स्मिता पाटिल और अमिताभ बच्चन
Namak Halaal Song: अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में कई प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ काम किया है। उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है और आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं। उनकी हालिया फिल्म 'कल्कि 2898 एडी' ने 1000 करोड़ से अधिक की कमाई की। इस फिल्म में प्रभास और दीपिका पादुकोण जैसे सितारे शामिल थे, लेकिन अमिताभ की अदाकारी की सबसे ज्यादा सराहना हुई। एक बार उन्होंने बताया कि जब वह स्मिता पाटिल के साथ एक गाने की शूटिंग कर रहे थे, तब वह काफी असहज महसूस कर रही थीं।
स्मिता पाटिल हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने अपने काम को पूरी तरह से जिया। वह उस समय की एक बेखौफ और ज़मीन से जुड़ी अभिनेत्री थीं, जब सिनेमा में ग्लैमर का बोलबाला था। उनके भीतर एक डर था कि कहीं व्यावसायिक सिनेमा की चमक उनके अंदर की कलाकार को न निगल जाए।
स्मिता पाटिल ने बदली सिनेमा की सोच
1970 का दशक हिंदी सिनेमा में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया। एक ओर चकाचौंध और फार्मूला फिल्मों का दौर था, जबकि दूसरी ओर वह सिनेमा था जो आम लोगों के संघर्षों को दर्शाता था। स्मिता पाटिल इस यथार्थवादी सिनेमा की प्रतीक बन गईं। 'निशांत', 'मंथन' और 'भूमिका' जैसी फिल्मों में उन्होंने ऐसी महिलाओं का चित्रण किया जो सोचने वाली, इमोशनल और मज़बूत थीं। यह एक नई भारतीय नारी की छवि थी, जो केवल सजावट नहीं, बल्कि एक इंसान थी।
हालांकि, अन्य सितारों की तरह, स्मिता भी धीरे-धीरे मुख्यधारा सिनेमा की ओर बढ़ने लगीं। उन्होंने 'शक्ति' और 'नमक हलाल' जैसी फिल्मों में काम किया। 'नमक हलाल' का प्रसिद्ध बारिश वाला गाना 'आज रपट जाएं तो हमें ना उठाइयो' उनकी यादगार प्रस्तुतियों में से एक बन गया। लेकिन अमिताभ ने बताया कि इस सीन की शूटिंग के दौरान स्मिता काफी असहज थीं।
स्मिता पाटिल को था इस बात का दुख
अमिताभ बच्चन ने कहा, "वह कहती थीं कि इस तरह का सिनेमा उनकी आत्मा को नहीं दर्शाता।" वर्षों बाद, स्मिता ने खुद स्वीकार किया कि जब लोग उन्हें 'नमक हलाल' के लिए पहचानते थे, न कि 'भूमिका' या 'मंथन' जैसी फिल्मों के लिए, तो उन्हें दुख होता था। 1986 में, महज 31 वर्ष की आयु में, बेटे प्रतीक बब्बर के जन्म के दो हफ्ते बाद ही स्मिता पाटिल का निधन हो गया। उनकी असमय मृत्यु ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हिला दिया।
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