बॉलीवुड के कई सितारे धार्मिक आस्थाओं में विश्वास रखते हैं और अध्यात्म की ओर बढ़ने के लिए अक्सर धार्मिक गुरुओं का सहारा लेते हैं। आज हम कपूर परिवार के एक गुरुजी के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें ऋषि कपूर ने भगवान के समान माना। रणबीर कपूर, नीतू कपूर और रिद्धिमा कपूर जैसे परिवार के अन्य सदस्य भी गुरुजी में गहरी आस्था रखते हैं। यही कारण है कि उनके परिवार में हमेशा गुरुजी के सत्संग का आयोजन होता है। कहा जाता है कि कपूर परिवार को एक अद्भुत बाबा का आशीर्वाद प्राप्त था। कई अन्य प्रसिद्ध बॉलीवुड हस्तियां भी उनके अनुयायी हैं। उल्लेखनीय है कि गुरुजी अब इस दुनिया में नहीं हैं। जैकलीन फर्नांडिस, हेमा मालिनी और गोविंदा की भांजी आरती सिंह भी गुरुजी के सत्संग में शामिल होती हैं।
अनन्या पांडे का गुरुजी के प्रति श्रद्धा
बॉलीवुड अभिनेता चंकी पांडे और उनकी बेटी अनन्या पांडे भी गुरुजी के भक्त हैं। हाल ही में, अनन्या ने गुरुजी के सत्संग की एक झलक साझा की और उनके चित्र वाले ब्रेसलेट को पहने हुए दिखाया। अभिनेता विवेक ओबरॉय भी गुरुजी की पूजा करते हैं। मनोज कुमार के निधन के बाद भी गुरुजी का पाठ आयोजित किया गया था। हाल ही में, गोविंदा की भांजी आरती सिंह ने अपने जन्मदिन पर गुरुजी का पाठ किया। ऋषि कपूर के जीवनकाल में और उनके निधन के बाद भी, रणबीर कपूर और नीतू कपूर ने कई बार अपने घर पर गुरुजी के सत्संग का आयोजन किया।
गुरुजी का परिचय
अब सवाल उठता है कि गुरुजी कौन थे, उनका उदय कैसे हुआ और उनके पास कौन सी अद्भुत शक्तियां थीं। ऐसा माना जाता है कि गुरुजी छतरपुर वाले भगवान शिव के अवतार थे। उन्हें डुगरी वाले गुरुजी या शुक्राना गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है, और उनका असली नाम निर्मल सिंहजी महाराज है। उनका जन्म 7 जुलाई 1952 को पंजाब के डुगरी गांव में हुआ। कई प्रसिद्ध बॉलीवुड हस्तियां उन्हें मानती हैं।
गुरुजी का जीवन
कहा जाता है कि गुरुजी ने 1975 में अपना घर छोड़ दिया और 1983 में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड में लिपिक सहायक के रूप में कार्य करना शुरू किया। गुरुजी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने आठ साल की उम्र तक अपनी सभी इच्छाओं पर नियंत्रण कर लिया था और ध्यान में समय बिताते थे। अचानक, वह कई दिनों के लिए गायब हो गए और जब लौटे, तो उनमें कुछ अलग देखने को मिला। उनके बारे में खबर पूरे पंजाब में फैल गई। उनके पिता ने पहले सोचा कि वह केवल भगवान बनने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन बाद में उनकी धारणा बदल गई।
गुरुजी की शिक्षा
गुरुजी शिक्षित थे और उन्होंने अंग्रेजी और अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने चंडीगढ़, पंचकूला, दिल्ली और मुंबई में निवास किया, और अंततः जालंधर में एक घर में बस गए। 90 के दशक में, गुरुजी ने छतरपुर के भट्टी माइंस क्षेत्र में एक शिव मंदिर का निर्माण किया, जिसे उनके भक्त बड़ा मंदिर कहते हैं। यहां उनकी समाधि भी है। यह माना जाता है कि उनके सत्संग में परोसी जाने वाली चाय उनके दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है। 2007 में गुरुजी ने समाधि ली, और कहा जाता है कि आज भी उनके सत्संग में अमृत, शहद और दूध की वर्षा होती है। उनके अनुयायी उनकी तस्वीरें अपने घरों में रखते हैं।