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हिंदू मान्यताओं में खुले बाल रखने के नकारात्मक प्रभाव

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बालों का महत्व और उनकी देखभाल

बाल किसी भी व्यक्ति की सुंदरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से महिलाओं के लिए, लंबे, घने और काले बाल उनकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। महिलाएं अपने बालों को विभिन्न हेयरस्टाइल में सजाने का प्रयास करती हैं, जैसे कि कुछ चोटी बनाना पसंद करती हैं, जबकि अन्य जुड़ा बांधना पसंद करती हैं। कई महिलाएं अपने बालों को खुला रखना भी पसंद करती हैं।


खुले बाल रखने के धार्मिक दृष्टिकोण image

हालांकि, हिंदू धर्म में खुले बाल रखने को अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि यदि कोई महिला अपने बालों को खुला छोड़ देती है, तो उसे कई दुखों का सामना करना पड़ सकता है। शास्त्रों में भी कई उदाहरण हैं जहां महिलाओं के खुले बालों को अनहोनी से जोड़ा गया है, जैसे कि रामायण की माता कैकेई और महाभारत की द्रोपदी।


सीता की माँ का उपदेश सीताजी की माँ ने बताई थी बाल खुला न रखने की वजह
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माता सीता की माँ सुनयना ने विवाह के समय उन्हें सलाह दी थी कि बालों को कभी खुला नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि खुले बालों से रिश्ते बिखर जाते हैं, जबकि बंधे बाल रिश्तों को मजबूती प्रदान करते हैं।


कैकेई और द्रोपदी के उदाहरण कैकेई और द्रोपदी के बाल खुले रखने पर दिखे थे भयंकर परिणाम
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रामायण में, जब माता कैकेई ने अपने बाल खुले रखे थे, तो राजा दशरथ भी भयभीत हो गए थे। इसके परिणामस्वरूप राम और सीता का वनवास हुआ। इसी तरह, महाभारत में द्रोपदी ने भी अपने बाल खुले रखे थे, जिसके कारण धृतराष्ट्र के पुत्रों की तबाही हुई।


खुले बालों से नकारात्मक शक्तियों का आकर्षण नकारात्मक शक्तियों को आकर्षित करते हैं खुले बाल
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खुले बाल रखने से नकारात्मक शक्तियों का आकर्षण बढ़ता है। इसलिए, महिलाओं को विशेष रूप से रात के समय खुले बाल रखने से बचना चाहिए। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भी ऐसा करने से मना किया जाता है।


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