सैंया/आगरा। उटंगन में हुए हादसे ने हंसते-खेलते परिवारों को जिंदगी भर न भूलने वाला दुख दिया है। पांच लोगों के शव मिलने के बाद उनके घरों में मातम छाया हुआ है। लापता सात लोगों के परिवार भी गम में डूबे हुए हैं। कुशियापुर निवासी भगवती की उटंगन नदी में डूबने से मृत्यु हो गई है। शुक्रवार दोपहर भगवती का शव बरामद हुआ था।
पत्नी कर रही थी पहली करवाचौथ की तैयारी, हादसे ने छीन लिया सुहाग
भगवती की शादी इसी वर्ष फरवरी में मथुरा में रहने वालीं चंचल के साथ हुई थी। हादसे से पहले पत्नी चंचल पहली करवाचौथ की तैयारी की जुटी हुई थीं। वह खरीदारी भी कर चुकी थीं। गुरुवार को हुए हादसे में पति भगवती की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद से चंचल का रो-रो कर बुरा हाल है। स्वजन उसे दिलासा दे रहे हैं।
जिंदा न सही, पार्थिव देह दे दो अंतिम संस्कार तो कर लेंगे
खेरागढ़। मूर्ति विसर्जन के दौरान उटंगन नदी में डूबे सात लोगों का तीसरे दिन भी सुराग नहीं लगा। लापता लोगों के स्वजन का रो-रो कर बुरा हाल है। लापता करन, सचिन, दीपक, गजेंद्र, हरेस, ओके व विनेश के स्वजन तीन दिन से उटंगन नदी के घाट पर नजरें गढ़ाए बैठे हैं। शनिवार की सुबह लापता गजेंद्र के पिता रेवती ने कहा कि बेटा तीन दिन से लापता है, वह भी पानी में डूब गया है। अब उसके बचने की उम्मीद तो बची नहीं है। पार्थिव देह मिल जाए तो अंतिम संस्कार तो विधिविधान से कर लेंगे।
तीन दिन से नहीं जले चूल्हे, पड़ोसी पहुंचा रहे खाना
सरेंधी। हादसे के बाद से मृतकों व लापता लोगों के घरों में तीन दिन से चूल्हे नहीं जले हैं। पड़ोस के लोग ढांढस बंधाने के साथ ही खाना पहुंचा रहे हैं। अपनों को खोने के दुख ने मृतकों व लापता लोगों के स्वजन की भूख-प्यास भी छीन ली है।
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