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छत्तीसगढ़ का अनोखा लिंगेश्वरी माता मंदिर: भक्तों की आस्था का केंद्र

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लिंगेश्वरी माता मंदिर की विशेषताएँ

भारत में कई मंदिर हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले का लिंगेश्वरी माता का मंदिर अपनी अनोखी पहचान के लिए जाना जाता है। यहां भगवान शिव का एक शिवलिंग माता के रूप में स्थापित है। यह मंदिर साल में केवल एक बार, 12 घंटों के लिए खुलता है। आइए, इस मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं।


मंदिर की अनोखी विशेषताएँ

1. लिंगेश्वरी माता का मंदिर ग्राम आलोर से 3 किमी दूर झांटीबन में स्थित है, जो एक ऊंची गुफा में बना है। यहां भक्त खड़े होकर नहीं, बल्कि रेंगकर माता के दर्शन करते हैं।


2. यह मंदिर हर साल भादो महीने की नवमी तिथि के बाद पहले बुधवार को खोला जाता है और केवल 12 घंटे के लिए खुला रहता है। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।



3. यहां खीरे का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसे ग्रहण करने से हर मुराद पूरी होने की मान्यता है। मंदिर में प्रवेश करते ही चारों ओर खीरे की महक महसूस होती है।


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4. जिन दंपत्तियों को संतान सुख नहीं मिल रहा, उन्हें यहां आकर खीरे का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इसके बाद उन्हें इसे अपने नाखूनों से तोड़कर आधा-आधा ग्रहण करना चाहिए।


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5. चूंकि मंदिर साल में केवल एक बार खुलता है, यहां भारी भीड़ होती है। इस स्थिति को संभालने के लिए मंदिर समिति और जिला प्रशासन सुरक्षा के लिए पूरी तैयारी करते हैं।


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6. हर साल मंदिर के खुलने पर गुफा के अंदर रेत में उभरे पदचिन्हों के आधार पर पेनपुजारी भविष्यवाणी करता है।


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7. उदाहरण के लिए, रेत पर कमल का निशान धन वृद्धि, हाथी के पैर का निशान समृद्धि, और घोड़े के खुर का निशान युद्ध और कला का प्रतीक है।


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8. लिंगेश्वरी माता का मंदिर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थित है, जिससे कुछ लोग यहां आने से हिचकिचाते हैं। लेकिन सच्चे भक्त बिना किसी डर के यहां आते हैं।


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9. इस मंदिर में भगवान शिव माता के रूप में विराजित हैं, जो शिव और शक्ति का समन्वित स्वरूप है। इसलिए इसे लिंगाई माता के नाम से जाना जाता है।


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