ताड़ी एक ऐसा पेय है, जो औषधीय और मादक दोनों गुणों से भरपूर है। सुबह के समय में ताड़ी का सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है, जबकि दोपहर में इसका सेवन नशा देने वाला होता है। यह विशेष पेय हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड में बहुत प्रसिद्ध है।
सभी आयु वर्ग के लोग करते हैं ताड़ी का सेवन
ताड़ी के औषधीय गुणों के कारण यह न केवल पुरुषों, बल्कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के बीच भी लोकप्रिय है। यह कई प्रकार की बीमारियों के उपचार में सहायक होता है। सुबह के समय ताड़ी का स्वाद मीठा होता है, जबकि दोपहर में इसका स्वाद खट्टा हो जाता है।
बड़कागांव में ताड़ी की बिक्री
बड़कागांव प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में ताड़ी की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। सुबह और शाम के समय ताड़ी के अड्डों पर लोगों की भीड़ देखी जा सकती है। यहां ताड़ी की कीमत 20 से 40 रुपये प्रति कुल्हड़ है। बड़कागांव, झरिवा, लंगातू, चोरका, पंडरिया, खैरातरी, लौकुरा, चंदौल, पुंदोल, केरेडारी के पतरा और पगार में ताड़ी का उत्पादन मुख्य रूप से होता है। इस व्यवसाय से कई लोग आत्मनिर्भर बने हैं, खासकर पांसी जाति के लोग।
ताड़ी बनाने की प्रक्रिया
ताड़ी खजूर के पेड़ के रस से बनाई जाती है। बड़कागांव के सुरेंद्र चौधरी और सरजू चौधरी ने बताया कि खजूर के पेड़ पर चढ़कर, टहनियों के पास तेज चाकू से पेड़ की छाल को छिलकर, वहां एक मिट्टी का बर्तन लटकाया जाता है। इस प्रक्रिया से रस निकलता है, जो बर्तन में जमा होता है।
ताड़ी के स्वास्थ्य लाभ
बड़कागांव के वैद्य अरुण कुमार के अनुसार, सुबह की ताड़ी में विटामिन-ए, बी और सी होते हैं, जो आंखों के लिए फायदेमंद हैं। इसके नियमित सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं, इम्युनिटी बढ़ती है, जौंडिस और पेट दर्द में राहत मिलती है, कब्ज से छुटकारा मिलता है, और वजन बढ़ाने में भी मददगार होती है।
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