राजस्थान के भरतपुर से अजब-गजब मामला सामने आया है. यहां रहने वाली एक विवाहिता को उसे सरकारी दस्तावेजों में मृत दिखाया गया है. महिला तीन महीने से दर-दर भटक रही ताकि उसके दस्तावेजों को ठीक किया जाए. मामला सामने तब आया जब महिला ने योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन किया और जन आधार कार्ड में खुद को मृत पाया.
महिला का नाम दुर्गेश है. दुर्गेश की शादी 2020 में हाड़ौली निवासी संदीप शर्मा से हुई थी. उसका आरोप है कि शादी के बाद से ही दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ना शुरू हो गई. 1 अप्रैल 2024 को उसने उच्चैन थाने में पति और ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज कराया. पुलिस ने चालान कोर्ट में पेश कर दिया है और मामला विचाराधीन है. दुर्गेश ने बताया कि 31 दिसंबर 2023 को ई-मित्र से दस्तावेज ठीक कराने के लिए आवेदन दिया था. लेकिन रिकॉर्ड में उनके नाम हटाने का कारण मृत्यु बताया गया. अब बड़ा सवाल यह है कि बिना डेथ सर्टिफिकेट जारी किए किसी को मृत कैसे घोषित किया जा सकता है?
सब पति का किया धरा
इन सब के लिए महिला ने पति पर आरोप लगाया है. महिला का कहना है कि ये सब उसके पति का किया धरा है. उसी ने सरकारी दफ्तरों में गलत जानकारी दी होगी. दुर्गेश बोली- डॉक्यूमेंट में मृत बताए जाने के बाद मैं दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हूं. 3 महीने पहले जन आधार में मृत बताए जाने के बाद से मैं काफी परेशान हूं. जब मैंने सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आवेदन किया तो उसे इसकी जानकारी का पता तब चला.
नगर पालिका ने दी सफाई
उधर, नगर पालिका प्रशासन ने सफाई दी कि उनके कार्यालय से कोई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ है. नाम हटाने की प्रक्रिया ई-मित्र के माध्यम से आई, जिसमें कारण मृत्यु अंकित कर दिया गया. इस पर जब नगर पालिका उच्चैन के अधिशाषी अधिकारी भी कोई सटीक जानकारी नहीं दे पाए. देखना ये होगा कि महिला को इंसाफ मिलता है या नहीं.
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