से काफी कम डॉक्टर हैं, लिहाज़ा स्वास्थ्यकर्मियों पर काम का बोझ बढ़ जाता है

पाकिस्तान इकोनामिक सर्वे 2023 के अनुसार देश में सरकारी अस्पतालों की संख्या केवल 1284 है. लेकिन यहां सुरक्षा की व्यवस्था बिल्कुल ख़राब है. अधिकतर अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं या कम हैं या काम ही नहीं करते.

उन सभी अस्पतालों में हर दिन हज़ारों मरीज़ और उनके घर वाले आते हैं और अब मेडिकल स्टाफ़ पर हमले एक आम बात हो चुकी है.

डॉक्टर समीया बताती हैं कि उन पर पहली बार एक हिंसक भीड़ ने उस समय हमला किया जब उन्हें अपना करियर शुरू किए हुए केवल छह साल हुए थे.

वो कहते हैं, "मेरे साथ तो हिंसक भीड़ के हमले की कई घटना हो चुकी हैं. यह हमले मरीज़ों के परिवार वालों ने भी किए हैं और ख़ुद मेरे इर्द-गिर्द मौजूद डॉक्टरों ने भी. एक बार मुझे तीन महिलाओं की लाशों का पोस्टमार्टम करना था. मगर उनके घरवालों ने कहा कि उन्हें पोस्टमार्टम नहीं करवाना है."

"फिर 50-60 लोगों की भीड़ जमा हो गई और मुझे धकेल कर दीवार से लगा दिया. वो मुझे वहां से निकलने भी नहीं दे रहे थे. यहाँ भीड़ के हमले आम बात है, हमारे अस्पतालों में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है. अभी सिंध सरकार ने कुछ सुरक्षाकर्मी लगाए हैं मगर यह बहुत कम हैं."

वह बताती हैं कि हाल ही में उनके अपने साथियों ने उन्हें परेशान किया.

उन्होंने कहा, "मेरे अपने साथी डॉक्टर ने मुझे कमरे में बंद कर दिया. वह मुझसे ज़बर्दस्ती एक रिपोर्ट पर साइन करवाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि दस्तख़त करो वर्ना तुम्हें अंदाज़ा नहीं कि हम तुम्हारे साथ क्या करेंगे."

"बाहर मौजूद लोगों ने मेरे कमरे का दरवाज़े पर मार कर मुझे बाहर निकाला वर्ना पता नहीं क्या हो जाता. मैं अब भी उस घटना के बारे में बात नहीं कर सकती. मैं उस कमरे में दोबारा नहीं जा सकती थी. मैंने केस किया, हर जगह गई मगर मुझे आज तक इंसाफ़ नहीं मिला.''

डॉक्टर सादीया ने बताया कि उन्हें एक बार उस वक़्त अपनी ज़िंदगी बचाने के लिए छिपना पड़ा जब एक मरीज़ के परिवार वालों ने उन पर इसलिए हमला कर दिया कि वह मरीज़ को एक ख़ास इंजेक्शन लगाने के लिए उनकी रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही थीं.

उन्होंंने कहा, "वह आदमी बहुत ऊंचे क़द था. वह मुझ पर चीखने-चिल्लाने लगा, धमकियां देता रहा. उसने कहा कि अभी इंजेक्शन लगाओ वर्ना मार डालूंगा."

पाकिस्तान में नर्सिंग स्टाफ़ में एक बहुत बड़ी संख्या ग़ैर मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं की है.

अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाली महिला नर्सों के लिए समस्याएं कई गुना बढ़ जाती हैं.

ऐसी कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें अक्सर ओवरटाइम भी करना पड़ता है, ख़ास तौर पर उन दिनों जब मुस्लिम नर्स त्योहारों के लिए छुट्टी पर हों या रमज़ान के महीने में जब उनकी शिफ़्ट का समय कम किया जाता है.

नर्स एलिज़ाबेथ थॉमस ने बताया कि ग़ैर मुस्लिम नर्सों को अपने धर्म की वजह से बेहद अनुचित व्यवहार का सामना भी करना पड़ता है.

वह कहती हैं, "मैं ऐसी बहुत सी नर्सों को जानती हूं जिन्हें परेशान किया जाता है. अगर वह बात न मानें तो यह धमकी दी जाती है कि हम तुम पर ईश निंदा का आरोप लगा देंगे? अच्छी शक्ल-सूरत की नर्स है तो बड़े आराम से कह दिया जाता है कि तुम अपना धर्म बदल लो."

"उस पल हम यही सोच रहे होते हैं कि इस बात का क्या जवाब दें. अगर हां में जवाब न दिया तो कहीं ईश निंदा का झूठा आरोप ही न लगा दें. ऐसा हुआ है कई नर्सों के साथ.''

कोलकाता की घटना का असर image Getty Images कोलकाता में महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करती युवतियां

हाल ही में कोलकाता में एक डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना के बाद पाकिस्तान में भी महिला डॉक्टरों में यह बहस जारी है कि ख़ुद को कैसे सुरक्षित बनाया जाए.

डॉक्टर सादिया कहती हैं कि उन्होंने उस घटना के बाद से कुछ बदलाव किए हैं.

उन्होंने कहा, "मैंने यह बदलाव किया है कि अब मैं अंधेरे वाली जगह या सुनसान जगह पर नहीं जाती. पहले सीढ़ियां चढ़ने की कोशिश करती थी मगर मुझे अब सुरक्षा के लिए लिफ़्ट बेहतर लगती है."

एलिज़ाबेथ थॉमस कहती हैं कि उस घटना के बाद वह सोने में मुश्किल महसूस करती हैं.

वो कहती हैं, "मेरी सात साल की बेटी है और वह अक्सर कहती है कि मैं डॉक्टर बनूंगी. मगर मैं यह सोचती हूं कि क्या इस देश में महिला डॉक्टर सुरक्षित है?"

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