नई दिल्ली: क्या कभी किसी ने सोचा था कि दस मिनट में आपका खाना आपके दरवाजे तक पहुंच जाएगा? बस एक फोन कॉल किया और उधर आपके आर्डर की घंटी बज जाएगी. ऐसा सोचना भी मुश्किल था, लेकिन आज ये हो रहा है हम सब कर रहे है. 11 साल पहले श्रीहर्ष मजेटी के दिमाग में यही विचार आया और उन्होंने स्विगी की शुरुआत की. हालांकि, यह शुरुआत बहुत आसान नहीं थी. उनका पहला स्टार्टअप फेल हो चुका था, बैंक अकाउंट में पैसे नहीं थे, लेकिन श्रीहर्ष ने हार मानने के बजाय ऐसा काम किया, जो उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था. आंध्र प्रदेश के एक डॉक्टर परिवार में जन्मे श्रीहर्ष के पिता रेस्टोरेंट चलाते थे और मां डॉक्टर थीं. घर में रेस्टोरेंट होने की वजह से श्रीहर्ष को खाने-पीने के बिजनेस का अनुभव बचपन से ही हो गया था. उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज से इंजीनियरिंग की, फिर फिजिक्स में मास्टर डिग्री और चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट के सेकेंड लेवल तक की परीक्षा पास की. श्रीहर्ष का सपना था कि वह बिजनेस करें, और इसके लिए उन्होंने IIM कलकत्ता से मैनेजमेंट की डिग्री भी ली.जब पढ़ाई पूरी हुई और नौकरी करने की बारी आईं तो उन्होनें पहले घूमने का सोचा. श्रीहर्ष कॉर्पोरेट दुनिया में कदम रखने से पहले दुनिया देखने निकल गए. उन्होंने अपनी साइकिल उठाई और निकल पड़े सफर पर. साइकिल से ही यूरोप की एक एडवेंचर यात्रा की शुरुआत की और पुर्तगाल से ग्रीस तक 3500 किलोमीटर का सफर तय कर लिया. स्विगी की कहानी दुनिया घूमने के बाद जब वह भारत लौटे तो उन्होंने अपना पहला बिजनेस शुरू किया एक कुरियर कंपनी जिसका नाम "Bundl" रखा. हालांकि कंपनी सफल नहीं हो पाई. लेकिन हार न मानने वाले श्रीहर्ष ने अपने दोस्त नंदन रेड्डी के साथ मिलकर 2014 में फूड डिलीवरी ऐप, स्विगी की शुरुआत की. इस ऐप के जरिए लोग अपने फोन पर खाना मंगवा सकते थे, बिना रेस्टोरेंट को फोन किए या डिलीवरी को लेकर किसी तरह की परेशानी के.स्विगी की शुरुआत 6 अगस्त 2014 को हुई, लेकिन पहले दिन एक भी ऑर्डर नहीं आया. टीम थोड़ी मायूस थी, लेकिन श्रीहर्ष को यकीन था कि हालात बदलेंगे. अगले ही दिन स्विगी को पहला आर्डर मिला और धीरे-धीरे इसने दो और ऑर्डर पाएं. समय के साथ स्विगी का कारोबार बढ़ने लगा और यह लोकल रेस्टोरेंट्स से कस्टमर्स को जोड़ने में सफल हो गया. स्विगी की वैल्यूएशनसाल 2022 तक स्विगी की वैल्यूएशन 10.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी. दिसंबर 2024 तक यह बढ़कर 1,32,800 करोड़ रुपये (16 अरब डॉलर) हो गई. श्रीहर्ष की संपत्ति भी अब 1400 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है.
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