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Ghazal Alagh vs HUL: ओह.. कोई नकल करते हुए पकड़ा गया! लैक्मे और मामाअर्थ में छिड़ी सनस्क्रीन जंग

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गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है और तेज धूप में लोग सनस्क्रीन लगाना पसंद करते हैं. इस गर्मी भरे माहौल में एफएमसीजी की दो बड़ी नामी कंपनियों के बीच में जंग छिड़ गई है. मामाअर्थ और द डर्माकों की पैरंट कंपनी होनासा कंज्यूमर और हिंदुस्‍तान यूनिलीवर की ब्रैंड लैक्‍मे के बीच एसपीएफ 50 सनस्क्रीन को लेकर सोशल मीडिया पर संग्राम जारी है. होनासा कंज्यूमर की को-फाउंडर गजल अलघ ने लक्मे पर नकल करने और चुगली करने का आरोप लगाया. हजारों करोड़ का है सनस्क्रीन बाजार सनस्क्रीन की डिमांड दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इसका मार्केट हजारों करोड़ का है. ऐसे में दो नामी ब्रांड के बीच सनस्क्रीन पर शुरू हुई यह बहस उपभोक्ताओं का भी ध्यान आकर्षित कर रही हैं. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में होनासा की को फाउंडर गजल अलघ ने लिखा कि लंबे समय से कंज्यूमर गुड्स सेक्टर में प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण बड़े और पुराने ब्रांड सुस्त हो गए हैं. अलघ ने आगे लिखा कि किसी भी प्रकार के लिए प्रतिस्पर्धा हमेशा अच्छी होती है. प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण कई बड़े और पारंपरिक ब्रांड लापरवाह हो गए हैं. हमें इस बात पर गर्व है कि हम सभी मानदंडों को चुनौती देकर इन ब्रांडों को बार-बार जाग रहे हैं. पहले मामाअर्थ और फिर डर्माको के साथ मिलकर ब्रांड को लेवल सामग्री की ओर बढ़ाया. गजल अलघ का कहना है कि उनके प्रोडक्ट को मिला उपभोक्ताओं का प्यार प्रतिस्पर्धियों के लिए ईर्ष्या का विषय है. कई पारंपरिक ब्रांड नाम से लेकर पैकेजिंग तक उत्पादों में खुलेआम नकल कर रहे हैं. एड कैंपेन के जरिये दी थी चुनौती कुछ समय पहले ही हिंदुस्तान युनिलीवर ने एक ऐड कैंपेन लॉन्च करके सनस्क्रीन ब्रांड के दावों को चुनौती दी थी. मामाअर्थ ने अपनी सनस्क्रीन में एसपीएफ 50 का दावा किया था. इस दावे पर लैक्‍मे ने सवाल उठाए. कंपनी की तरफ से कहा गया की मामाअर्थ का दावा भ्रामक हो सकता है क्योंकि टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन में कई बार पारदर्शिता की कमी हो सकती है. इसका जवाब देते हुए मामाअर्थ ने कहा कि उनकी सनस्क्रीन प्रभावी और प्रमाणित है. दोनों ब्रांड की यह सनस्क्रीन की जंग सोशल मीडिया और मार्केटिंग कैंपेन तक फैल गई है. दोनों ही अपने-अपने प्रोडक्ट को बेहतर बता रहे हैं. एचयूएल का दवाएचयूएल में ब्यूटी और वेलबीइंग के कार्यकारी निदेशक हरमन ढिल्लों का कहना है कि साल 2015 से लैक्‍मे के द्वारा इन-विवो टेस्टिंग की जा रही है. विश्व स्तर पर सनस्क्रीन को गोल्ड स्टैंडर्ड मान्यता प्राप्त हो चुकी है. लेकिन जब हमने अन्य ऑनलाइन बेस्ट सेलर ब्रांड की सनस्क्रीन पर इन-विवो परीक्षण किया तो कई ब्रांड के दावे गलत निकले. इसके बाद ही हमने अभियान की शुरुआत की. उन्होंने यह भी बताया कि लैक्‍मे के द्वारा जो विज्ञापन दिखाया गया है उसमें कई ऑनलाइन ब्रांड ने अपने सनस्क्रीन के लिए 50 एसपीएफ का दावा किया था, लेकिन टेस्टिंग के बाद 20 एसपीएफ पाया गया.
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