भारत में बैंकिंग क्षेत्र की निगरानी का कार्य पूरी तरह से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के जिम्मे है। हाल ही में, महाराष्ट्र स्थित द सिटी कोऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस RBI द्वारा रद्द कर दिया गया। यह निर्णय बैंक की वित्तीय स्थिति में गंभीर गिरावट और नियमों के उल्लंघन के कारण लिया गया। RBI का मुख्य उद्देश्य वित्तीय प्रणाली की अखंडता बनाए रखना और ग्राहकों के हितों की रक्षा करना है।
बैंक की वित्तीय स्थिति और नियमों का उल्लंघन
RBI की जांच में यह सामने आया कि द सिटी कोऑपरेटिव बैंक के पास न तो पर्याप्त पूंजी थी और न ही भविष्य में कमाई की कोई संभावना। बैंक के आंतरिक वित्तीय आंकड़े और संचालन के तरीके यह दर्शाते हैं कि बैंक ने कई महत्वपूर्ण बैंकिंग नियमों का उल्लंघन किया है। RBI का मानना था कि इस प्रकार के कुप्रबंधन से ग्राहकों के हितों को गंभीर नुकसान हो सकता था।
इसके अलावा, RBI ने यह भी पाया कि बैंक की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि वह अपने ग्राहकों को उनके जमा किए गए पैसे की पूरी राशि वापस नहीं कर सकता था। इस स्थिति में, RBI ने बैंक के लाइसेंस को रद्द कर दिया और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को सभी कार्यों को बंद करने का आदेश दिया।
ग्राहकों की जमा राशि की सुरक्षा
जब किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है, तो ग्राहकों की सबसे बड़ी चिंता उनकी जमा पूंजी होती है। इस संदर्भ में, भारतीय रिजर्व बैंक ने आश्वासन दिया है कि ग्राहक अपने जमा राशि के ₹5 लाख तक के हिस्से का दावा कर सकते हैं। यह राशि जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) द्वारा संरक्षित है, जो ग्राहकों के पैसों को सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
सिटी कोऑपरेटिव बैंक के मामले में लगभग 87% जमाकर्ताओं को पूरी जमा राशि वापस मिल जाएगी। DICGC ने पहले ही ₹230.99 करोड़ का भुगतान प्रक्रिया में डाल दिया है, जिससे अधिकांश ग्राहकों को उनकी जमा राशि का पूरा भुगतान प्राप्त होगा।
RBI का कड़ा रुख
RBI ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की अखंडता बनी रहे। रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया कि द सिटी कोऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द करने का मुख्य कारण यह था कि यह बैंक अपने ग्राहकों को पूरी तरह से भुगतान करने में असमर्थ था। इसके अलावा, इसका संचालन जनहित में नुकसानदेह साबित हो सकता था।
बैंकिंग कार्यों पर प्रतिबंध
जब किसी बैंक का लाइसेंस रद्द होता है, तो उसे विभिन्न प्रकार की बैंकिंग गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाती है। द सिटी कोऑपरेटिव बैंक पर भी निम्नलिखित कार्यों पर रोक लगा दी गई है:
इस प्रकार, बैंक अब किसी भी प्रकार की नए वित्तीय कार्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यह कदम ग्राहकों की सुरक्षा और बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
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