जालौन जिले में एक हत्या के मामले में, जो 30 साल पहले हुआ था, पुलिस ने सात आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। यह कार्रवाई उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद की गई। पीड़ित परिवार ने 1995 से न्याय की तलाश में संघर्ष किया, लेकिन पुलिस की लापरवाही और अदालती प्रक्रिया में देरी के कारण इतना लंबा समय लग गया। अब आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू हो चुकी है.
मामले की पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां 30 साल पहले हुई एक युवक की हत्या के मामले में अब जाकर रिपोर्ट दर्ज की गई है। मृतक युवक के पिता की न्याय की उम्मीद में मृत्यु हो गई, जबकि अब उसका बड़ा भाई छोटे भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहा है। उच्च न्यायालय और निचली अदालत के लगातार हस्तक्षेप के बाद यह मामला दर्ज हुआ है.
पुलिस की लापरवाही
यह मामला कोंच कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सुभाष नगर निवासी उमाशंकर बाजपेई के बेटे प्रदीप कुमार बाजपेई (22) की हत्या से संबंधित है। यह घटना 5 अक्टूबर 1995 को हुई थी। उस समय प्रदीप अपने मौसेरे भाइयों के साथ बेतवा नदी पर प्रतिमा विसर्जन के लिए गया था। वहां मोहल्ले के कुछ लोगों ने उसकी हत्या की साजिश रची थी.
आरोप है कि प्रदीप को नदी में ले जाकर डुबोकर मार दिया गया। पीड़ित परिवार का कहना है कि यह घटना जमीन हड़पने के इरादे से की गई थी। सबसे दुखद यह है कि प्रदीप का शव भी नहीं मिल पाया। उमाशंकर ने तुरंत कोटरा थाना पुलिस को तहरीर दी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई.
न्याय की खोज में पिता का निधन
उमाशंकर ने 1995 में तत्कालीन एसपी को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूर होकर उन्होंने अदालत का सहारा लिया। 1998 में निचली अदालत ने रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने इसे नजरअंदाज किया। अदालत से भेजी गईं पत्रावलियां भी गायब हो गईं.
उमाशंकर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन 2021 में उनका निधन हो गया। उनके बड़े बेटे देवेंद्र ने मुकदमे की जिम्मेदारी ली और हाईकोर्ट में लड़ाई जारी रखी। इस बीच, कुछ आरोपियों की मौत भी हो चुकी थी.
आखिरकार FIR दर्ज
हाईकोर्ट ने 18 जून 2025 को मामले का संज्ञान लिया और जिला न्यायाधीश को रिकॉर्ड की जांच करने का आदेश दिया। इसके बाद 10 सितंबर 2025 को न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने पुलिस को सात आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया.
कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अब रिपोर्ट दर्ज कर ली है। एएसपी ने बताया कि मामले की जांच आगे बढ़ाई जाएगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
न्याय की उम्मीद
30 साल बाद दर्ज हुई इस रिपोर्ट ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि किसी परिवार को न्याय पाने के लिए इतनी लंबी लड़ाई क्यों करनी पड़ती है। प्रदीप के पिता भले ही इंसाफ का सपना अधूरा छोड़कर चले गए, लेकिन अब उनका बड़ा बेटा देवेंद्र अपने छोटे भाई के हत्यारों को सजा दिलाने की उम्मीद में है.
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