भारत की अर्थव्यवस्था एक ऐसे समय से गुजर रही है जहां कई तरह की चुनौतियाँ सामने हैं। जैसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में मंदी, अमेरिका की सख्त ट्रेड पॉलिसी, और घरेलू मांग में उतार-चढ़ाव। इन हालातों में 1 अक्टूबर 2025 को होने वाली RBI की अगली Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक काफी अहम मानी जा रही है। सवाल यह है ,क्या RBI ब्याज दरें घटाएगा या फिर वैसे की वैसे ही रखेगा?
RBI क्यों कर सकता है इंतजार
RBI जब कोई बड़ा फैसला लेता है, तो वह सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि दुनिया की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखता है। फिलहाल अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और चीन की धीमी आर्थिक बढ़त से भारत के व्यापार पर बुरा असर पड़ सकता है। देश के अंदर हाल ही में GST में कुछ चीजों पर टैक्स कम किया गया है, जिससे लोगों की खरीदारी थोड़ी बढ़ी है। लेकिन RBI को लगता है कि यह बढ़त ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेगी। इसलिए वह अभी जल्दबाज़ी में कोई बदलाव करने से बच रहा है।
महंगाई का स्तर
अभी भारत में महंगाई दर RBI के तय किए गए लक्ष्य यानी करीब 4% से नीचे है, जो एक पॉजिटिव संकेत है। लेकिन RBI को लगता है कि ये गिरावट स्थायी नहीं है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि हाल ही में GST टैक्स में कटौती हुई है या फिर मौसम के कारण कीमतें थोड़ी नीचे आई हैं। इसलिए RBI और आंकड़ों का इंतज़ार कर रहा है, ताकि आगे कोई मजबूत और सोच-समझकर फैसला लिया जा सके।
एक्सपर्ट्स की राय
एक सर्वे के मुताबिक, 22 में से 14 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बार RBI रेपो रेट को 5.50% पर ही बनाए रखेगा, यानी कोई बदलाव नहीं करेगा। कुछ एक्सपर्ट्स (जैसे HSBC) का यह भी मानना है कि अगर देश या दुनिया की आर्थिक हालत बिगड़ती है, तो दिसंबर 2025 में RBI ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है। RBI इस बार शायद ऐसा संकेत दे सकता है कि अभी तो दरें नहीं घटाई जाएंगी, लेकिन आगे चलकर कटौती संभव है और इसे ही “Dovish Hold” कहा जाता है।
अक्टूबर की रिपोर्ट से क्या मिलेगा संकेत?
1 अक्टूबर 2025 को जब RBI अपनी अगली पॉलिसी बैठक करेगा, उसी दिन वह एक खास रिपोर्ट भी जारी करेगा, जिसे Monetary Policy Report (MPR) कहते हैं। इस रिपोर्ट में बताया जाएगा कि आने वाले महीनों में भारत की आर्थिक ग्रोथ (GDP) और महंगाई का अनुमान क्या है। माना जा रहा है कि RBI महंगाई का अनुमान घटाकर करीब 3.1% कर सकता है, जबकि GDP ग्रोथ को 6.5% पर ही बनाए रख सकता है। इस रिपोर्ट से ये समझने में मदद मिलेगी कि RBI आगे कैसा रुख अपनाएगा, यानी वह दरें बढ़ा सकता है, घटा सकता है या स्थिर रखेगा।
निष्कर्ष: RBI अभी किसी भी तरह की जल्दीबाज़ी नहीं करना चाहता और रेपोरेट को 5.50% पर बनाए रखने की संभावना सबसे ज्यादा है। हालांकि अगर आने वाले समय में अर्थव्यवस्था कमजोर हुई या महंगाई और गिरी, तो RBI ब्याज दरों में कटौती करने के लिए तैयार रहेगा।
RBI क्यों कर सकता है इंतजार
RBI जब कोई बड़ा फैसला लेता है, तो वह सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि दुनिया की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखता है। फिलहाल अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और चीन की धीमी आर्थिक बढ़त से भारत के व्यापार पर बुरा असर पड़ सकता है। देश के अंदर हाल ही में GST में कुछ चीजों पर टैक्स कम किया गया है, जिससे लोगों की खरीदारी थोड़ी बढ़ी है। लेकिन RBI को लगता है कि यह बढ़त ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेगी। इसलिए वह अभी जल्दबाज़ी में कोई बदलाव करने से बच रहा है।
महंगाई का स्तर
अभी भारत में महंगाई दर RBI के तय किए गए लक्ष्य यानी करीब 4% से नीचे है, जो एक पॉजिटिव संकेत है। लेकिन RBI को लगता है कि ये गिरावट स्थायी नहीं है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि हाल ही में GST टैक्स में कटौती हुई है या फिर मौसम के कारण कीमतें थोड़ी नीचे आई हैं। इसलिए RBI और आंकड़ों का इंतज़ार कर रहा है, ताकि आगे कोई मजबूत और सोच-समझकर फैसला लिया जा सके।
एक्सपर्ट्स की राय
एक सर्वे के मुताबिक, 22 में से 14 अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस बार RBI रेपो रेट को 5.50% पर ही बनाए रखेगा, यानी कोई बदलाव नहीं करेगा। कुछ एक्सपर्ट्स (जैसे HSBC) का यह भी मानना है कि अगर देश या दुनिया की आर्थिक हालत बिगड़ती है, तो दिसंबर 2025 में RBI ब्याज दरों में 0.25% की कटौती कर सकता है। RBI इस बार शायद ऐसा संकेत दे सकता है कि अभी तो दरें नहीं घटाई जाएंगी, लेकिन आगे चलकर कटौती संभव है और इसे ही “Dovish Hold” कहा जाता है।
अक्टूबर की रिपोर्ट से क्या मिलेगा संकेत?
1 अक्टूबर 2025 को जब RBI अपनी अगली पॉलिसी बैठक करेगा, उसी दिन वह एक खास रिपोर्ट भी जारी करेगा, जिसे Monetary Policy Report (MPR) कहते हैं। इस रिपोर्ट में बताया जाएगा कि आने वाले महीनों में भारत की आर्थिक ग्रोथ (GDP) और महंगाई का अनुमान क्या है। माना जा रहा है कि RBI महंगाई का अनुमान घटाकर करीब 3.1% कर सकता है, जबकि GDP ग्रोथ को 6.5% पर ही बनाए रख सकता है। इस रिपोर्ट से ये समझने में मदद मिलेगी कि RBI आगे कैसा रुख अपनाएगा, यानी वह दरें बढ़ा सकता है, घटा सकता है या स्थिर रखेगा।
निष्कर्ष: RBI अभी किसी भी तरह की जल्दीबाज़ी नहीं करना चाहता और रेपोरेट को 5.50% पर बनाए रखने की संभावना सबसे ज्यादा है। हालांकि अगर आने वाले समय में अर्थव्यवस्था कमजोर हुई या महंगाई और गिरी, तो RBI ब्याज दरों में कटौती करने के लिए तैयार रहेगा।
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