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धनतेरस 2025: सोने की खरीदारी से लेकर टैक्स प्लानिंग तक ,जानिए क्या है आपके लिए सबसे बेहतर ऑप्शन

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धनतेरस और दीवाली जैसे त्योहारों में सोना खरीदना काफी शुभ माना जाता है। लेकिन इस बार जब गोल्ड की कीमतें लगातार रिकॉर्ड बना रही हैं तब भी लोगों का सोने के तरफ आकर्षण कम नहीं हुआ है। पर अब इन्वेस्टर सिर्फ गहनों तक ही सीमित नहीं हैं क्योंकि SGBs और गोल्ड ETFs जैसे ऑप्शन मार्केट में मौजूद हैं। ये दोनों न सिर्फ फिजिकल गोल्ड की परेशानियों से राहत दिलाता हैं बल्कि टैक्स के मामले में भी फायदेमंद होता हैं। चालिए समझते हैं इन ऑप्शन के क्या टैक्स बेनिफिट्स हैं और किसमें इन्वेस्टमेंट करना आपके लिए बेहतर होगा।



Gold ETFगोल्ड ETF एक म्यूचुअल फंड होता है जो सोने की कीमत के हिसाब से चलता है और इसे स्टॉक एक्सचेंज पर आसानी से खरीदा-बेचा जा सकता है। इसमें फिजिकल सोना रखने की जरूरत नहीं होती, जिससे चोरी या स्टोरेज की समस्या नहीं रहती। 1 अप्रैल 2023 से पहले खरीदे गए ETF पर 36 महीने से ज्यादा होल्ड करने पर LTCG टैक्स 20% और इंडेक्सेशन का फायदा मिलता था। 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2025 के बीच खरीदे गए यूनिट्स पर शॉर्ट-टर्म टैक्स लगेगा। 1 अप्रैल 2025 के बाद खरीदे गए यूनिट्स पर 12 महीने से ज्यादा होल्ड करने पर 12.5% LTCG टैक्स लगेगा, बिना इंडेक्सेशन के। नुकसान होने पर कैपिटल गेन से सेट-ऑफ किया जा सकता है और अनयूज़्ड लॉस 8 साल तक आगे बढ़ाया जा सकता है।





SGBSGBs RBI द्वारा जारी किए जाते हैं और इनकी अवधि 8 साल होती है। हर साल 2.5% फिक्स्ड ब्याज मिलता है। ब्याज आपकी इन्कम टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्सेबल होता है। यदि आप SGB को पूरा 8 साल की अवधि तक रखते हैं तो इसका कैपिटल गेन टैक्स-फ्री होता है। लेकिन अगर आप इसे मैच्योरिटी से पहले सेकंडरी मार्केट में बेचते हैं तो 23 जुलाई 2024 के बाद LTCG की होल्डिंग पीरियड 12 महीने हो गई है। 12 महीने से ज्यादा रखने पर 12.5% टैक्स लगेगा और इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा। 12 महीने या उससे कम रखने पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन के अनुसार टैक्स देना होगा। इसलिए, SGB लंबे समय तक निवेश के लिए बेहतर और टैक्स-इफिशिएंट ऑप्शन हैं।



टैक्स ज़्यादा और फायदे कमगहनों, बिस्किट या सिक्कों के रूप में सोने में इन्वेस्टमेंट अब पहले जितना आसान नहीं रहा क्योंकि इसमें कई परेशानियां हैं जैसे कि स्टोरेज की समस्या और मेकिंग चार्जेस के साथ चोरी का डर भी रहता है। टैक्स नियमों के मुताबिक 23 जुलाई 2024 से पहले फिजिकल गोल्ड पर LTCG के लिए होल्डिंग पीरियड 36 महीने था, जिस पर 20% टैक्स के साथ इंडेक्सेशन का फायदा मिलता था। लेकिन 23 जुलाई 2024 के बाद इसे घटाकर 24 महीने कर दिया गया है, और अब LTCG पर 12.5% टैक्स बिना इंडेक्सेशन के लागू होता है। अगर गोल्ड को 24 महीने या उससे कम समय के लिए रखा जाता है तो उस पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन के हिसाब से स्लैब रेट के मुताबिक टैक्स देना होता है। इसके अलावा फिजिकल गोल्ड पर SGB की तरह मैच्योरिटी पर कोई टैक्स छूट भी नहीं मिलती।



ETF vs SGB कौन सा ऑप्शन आपके लिए सहीगोल्ड ETF और SGB दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। गोल्ड ETF में लिक्विडिटी ज्यादा होती है यानी आप इसे कभी भी मार्केट में बेच सकते हैं जबकि SGB की मैच्योरिटी 8 साल की होती है और आप 5 साल बाद ही उससे बाहर निकल सकते हैं। गोल्ड ETF में आपको कोई ब्याज नहीं मिलता है लेकिन SGB में हर साल 2.5% का फिक्स्ड इंटरेस्ट मिलता है। टैक्स की बात करें तो गोल्ड ETF में लॉस सेट-ऑफ और LTCG के नियम लागू होते हैं, जबकि SGB में मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। पहले के नियमों के तहत गोल्ड ETF में इंडेक्सेशन का फायदा था, लेकिन SGB में ऐसा कोई फायदा नहीं होता। जोखिम के हिसाब से गोल्ड ETF का मूल्य बाजार की चाल पर निर्भर करता है जबकि SGB सरकार द्वारा समर्थित होता है इसलिए यह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।





एक्सपर्ट की रायसुरेश सुराणा और रुचिका भगत जैसे टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर आपको शॉर्ट-टर्म लिक्विडिटी चाहिए तो गोल्ड ETF बेहतर रहेगा जबकि लॉन्ग-टर्म में टैक्स-फ्री रिटर्न के लिए SGB सबसे अच्छा ऑप्शन है। त्योहारों में सोना खरीदने की परंपरा तो जारी रहेगी लेकिन अब इन्वेस्टमेंट के तरीके बदल गए हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स और गोल्ड ETFs न सिर्फ फिजिकल गोल्ड की मुश्किलों को कम करते हैं बल्कि टैक्स बचत के भी बेहतर अवसर देते हैं, जिससे ये दोनों ऑप्शन सुरक्षित और फायदे वाले साबित होते हैं।

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