अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के वीजा बम से भारतीय आईटी कम्पनियां ज्यादा प्रभावित होगी। अमेरिकी सरकार के द्वारा वीजा फीस में बेतहाशा वृद्धि की गई है। अमेरिका में कई कंपनियां ऐसी है जो अपनी लागत को कम करने और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए भारतीय कर्मचारियों को वीजा देकर नौकरी देती हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन के द्वारा बढ़ाई गई वीजा फीस से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि हो सकती है। इसके बाद अब यह माना जा रहा है कि अमेरिकी आईटी कंपनियों के द्वारा फिर से वर्क फ्रॉम होम कल्चर को तवज्जों दिया जाएगा।
फिर शुरू हो रहा है वर्क फ्रॉम होम कल्चर ?अमेरिकी सरकार के द्वारा एच-1बी वीजा को एक लाख डालर करने से कयासों के दौर शुरू हो चुके हैं। इन्हीं कयासों में वर्क फ्रॉम होम कल्चर की राह खुलने की बात भी कहीं जा रही है। ऐसा इसीलिए क्योंकि अमेरिका में काम कर रहे हैं आईटी प्रोफेशनल्स में भारतीय कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा है।
अमेरिकी कम्पनियां करेंगी शुरुआत? ट्रंप प्रशासन के द्वारा लिए गए इस फैसले का सबसे ज्यादा असर छोटी और मीडियम कंपनियों पर ज्यादा दिखेगा। कोरोना महामारी के समय भी वर्क फ्रॉम होम कल्चर की शुरुआत हुई थी। ऐसा फिर देखने को मिल सकता है। नहीं तो कम्पनियों के लाभ पर असर होगा।
भारत लौटेगा टैलेंट?यह भी उम्मीद की जा रही है कि अमेरिका में हुई वीजा फीस में वृद्धि से भारतीय कर्मचारी देश लौटेंगे। क्योंकि इस वीजा का इस्तेमाल अमेरिका में लंबे समय तक काम करने के लिए किया जाता है। अक्सर देखा गया है कि आईटी कंपनियां ही कर्मचारियों के लिए वीजा लेती है। लेकिन अब जब पिज़्ज़ा फीस बढ़ चुकी है तो कंपनियों की लागत में वृद्धि हो सकती है।
क्या चाहते हैं ट्रंप?प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप को जब से दूसरी बार अमेरिका की सत्ता मिली है तब से उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए हैं जिसके कारण भी चर्चा में बने रहते हैं। पहले भी टैरीफ के कारण तो अब वीजा फीस में वृद्धि करने के कारण चर्चा में हैं। उनका कहना है कि कई कंपनियों के द्वारा अमेरिका के कर्मचारियों को नौकरी से निकलकर विदेशी कर्मचारियों को कम लागत पर नौकरी दी जाती है। इसीलिए उन्होंने वीजा फीस में वृद्धि की है ताकि अमेरिकी कर्मचारियों को भी बराबरी मिल सके।
भारत आएगी कंपनियां कई भारतीय आईटी कंपनियां भी अमेरिका से अच्छा खासा रेवेन्यू अर्न करती हैं। अपने वीजा फीस के रूप में ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे। इसके अलावा कई अन्य विदेशी कंपनी अभी है जो भारतीय कर्मचारियों को नौकरी पर रखती है। राम प्रशासन के द्वारा नियमों में की जा रही सख्ती के बाद कुछ कंपनियां भारत की ओर रुख कर सकती है।
फिर शुरू हो रहा है वर्क फ्रॉम होम कल्चर ?अमेरिकी सरकार के द्वारा एच-1बी वीजा को एक लाख डालर करने से कयासों के दौर शुरू हो चुके हैं। इन्हीं कयासों में वर्क फ्रॉम होम कल्चर की राह खुलने की बात भी कहीं जा रही है। ऐसा इसीलिए क्योंकि अमेरिका में काम कर रहे हैं आईटी प्रोफेशनल्स में भारतीय कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा है।
अमेरिकी कम्पनियां करेंगी शुरुआत? ट्रंप प्रशासन के द्वारा लिए गए इस फैसले का सबसे ज्यादा असर छोटी और मीडियम कंपनियों पर ज्यादा दिखेगा। कोरोना महामारी के समय भी वर्क फ्रॉम होम कल्चर की शुरुआत हुई थी। ऐसा फिर देखने को मिल सकता है। नहीं तो कम्पनियों के लाभ पर असर होगा।
भारत लौटेगा टैलेंट?यह भी उम्मीद की जा रही है कि अमेरिका में हुई वीजा फीस में वृद्धि से भारतीय कर्मचारी देश लौटेंगे। क्योंकि इस वीजा का इस्तेमाल अमेरिका में लंबे समय तक काम करने के लिए किया जाता है। अक्सर देखा गया है कि आईटी कंपनियां ही कर्मचारियों के लिए वीजा लेती है। लेकिन अब जब पिज़्ज़ा फीस बढ़ चुकी है तो कंपनियों की लागत में वृद्धि हो सकती है।
क्या चाहते हैं ट्रंप?प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप को जब से दूसरी बार अमेरिका की सत्ता मिली है तब से उन्होंने ऐसे कई फैसले लिए हैं जिसके कारण भी चर्चा में बने रहते हैं। पहले भी टैरीफ के कारण तो अब वीजा फीस में वृद्धि करने के कारण चर्चा में हैं। उनका कहना है कि कई कंपनियों के द्वारा अमेरिका के कर्मचारियों को नौकरी से निकलकर विदेशी कर्मचारियों को कम लागत पर नौकरी दी जाती है। इसीलिए उन्होंने वीजा फीस में वृद्धि की है ताकि अमेरिकी कर्मचारियों को भी बराबरी मिल सके।
भारत आएगी कंपनियां कई भारतीय आईटी कंपनियां भी अमेरिका से अच्छा खासा रेवेन्यू अर्न करती हैं। अपने वीजा फीस के रूप में ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे। इसके अलावा कई अन्य विदेशी कंपनी अभी है जो भारतीय कर्मचारियों को नौकरी पर रखती है। राम प्रशासन के द्वारा नियमों में की जा रही सख्ती के बाद कुछ कंपनियां भारत की ओर रुख कर सकती है।
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