वाराणसी में पुलिस और वकीलों के बीच का विवाद बढ़ता जा रहा है। दोनों के बीच हुई फिर से तीखी नोकझोंक के बाद अब लेडी IPS नीतू कादयान को हटाने के लिए 700 वकील सड़क पर उतर गए हैं।
वह आंदोलन करने की धमकी देते हुए प्रशासन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। विवाद बढ़ता देख काशी में कमिश्नर ऑफिस के बाहर भारी फोर्स तैनात कर दी गई है। दरअसल, यह पूरा मामला पुलिस और वकीलों के बीच कहासुनी को लेकर है, जिसमें शहर के सभी एडवोकेट के टारगेट पर आईपीएस अफसर नीतू कादयान आ गई हैं। आइए जानते हैं कौन हैं ये अधिकारी और क्या है पूरा केस…
जानिए क्या है वाराणसी पुलिस का ये पूरा मामला
दरअसल, यह पूरा मामला 13 सितंबर को दो भाइयों के बीच जमीन विवाद को लेकर शुरू हुआ था।
जनसुनवाई में पहुंचें दोनों पक्षों को पुलिस ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह उल्टा भिड़ गए। इसके बाद पुलिस ने उनका चालान कर दिया और कोर्ट में केस पहुंचा। इसी बीच एक वकील के साथ दरोगा ने मारपीट कर दी। फिर वकीरों ने मिलकर उसे दरोगे के साथ मारपीट कर दी तो पुलिस ने उनके खिलाफ केस कर दिया। वकीलों ने आरोप लगाया किADCP नीतू कादयान ने उनके साथ बदसलूकी की।
कौन है यूपी की ये लेडी आईपीएस
ADCP नीतू कादयान 2020 की अधिकारी हैं। यूपीएससी परीक्षा पास और ट्रेनिंग के बाद साल 2023 में उनकी पहली पोस्टिंग यूपी के वाराणसी में चेतगंज के एसीपी के रूप में हुई। साल 2024 में वह अपर पुलिस आयुक्त बनी हैं। कादयान मूल रूप से झज्जर हरियाणा की रहने वाली हैं।
कांग्रेस ने पीएम मोगी से हस्तक्षेप करने की मांग
वहीं इस पूरे मामले में अब राजनीति भी होने लगी है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय राय ने यूपी पुलिस प्रशासन और योगी सरकार पर जमकर हमला बोला है। अजय राय ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा- काशी मेरा परिवार है और मैं अपने परिवारजनों के लिए चट्टान की तरह खड़ा हूं। वकील और पुलिस के बीच विवाद सुलझाने के लिए मैंने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री जी तत्काल हस्तक्षेप करें।
You may also like
कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा का बड़ा बयान, कहा- कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्यायवाची
दो दिन तक मातोश्री में रहा बालासाहेब ठाकरे का शव, सीबीआई जांच होनी चाहिए: रामदास कदम
मलिन बस्तियों का कायाकल्प जरूरी, मूलभूत सुविधाओं का हो विस्तारः सीएम योगी
मिशन बाल वार्ता : मेहसाणा के बच्चों की कहानियां जल्द होंगी प्रकाशित, पढ़ाई और लेखन को मिली नई दिशा
पीएम मोदी ने शुरू किया था 'वांचे गुजरात' अभियान, बाद में 'परीक्षा पे चर्चा' से छात्रों को मिला सहारा