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पानीपुरी विक्रेता को जीएसटी नोटिस: ऑनलाइन भुगतान से बढ़ी कमाई

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पानीपुरी विक्रेताओं को जीएसटी नोटिस

हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें बताया गया है कि कुछ पानीपुरी विक्रेताओं को जीएसटी नोटिस प्राप्त हुए हैं। यह नोटिस इसलिए जारी किया गया है क्योंकि उनके ऑनलाइन लेन-देन, जैसे RazorPay और PhonePe के माध्यम से, 40 लाख रुपये से अधिक हो गए हैं।


हालांकि, यह खबर अपने आप में नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर आई प्रतिक्रियाओं के कारण चर्चा का विषय बन गई है!


सोशल मीडिया पर मजेदार प्रतिक्रियाएं

https://twitter.com/DrJagdishChatur/status/1874814265544368620?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1874814265544368620%7Ctwgr%5E75acf2ddad844e7eec276701ad84a3caa58a6975%7Ctwcon%5Es1_c10&ref_url=https%3A%2F%2Fm.dailyhunt.in%2Fnews%2Findia%2Fhindi%2Ftimesnownavbharat-epaper-dh2836e17b1dbf42ccb84836f6a870d8a4%2Fpanipurivendorgetsgstnoticepanipurivalekigajabkamaigstvibhagnebheja40lakhkanotisjobchodanekasamayaagaya-newsid-n646183060


सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर कई मजेदार टिप्पणियाँ आई हैं। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "उसे पूंजी बाजार में कदम रखना चाहिए: PP Waterballs," जबकि दूसरे ने मजाक में कहा, "लंदन में निर्यात के बेहतरीन अवसर हैं!" कुछ ने तो "विदेशी साझेदारी" और "80% निर्यात यूनिट" जैसे सुझाव भी दिए।


क्या सड़क विक्रेता जीएसटी से मुक्त हैं?

भारत में, सामान्यतः सड़क विक्रेता जीएसटी या आयकर से मुक्त होते हैं, क्योंकि उनकी कारोबारी गतिविधियाँ छोटे स्तर पर होती हैं। जीएसटी पंजीकरण केवल उन व्यवसायों के लिए अनिवार्य है जिनका वार्षिक कारोबार 40 लाख रुपये से अधिक हो। इसी तरह, आयकर केवल उन व्यक्तियों पर लागू होता है जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक हो, यदि उनकी उम्र 60 वर्ष से कम है।


इसलिए, अधिकांश सड़क विक्रेता छोटे लाभ पर काम करते हैं और ये सीमाएं उनके कारोबार के दायरे में नहीं आतीं, जिससे वे कर दायरे से बाहर रहते हैं। यदि वे नकद में भुगतान प्राप्त करते हैं, तो वे और भी आसानी से कर से बच सकते हैं।


ऑनलाइन भुगतान का बढ़ता प्रभाव

हालांकि, अब ये विक्रेता ऑनलाइन भुगतान के बढ़ते चलन के कारण चर्चा में आ गए हैं। आजकल ग्राहक अक्सर डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से भुगतान करना पसंद करते हैं, जिससे विक्रेताओं की लेन-देन राशि बढ़ गई है। इससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या छोटे विक्रेता अब टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।


सोशल मीडिया पर हलचल

इस पूरी स्थिति में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का तांता लगा हुआ है। एक उपयोगकर्ता ने मजाकिया अंदाज में कहा, "अब तो करियर बदलने का वक्त आ गया है!" इन चुटकुलों के बावजूद, यह मामला टैक्स नियमों और डिजिटल लेन-देन के प्रभाव पर गंभीर सवाल उठाता है।


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