बेंगलुरु में चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए नामित मैजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रवर्तन निदेशालय के ख़िलाफ़ जबरन वसूली और आपराधिक साज़िश का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है.
कोर्ट ने ये फ़ैसला आदर्श अय्यर की याचिका पर सुनाया था. आदर्श जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष हैं. उन्होंने मार्च में स्थानीय पुलिस को एक शिकायत दी थी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
कोर्ट के आदेश के अगले ही दिन यानी शनिवार दोपहर करीब तीन बजे एफ़आईआर दर्ज की गई.
जेएसपी एक ऐसी संस्था है जो शिक्षा का अधिकार क़ानून और बाक़ी मुद्दों से जुड़ी समस्याओं को उठाती रही है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंइस मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजेंद्र को भी आरोपी के तौर पर नामित किया गया है.
इसमें राज्य में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नलीन कुमार कतील और पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है.
जेएसपी के वकील एस बालन ने बीबीसी हिंदी से कहा, “निर्मला सीतारमण और ईडी निदेशालय सूत्रधार हैं जबकि नड्डा और विजेंद्र इसमें सहयोग करने वाले हैं.”
कोर्ट को दी गई शिकायत में कहा गया है, ''आरोपी संख्या एक (निर्मला सीतारमण) ने आरोपी संख्या दो (ईडी) की गुप्त सहायता और समर्थन के ज़रिए राष्ट्रीय स्तर पर आरोपी संख्या तीन (नड्डा) और कर्नाटक राज्य में आरोपी संख्या चार (कतील) के लाभ के लिए हज़ारों करोड़ रुपये की उगाही करने में मदद की.''
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शिकायत में कहा गया है, ''आरोपी नंबर एक ने विभिन्न कॉरपोरेट्स, उनके सीईओ, एमडी आदि के यहां छापे मारने, ज़ब्ती करने और गिरफ्तारियां करने के लिए आरोपी नंबर दो की सेवाएं लीं. आरोपी नंबर एक की ओर से की गई शुरुआत से आरोपी नंबर दो की छापेमारी के डर से कई कॉरपोरेट और धनकुबेरों को कई करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड ख़रीदने के लिए मजबूर किया गया, जिसे आरोपी नंबर तीन और चार ने भुनाया.''
शिकायत में 8,000 करोड़ रुपये इकट्ठा करने का दावा किया गया है. शिकायत में एल्युमिनियम और कॉपर की दिग्गज कंपनी मेसर्स स्टरलाइट एंड मेसर्स वेदांता कंपनी का उदाहरण दिया गया है, जिन्होंने अप्रैल 2019, अगस्त 2022 और नवंबर 2023 के बीच 230.15 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए दिए.
वहीं मेसर्स ऑरोबिंदो फ़ार्मा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ ने 5 जनवरी 2023, 2 जुलाई 2022, 15 नवंबर 2022 और 8 नवंबर 2023 के बीच 49.5 करोड़ रुपये दिए.
एस बालन ने बताया, ''हमने अपनी बात साबित करने करने के लिए दस्तावेज़ सौंप दिए हैं. हमने जो तर्क रखे हैं उनके बारे में हम लंबे समय से पैरवी कर रहे हैं. हमारे पास लगभग दस स्थगनादेश हैं. आरोपियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने का आदेश देने से पहले कोर्ट इस बात को लेकर सहमत था कि प्रथम दृष्टया इन लोगों के ख़िलाफ़ मामला बनता है.’’
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ये शिकायत सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दर्ज कराई गई है. जुर्माने और जुर्माने रहित सात साल से कम की कैद की सज़ा वाले अपराध के लिए अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (XLII) , बेंगलुरु का कोर्ट निर्धारित है.
इन अपराधों के लिए आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली), 120बी (आपराधिक साज़िश) के साथ आईपीसी की धारा 34 (एक मकसद के लिए कई लोगों की एकसाथ मिलकर की गई कार्रवाई) के तहत केस दर्ज होंगे.
वित्त मंत्री इस मामले पर प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं थीं. उनके दफ़्तर से कहा गया कि वो उज़बेकिस्तान गई हैं और इस समय उनसे संपर्क करना मुश्किल है. उनका जवाब आने पर इसे स्टोरी में अपडेट किया जाएगा.
सोमवार का दिन अहमइस केस के बारे में जानकारी सामने आने के फ़ौरन बाद ही बीजेपी औक कांग्रेस नेताओं ने एक-दूसरे पर निशाना साधना शुरू कर दिया.
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने मीडिया से कहा, "इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की लाभार्थी कांग्रेस भी रही है और निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की तरह अपने ये परिवार को फ़ायदा पहुंचाने के लिए पैसे नहीं लिए हैं."
जब से राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सीएम सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ मूडा से जुड़े मामले में केस चलाने की मंज़ूरी दी है, तब से बीजेपी उनका इस्तीफ़ा मांग रही है.
कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से राज्यपाल की दी गई मंज़ूरी को रद्द करने के लिए दी गई सिद्धारमैया की अर्ज़ी को ख़ारिज कर दिया गया. इसके बाद बीजेपी की मांग जल्द ही विरोध प्रदर्शनों में बदल गई.
शुक्रवार को जब सिद्धारमैया बड़ी संख्या में जुटे पार्टी कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे, तभी बीजेपी ने मैसूरु में प्रदर्शन किया. देर शाम मैसूरु की लोकायुक्त पुलिस ने विशेष अदालत के निर्देशों में एफ़आईआर दर्ज की.
निर्मला सीतारमण के ख़िलाफ़ सोमवार को एफ़आईआर दर्ज करने की संभावना थी लेकिन इसे आज दोपहर ही दर्ज कर लिया गया है.
बीजेपी के एक नेता ने पहचान ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया, "हम एफ़आईआर को रद्द करने की मांग लेकर हाई कोर्ट में अपील करेंगे."
दिलचस्प बात ये है कि सिद्धारमैया की लीगल टीम भी उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की तैयारी कर रही है. सोमवार को हाई कोर्ट में अपील दायर करने की आख़िरी तारीख़ है क्योंकि इसके बाद कोर्ट की छुट्टियां शुरू हो जाएंगी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
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