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अपनी दूसरी शादी ने नहीं, दूसरी मोहब्बत ने ली जान — विधवा रचना यादव के प्रेम ने बना डाले ऐसे राज़ कि 7 टुकड़ों में मिली उसकी लाश

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एक भयावह और शर्मनाक घटना ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। 13 तारीख को कोई किसान अपने खेत में दुर्गंध महसूस करता है और कुएँ में दो बोरी देखता है। जब बोरी खोली जाती है, तो उसमें एक महिला के शव के हिस्से पाए जाते हैं—एक बोरी में कमर से नीचे और दूसरी में कमर से ऊपर का हिस्सा। हाथ, पैर और सिर गायब थे। यह दृश्य देखने वालों के होश उड़ गए।

पहचान तक का रहस्य:
प्रकरण को “ब्लाइंड मर्डर” का नाम दिया गया। SSP की निगरानी में आठ अलग-अलग टीमें गठित की जाती हैं, जो दिन-रात इस मामले की गुत्थी सुलझाने में जुट जाती हैं। कुएँ से अन्य हिस्से निकाल लिए जाते हैं, फिर नदी से सिर और बाकी अवशेष बरामद किए जाते हैं। पहचान करना आसान नहीं था क्योंकि शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत था।

पहचान और जांच:
व्हिसलर की तरह पुलिस ने पोस्टर और तस्वीरें गांव-गांव चस्पाँ कीं। कई सौ लोगों से पूछताछ की गई; 100 से अधिक ग्रामीणों से बातचीत की और 200 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई। अंततः मृतका की पहचान रचना यादव (35) के रूप में हुई—वह मूलत: मध्यप्रदेश जिले की रहने वाली और विधवा थी।

रचना यादव का जीवन परिचय:
रचना का जीवन आसान नहीं था। वह दो बार शादीशुदा थीं और पहले पति से दो बच्चे थे। बाद में उन्होंने दूसरे पति के विरुद्ध दहेज उत्पीड़न और हत्या के प्रयास की शिकायत दर्ज की। इस कानूनी लड़ाई के दौरान, एक पूर्व प्रधान—संजय पटेल—उनका पक्ष लेता नजर आया। इसी दौरान उनके बीच करीबियाँ पनप गईं।

कसने लगी शादी की डिमांड, बना हत्याकांड:
दूसरी शादी के पति की हाल ही में मृत्यु हो चुकी थी। तब रचना ने संजय से विवाह की मांग करना शुरू कर दिया। संजय, जो पहले से विवाहित और दो बच्चों के पिता थे, इस दबाव से तेज़ी से परेशान हो गया। 8 तारीख को एक ड्राइव के बहाने वह, उसका भतीजा संदीप और एक अन्य साथी—दीपक (जिसका दूसरा नाम है Pradeep Ahirwar)—रचना को बुलाते हैं। उसी रास्ते में संजय और संदीप ने उसे गला घोंटकर हत्या कर दी। शव की पहचान मिटाने के लिए तीनों ने मिलीभगत से मृत शरीर को सात टुकड़ों में बाँट दिया और अलग-अलग स्थानों पर फ़ेंक दिया: दो बोरी कुएँ में, अन्य अवशेष नदी में।

गिरफ्तारी और इनाम:
पुलिस ने संजय और संदीप को गिरफ्तार कर लिया। तीसरा आरोपी—दीपक या प्रदीप अहिरवार—अभी फरार है। उसके खिलाफ ₹25,000 का इनाम घोषित किया गया है। वहीं, DIG, SP और SSP ने मामले को सात दिनों में सुलझाने वाली पुलिस टीम को कुल ₹90,000 का नकद इनाम भी दिया। SSP ने बताया कि तेज और परिश्रमी जांच ने इस जघन्य घटना का पर्दाफाश किया।

भावनात्मक और सामाजिक पहलू:
यह कहानी केवल एक हत्या की नहीं, बल्कि उस दवाब की कहानी है जो समाज, पारिवारिक संस्कार और महिलाओं की उम्मीदों के बीच बनता है। रचना यादव एक अवलंबनीय महिला थीं; उन्होंने समाज-व्यवस्था से न्याय की उम्मीद की और अंततः प्रेम और विश्वासघात ने उनका जीवन खो दिया। यह घटना प्रदेश में घरेलू हिंसा और महिला सुरक्षा की चुनौतियों को उकेरती है।

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