- दुनिया में सभी इंसान जवान दिखना चाहते हैं, लेकिन इस समय में हमारा खान-पान ऐसा ही हो गया है और आज की व्यस्त लाइफ स्टाइल के कारण बुढ़ापे के लक्षण कम उम्र में ही नजर आने लगते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सालों तक जवान दिखते हैं, लेकिन बहुत से लोगों में बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं जैसे कि चेहरे पर झुर्रियां, शरीर में कमजोरी, त्वचा कमजोर होना इत्यादि दिखने लगते हैं।
- आजकल कई सालों तक जवान रहने के लिए कई प्रकार की मेडिसिन तथा आयुर्वेदिक दवाइयां मौजूद है, लेकिन हम आपको एक ऐसा घरेलू उपाय बताने जा रहे है, जिसके इस्तेमाल से आपने सालों तक जवान रह सकते हैं।
बुढापे तक जवान रहने के लिए रात को करे ये उपाय :
हम जिस चीज की बात कर रहे हैं वह अजवाइन है। आप सालों तक जवान दिखने के लिए इसका इस्तेमाल सबसे अच्छा उपाय है। रोजाना रात को एक चम्मच अजवाइन खाकर एक गिलास गर्म पानी पिए। जिससे आपकी चेहरे की झुर्रियां कम हो जाएगी। जिससे आप जवान दिखोगे सालों तक तथा ताकत भी आएगी और अजवाइन के रोजाना गर्म पानी के सेवन करने से पेट की लगभग सभी बीमारियां दूर हो जाएगी। चेहरे के काले दाग दब्बों के लिए : लगभग 25 ग्राम देसी अजवाइन को पीसकर 25 ग्राम दही में मिला लें और सोते समय चेहरे पर लगाएं। सुबह उठने के बाद चेहरे को हल्के गर्म पानी से धोने से चेहरे के काले दाग दूर होते है। अजवायन, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर एकत्र कर लें। इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट का दर्द नष्ट होता है। इस चूर्ण के साथ वचा, सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली का काढ़ा गर्म-गर्म ही रात में पीने से कफ व गुल्म नष्ट होता है। पसलियों का दर्द : 250 ग्राम अजवाइन एक चम्मच में लेकर पानी में उबालें, चौथाई भाग शेष रहने पर काढ़े को छानकर रात को सोते समय गर्म-गर्म करके 2 चम्मच रोजाना रात को पीकर सो जायें। ऐसा करने से 2-4 दिन में ही रोग में आराम मिलता है। कैन्सर (कर्कट) के रोग : 1 मिट्टी के बर्तन में 300 मिलीलीटर पानी भर लें। इसमें 12 ग्राम अजवाइन, 12 ग्राम मोटी सौंफ, 2 बादाम की गिरी रात को भिगो दें। सुबह पानी के साथ छानकर इनको पत्थर के सिलबट्टे पर पीसें। इनको पीसने में इन्हें भिगोकर छाना हुआ पानी ही काम में लें। फिर 21 पत्ते तुलसी के तोड़कर, धोकर इस पिसे पेस्ट में डालकर फिर से बारीक पीसें और छानकर रखे पानी में स्वाद के अनुसार मिश्री पीसकर घोलें। अन्त में पेस्ट मिलाकर कपड़े से छान लें और पीयें। यह सारा काम पीसकर, घोल बनाकर पीना, सब सूर्य उगने से पहले करें। सूर्य उगने के बाद बनाकर पीने से लाभ नहीं होगा। इसे करीब 21 दिनों तक सेवन करें। जब तक लाभ न हो, आगे भी पीते रहें। इससे हर प्रकार के कैंसर से लाभ होता है। पक्षाघात (लकवा, फालिस फेसियल परालिसिस) होने पर : 12 ग्राम देशी अजवाइन को 125 मिलीलीटर पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में रात को भिगोऐं। सुबह इसी पानी को निथारकर पीयें। 1 सप्ताह तक लगातार इसका प्रयोग करने से जिगर के खून की कमी दूर हो जाती है। अजवाइन के 270 फायदे जान आप दंग रह जायेंगे
अजवाइन (Ajwain) :
- अजवाइन के गुणों की प्रशंसा में आयुर्वेद में कहा गया है “एका यमानी शतमन्न पाचिका” अर्थात इसमें सौ प्रकार के अन्न पचाने की ताकत होती है। अनेक प्रकार के गुणों से भरपूर अजवायन पाचक रूचि कारक, तीक्ष्ण, कढवी, अग्नि प्रदीप्त करने वाली, पित्तकारक तथा शूल, वात, कफ, उदर आनाह, प्लीहा, तथा क्रमि इनका नाश करने वाली होती है। अजवायन की पत्ती में एंटी बैक्टीरियल गुण होता है जो कि संक्रमण से लड़ने में मदद करता है अजवायन में लाल मिर्च की तेजी, राई की कटुता तथा हींग और लहसुन की वातनाशक गुण एक साथ मिलते है इस लिए यह गुणों का भंङार है यह उदर शूल, गैस, वायुशोला, पेट फूलना, वात प्रकोप आदि को दूर करता है इसी कारण इसे घर पर छुपा हुआ वैध्य भी कहा गया है अति गर्म प्रकृति वालों के लिए यह हानिकारक होती है।
- अजवाइन गर्म व शुष्क प्रकृति की होती है। अजवाइन एक प्रकार का बीज है जो अजमोद के समान होता है। अजवाइन 2 से 5 ग्राम, तेल 1 से 3 बूंद तक ले सकते हैं। अजवाइन का आयुर्वेद में इन रोगों का शमन करने की चमत्कारी औषिधि माना है- पाचक, तीखी, रुचिकारक (इच्छा को बढ़ाने वाली), गर्म, कड़वी, हृदय के लिए हितकारी, कफ को हरने वाली, बुखारनाशक, सूजननाशक, मूत्रकारक (पेशाब को लाने वाला), कृमिनाशक (कीड़ों को नष्ट करने वाला), वमन (उल्टी) , शूल, पेट के रोग, जोड़ों के दर्द में, वादी बवासीर (अर्श) , प्लीहा (तिल्ली) के रोगों का नाश करने वाली गर्म प्रकृति की औषधि है। आइये जानते है अजवाइन के 270 फायदों के बारे में।
अजवाइन (Ajwain) के 270 अद्भुत फायदे :
यकृत के रोग : 2 ग्राम पिसी अजवाइन, 1 ग्राम पिसी सोंठ को 1 कप पानी में रात को भिगोएं, सुबह इसे मसलकर छान लें और कम गर्म करके पीयें। इस प्रयोग को 15 दिन तक लगातार करें। इससे यकृत के रोग से लाभ होता है। पथरी : अजवाइन 5 ग्राम और जीरा 4 ग्राम को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ लेने से सभी प्रकार की पथरी निकल जाती है। अजवाइन 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम फांकने से गुर्दे व मलाशय की पथरी घुलकर निकल जाती है। अम्लपित्त : 1 चम्मच पिसी हुई अजवाइन, 1 गिलास पानी और 1 नींबू का रस मिलाकर पीने से अम्लपित्त में लाभ होता है। यकृत का बढ़ना : 1.5 ग्राम अजवाइन का चूर्ण और 5 मिलीलीटर भांगरे का रस एक साथ मिलाकर पिलाने से यकृत वृद्धि मिट जाती है। अजवाइन, चीता, यवक्षार, पीपलामूल, दन्ती की जड़, छोटी पीपल आदि को एक साथ 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से एक चुटकी चूर्ण दही के पानी के साथ बच्चे को दें। इससे यकृत रोग मिट जाता है। पाचन क्रिया का खराब होना : अजवाइन का रस या पुनर्नवा का रस या मकोए का रस एक तिहाई कप में पानी मिलाकर भोजन के बाद दिन में सुबह और शाम प्रयोग करें। पेट में कृमि (पेट के कीड़े) होने पर : अजवाइन के लगभग आधा ग्राम चूर्ण में इसी के बराबर मात्रा में कालानमक मिलाकर सोते समय गर्म पानी से बच्चों को देना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। कृमिरोग में पत्तों का 5 मिलीलीटर अजवाइन का रस भी लाभकारी है। अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए चूर्ण की 1 से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं। अजवाइन के बारीक चूर्ण 4 ग्राम को 1 गिलास छाछ के साथ पीने या अजवाइन के तेल की लगभग 7 बूंदों को प्रयोग करने से लाभ होता है। अजवाइन को पीसकर प्राप्त रस की 4 से 5 बूंदों को पानी में डालकर सेवन करने आराम मिलता है। आधे से एक ग्राम अजवाइन का बारीक चूर्ण करके गुड़ के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे दिन में 3 बार खिलाने से छोटे बच्चों (3 से लेकर 5 साल तक) के पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं। अजवाइन का आधा ग्राम बारीक चूर्ण और चुटकी भर कालानमक मिलाकर सोने से पहले 2 गाम की मात्रा में पिलाने से पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं। अजवाइन का चूर्ण आधा ग्राम, 60 ग्राम छाछ के साथ और बड़ों को 2 ग्राम चूर्ण और 125 मिलीलीटर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। अजवाइन का तेल 3 से 7 बूंद तक देने से हैजा तथा पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। 25 ग्राम पिसी हुई अजवाइन आधा किलो पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह इसे उबालें। जब चौथाई पानी रह जाये तब उतार कर छान लें। ठंडा होने पर पिलायें। यह बड़ों के लिए एक खुराक है। बच्चों को इसकी दो खुराक बना दें। इस तरह सुबह, शाम दो बार पीते रहने से पेट के छोटे-छोटे कृमि मर जाते हैं अजवाइन के 2 ग्राम चूर्ण को बराबर मात्रा में नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से अजीर्ण (पुरानी कब्ज), जोड़ों के दर्द तथा पेट के कीड़ों के कारण उत्पन्न विभिन्न रोग, आध्मान (पेट का फूलना और पेट में दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं। पेट में जो हुकवर्म नामक कीडे़ होते हैं, उनका नाश करने के लिए अजवाइन का बारीक चूर्ण लगभग आधा ग्राम तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर से 3 बार देने से और मामूली जुलाब (अरंडी तैल नही दें) देने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं। यह प्रयोग, पीलिया के रोगी और निर्बल पर नहीं करना चाहिए। गठिया (जोड़ों का दर्द) : जोड़ों के दर्द में पीड़ित स्थानों पर अजवाइन के तेल की मालिश करने से राहत मिलेगी। गठिया के रोगी को अजवाइन के चूर्ण की पोटली बनाकर सेंकने से रोगी को दर्द में आराम पहुंचता है। जंगली अजावयन को अरंड के तेल के साथ पीसकर लगाने से गठिया का दर्द ठीक होता है। अजवाइन का रस आधा कप में पानी मिलाकर आधा चम्मच पिसी सोंठ लेकर ऊपर से इसे पीलें। इससे गठिया का रोग ठीक हो जाता है। 1 ग्राम दालचीनी पिसी हुई में 3 बूंद अजवाइन का तेल डालकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे दर्द ठीक होता है। मिट्टी या कोयला खाने की आदत : एक चम्मच अजवाइन का चूर्ण रात में सोते समय नियमित रूप से 3 हफ्ते तक खिलाएं। इससे बच्चों की मिट्टी खाने की आदत छूट जाती है। पेट में दर्द : एक ग्राम काला नमक और 2 ग्राम अजवाइन गर्म पानी के साथ सेवन कराएं। शीतपित्त : अजवाइन 50 ग्राम अच्छी तरह कूटकर 50 ग्राम गुड़ के साथ 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह-शाम 1-1 गोली ताजे पानी के साथ लें। एक हफ्ते में ही सारे शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी। आधा चम्मच अजवाइन और एक चम्मच गुड़ मिलाकर सेवन करने से जल्द ही लाभ होगा। पित्ती होने पर 1 चम्मच अजवाइन और कालानमक मिलाकर सुबह खाली पेट पानी से फंकी लेने से फायदा होता है। अजवाइन और गेरू मिलाकर गुड़ के साथ खाने से लाभ होता है। अजवायन और शुद्ध गंधक को बराबर मात्रा में मिलाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम मात्रा में शहद के साथ खाने से शीतपित्त खत्म होती है। अजवाइन और गेरू को सिरके में पीसकर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है। अजवाइन, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, जवाखार। इन सब चीजों को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें इसमें से दो चुटकी चूर्ण रोज गर्म पानी के साथ खायें। मोटापा नाशक : अजवाइन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम, कालीमिर्च 20 ग्राम की मात्रा में कूटकर छानकर रख लें। रोजाना एक पुड़िया सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीयें। यह प्रयोग शरीर में चर्बी को कम करके मोटापा दूर कर देता है। रक्तपित्त : अजवाइन 5 ग्राम, पिपरमेंट 10 दाने और गुड़ 10 ग्राम। तीनों को मिलाकर दो खुराक बनायें तथा सुबह-शाम इसका प्रयोग करें। इससे रक्तपित्त खत्म हो जाता है। नींद न आना : जब किसी व्यक्ति को नींद नहीं आ रही हो तो अजवाइन के तेल को कान के पीछे कनपटियों पर मलने से नींद आ जाती है। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खुरासानी अजवाइन का चूर्ण सुबह-शाम लेने से अच्छी नींद आती है। नाक के कीड़े : खुरासानी अजवाइन के काढ़े से नाक के जख्म को साफ करने से दर्द कम हो जाता है। प्लीहा (तिल्ली) में वृद्धि होने पर : सुबह के समय 2 कप पानी मिट्टी के बर्तन में लें। इसमें 15 ग्राम अजवाइन डालकर दिन में घर के अंदर और रात में खुले में रख दें। अगले दिन सुबह उठकर छानकर इसे पियें तथा इसका प्रयोग लगातार 15 दिनों तक करें, इससे बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है। केवल अजवाइन का भी प्रयोग किया जा सकता है। अजवाइन, चित्रक के जड़ की छाल, दन्ती और बच इन सभी का चूर्ण बना लें और रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम दही के पानी से सेवन करें या 6 ग्राम गोमूत्र के साथ जवाखार लेने से तिल्ली निश्चित रूप से छोटी हो जाती है। नाक के रोग : 10 ग्राम अजवाइन और 40 ग्राम पुराने गुड़ को लगभग 450 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालने के लिए रख दें। उबलने पर जब 250 मिलीलीटर के करीब पानी बाकी रह जाये तो उस पानी को थोड़ी देर तक रखकर थोड़ा ठंडा होने पर पीकर ऊपर से चादर ओढ़ कर सो जाये। इससे छींक आना बंद हो जाती है। अजवाइन के काढ़े या अजवाइन के रस से फुंसियों को अच्छी तरह से साफ करने से नाक की फुंसियां ठीक हो जाती हैं। पाला मारना : अजवाइन का चूर्ण बनाकर शरीर व हाथ-पैर की मालिश करने से शरीर का ताप बढ़ जाता है। वात रोग : खुरासानी अजवाइन का प्रयोग गठिया, घुटने के रोग की सूजन में बहुत ही फायदेमंद होती है। आक्षेप (बेहोशी अवस्था में कांपना) : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खुरासानी अजवाइन सुबह और शाम को खाने से आक्षेप, मिर्गी और अनिद्रा में बहुत लाभ प्राप्त होता है। गुल्म (वायु का गोला) : अजवाइन का चूर्ण और थोड़ा-सा संचर नमक छाछ (मट्ठे) में मिलाकर पीने से कफ से उत्पन्न गुल्म में लाभ होता हैं। नजला, नया जुकाम : 10 ग्राम अजवाइन को एक साफ कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर रखकर गर्म कर लें। इसको बार-बार नाक से सूंघने से बंद नाक खुल जाती है और जुकाम भी ठीक हो जाता है नाक का गंदा पानी निकल जाता है और सिर का भारी होना भी ठीक हो जाता है। पेट के दर्द में : अजवाइन और काला नमक को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ पीने से पेट में दर्द मिटता है। 20 ग्राम अजवाइन तथा 10 ग्राम नौसादर को पीसकर रख लें। इसे 2 ग्राम की खुराक के रूप में गर्म पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है। 2 ग्राम अजवाइन और 1 ग्राम नमक को मिलाकर गर्म पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है। 15 ग्राम अजवाइन, 5 ग्राम कालानमक और आधा ग्राम हींग को अच्छी तरह पीसकर शीशी में रखकर लें, आधा चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं। 2 चम्मच अजवाइन, 8 चम्मच जीरा और 2 चम्मच कालानमक को पीसकर शीशी में भरकर रख लें, फिर 1 गिलास पानी में 2 चम्मच का चूर्ण और नींबू को निचोड़कर पीने से पेट के दर्द, अपच (भोजन का न पचना) में लाभ मिलता है। 1 चम्मच अजवाइन गुड़ को मिलाकर चाटने से लाभ होता है। अजवाइन, झाऊ का बक्कल, धनिया, त्रिफला, बड़ी पीपल, काला जीरा, अजमोद, पीपला मूल (पीपल की जड़) और वायबिडंग को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर रख लें। इस बने चूर्ण में 4 गुना थूहर का दूध डालकर मिश्रण बना लें, फिर रोज थोड़ी-सी मात्रा में लेकर प्रयोग करने से पेट की बीमारियों में लाभ होता है। अजवाइन 1 चम्मच, जीरा आधा चम्मच को बारीक पीसकर मिश्रण बना लें, इसमें आधे नींबू का रस और थोड़ी-सी मात्रा में कालानमक मिलाकर पीने से भोजन का न पचना और पेट की गैस में लाभ होता है। अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए रस को थोड़ी मात्रा में पानी के साथ सुबह और शाम दें। अजवाइन का चूर्ण 60 ग्राम और काला नमक 10 ग्राम को पानी के साथ पीने से पेट का दर्द, पेट की गैस (अफारा), वायु गोला (मल के न त्यागने के कारण रुकी हुई वायु या गैस) में तुरंत लाभ होता है। अजवाइन 12 ग्राम, सोंठ 6 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक को पीसकर छानकर प्रयोग करें। अजवाइन का चूर्ण 300 ग्राम और 50 ग्राम कालानमक को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से खांसी, पेट का तनाव, गुल्म (ट्यूमर), तिल्ली (प्लीहा), कफ और गैस की काफी बीमारियों को समाप्त करती है। अजवाइन, सेंधानमक, संचर नमक, यवाक्षार, हींग, सूखा आंवला को पीसकर चूर्ण बना लें। इसे 5 से 10 ग्राम की मात्रा में रोज शहद के साथ सुबह और शाम चाटने से पेट के दर्द में आराम होता है। अजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता या हाऊबेर को अच्छी तरह पीसकर छाछ के साथ पीने से `जलोदर´ बादी के कारण होने वाला दर्द मिट जाता है। अजवाइन के चूर्ण को पोटली में बांधकर पेट पर सेंकने से पेट की पीड़ा शांत होती है। 3 से 5 ग्राम अजवाइन के चूर्ण में 1 ग्राम कालानमक डालकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है। एक चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच जीरा को बारीक पीसकर उसमें आधे नींबू का रस और थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर पी लें। इसे पीने से पेट की गैस और भोजन के न पचने के कारण होने वाली बीमारियों में लाभ होता है। 300 ग्राम अजवाइन को तवे पर, 300 ग्राम हींग को लौह के बर्तन पर तब तक भूने जब तक वह लाल न हो जाये, फिर इसमें 250 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस बने चूर्ण को 8 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ दिन में दो बार रोजाना देने से पेट के दर्द, गैस और कब्ज की शिकायत में लाभ होता है। पिसी अजवाइन का चूर्ण लगभग 1ग्राम का चौथा भाग को दूध में मिलाकर दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से पेट के दर्द में लाभ होता हैं। अजवाइन 3 ग्राम को लाहौरी नमक 1 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ लें। अजवाइन 2 ग्राम और नमक एक ग्राम गर्म पानी के साथ देने से पेट दर्द बंद हो जाता है और पाचन क्रिया ठीक होती है। पतले दस्त होते हो तो वे बंद हो जाते हैं, प्लीहा की विकृति दूर हो जाती है। 15 ग्राम अजवाइन, 5 ग्राम कालानमक और आधा ग्राम हींग तीनों को पीसकर शीशी में भर लें। पेट दर्द होने पर 1 ग्राम की मात्रा सुबह-शाम गर्म पानी से लें। इससे भूख भी बढ़ती है। पेशाब में खून आना : 3-3 चम्मच शर्बत बजुरी या अंजवार को आधा कप पानी में मिलाकर सोते समय लेने से पेशाब में खून आने के रोग मे लाभ होता है। बंद पेशाब खुल जाये : ठंडी प्रकृति वाले रोगी को आधा चम्मच पिसी हुई अजवाइन शहद के साथ और गर्म प्रकृति वाले को आधा चम्मच पिसी हुई अजवाइन सिरके के साथ देने से बंद पेशाब आने लग जाता है। स्त्री रोगों में : प्रसूता (जो स्त्री बच्चे को जन्म दे चुकी हो) को 1 चम्मच अजवाइन और 2 चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कमर का दर्द दूर हो जाता है और गर्भाशय की शुद्धि होती है। साथ ही साथ भूख लगती है व शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है तथा मासिक धर्म की अनेक परेशानियां इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं। नोट : प्रसूति (डिलीवरी) के पश्चात योनिमार्ग में अजवाइन की पोटली रखने से गर्भाशय में जीवाणुओं का प्रवेश नहीं हो पाता और जो जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं वे नष्ट हो जाते है। जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए योनिमार्ग से अजवाइन का धुंआ भी दिया जाता है तथा अजवाइन का तेल सूजन पर लगाया जाता है। खांसी : एक चम्मच अजवाइन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी का सेवन करने से लाभ होता है। रात में लगने वाली खांसी को दूर करने के लिए पान के पत्ते में आधा चम्मच अजवाइन लपेटकर चबाने और चूस-चूसकर खाने से लाभ होगा। 1 ग्राम साफ की हुई अजवाइन को लेकर रोजाना रात को सोते समय पान के बीडे़ में रखकर खाने से खांसी में लाभ मिलता है। जंगली अजवाइन का रस, सिरका तथा शहद को एक साथ मिलाकर रोगी को रोजाना दिन में 3 बार देने से पुरानी खांसी, श्वास, दमा एवं कुक्कुर खांसी (हूपिंग कफ) के रोग में लाभ होता है। अजवाइन के रस में एक चुटकी कालानमक मिलाकर सेवन करें। और ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे खांसी बंद हो जाती है। अजवाइन के चूर्ण की 2 से 3 ग्राम मात्रा को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से भी जुकाम सिर दर्द, नजला, मस्तकशूल (माथे में दर्द होना) और कृमि (कीड़ों) पर लाभ होता है। कफ अधिक गिरता हो, बार-बार खांसी चलती हो, ऐसी दशा में अजवाइन का बारीक पिसा हुआ चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, घी 2 ग्राम और शहद 5 ग्राम में मिलाकर दिन में 3 बार खाने से कफोत्पित्त कम होकर खांसी में लाभ होता है। खांसी तथा कफ ज्वर यानि बुखार में अजवाइन 2 ग्राम और छोटी पिप्पली आधा ग्राम का काढ़ा बनाकर 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है। 1 ग्राम अजवाइन रात में सोते समय मुलेठी 2 ग्राम, चित्रकमूल 1 ग्राम से बने काढ़े को गर्म पानी के साथ सेवन करें। 5 ग्राम अजवाइन को 250 मिलीलीटर पानी में पकायें, आधा शेष रहने पर, छानकर नमक मिलाकर रात को सोते समय पी लें। खांसी पुरानी हो गई हो, पीला दुर्गन्धमय कफ गिरता हो और पाचन क्रिया मन्द पड़ गई हो तो अजवाइन का जूस दिन में 3 बार पिलाने से लाभ होता है। बिस्तर में पेशाब करना : सोने से पूर्व 1 ग्राम अजवाइन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से खिलाएं। पाचक चूर्ण : अजवाइन और हर्र को बराबर मात्रा में लेकर हींग और सेंधानमक स्वादानुसार मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर सुरक्षित रख लें। भोजन के पश्चात् 1-1 चम्मच गर्म पानी से लें। बहुमू़त्र (बार-बार पेशाब आना) : 2 ग्राम अजवाइन को 2 ग्राम गुड़ के साथ कूट-पीसकर, 4 गोली बना लें, 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 गोली पानी से लें। इससे बहुमूत्र रोग दूर होता है। अजवाइन और तिल मिलाकर खाने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है। गुड़ और पिसी हुई कच्ची अजवाइन समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच रोजाना 4 बार खायें। इससे गुर्दे का दर्द भी ठीक हो जाता है। जिन बच्चे को रात में पेशाब करने की आदत होती है उन्हें रात में लगभग आधा ग्राम अजवाइन खिलायें। मुंहासे : 2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें। दांत दर्द : पीड़ित दांत पर अजवाइन का तेल लगाएं। 1 घंटे बाद गर्म पानी में 1-1 चम्मच पिसी अजवाइन और नमक मिलाकर कुल्ला करने से लाभ मिलता है। अजवाइन और बच बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर लुगदी (पेस्ट) बना लें। आधा ग्राम लुग्दी (पेस्ट) रात को सोते समय दाढ़ (जबड़े) के नीचे दबाकर सो जाएं। इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं तथा दर्द खत्म हो जाता है। अपच, मंदाग्नि में (पाचन शक्ति में) : भोजन के बाद नियमित रूप से 1 चम्मच सिंकी हुई व सेंधानमक लगी अजवाइन चबाएं। जूं, लीख : 1 चम्मच फिटकिरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ में मिलाकर बालों की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धोयें। इससे सिर में होने वाली जूं और लीखें मरकर बाहर निकल जाती हैं। पुराना बुखार, मन्द ज्वर : 15 ग्राम की मात्रा में अजवाइन लेकर सुबह के समय मिट्टी के बर्तन में 1 कप पानी में भिगो दें। इस बर्तन को दिन में मकान में और रात को खुले आसमान के नीचे ओस में रखें। दूसरे दिन इसको सुबह के समय छानकर इस पानी को पी लें। यह प्रयोग लगातार 15 दिनों तक करें। यदि बुखार पूरी तरह से न उतरे तो यह प्रयोग कुछ दिनों तक और भी चालू रखा जा सकता है। इस उपचार से पुराना मन्द ज्वर ठीक हो जाता है और यदि यकृत और तिल्ली बढ़ी हुई हो तो वह भी ठीक हो जाते हैं साथ ही साथ भूख खुलकर लगने लगती है। बांझपन (गर्भाशय के न ठहरने) पर : मासिक-धर्म के आठवें दिन से नित्य अजवाइन और मिश्री 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर 125 ग्राम पानी में रात्रि के समय एक मिट्टी के बर्तन में भिगों दें तथा प्रात:काल के समय ठंडाई की भांति घोंट-पीसकर सेवन करें। भोजन में मूंग की दाल और रोटी बिना नमक की लें। इस प्रयोग से गर्भ धारण होगा। खटमल : चारपाई के चारों पायों पर अजवाइन की 4 पोटली बांधने से खटमल भाग जाते हैं। मच्छर : अजवाइन पीसकर बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर उसमें गत्ते के टुकड़ों को तर (भिगो) करके कमरे में चारों कोनों में लटका देने से मच्छर कमरे से भाग जाते हैं। भोज्य पदार्थों के लिए : पूरी, परांठे आदि कोई भी पकवान हो, उसको अजवाइन डालकर बनाएं। इस प्रकार के भोजन को खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है और खाई गई चीजें आसानी से पच जाती हैं। पेट के पाचन सम्बन्धी रोगों में अजवाइन लाभदायक है। सिर में दर्द होने पर : 200 से 250 ग्राम अजवाइन को गर्म कर मलमल के कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर गर्म करके सूंघने से छींके आकर जुकाम व सिर का दर्द कम होता है। अजवाइन को साफ कर महीन चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 2 से 5 ग्राम की मात्रा में नस्वार की तरह सूंघने से जुकाम, सिर का दर्द, कफ का नासिका में रुक जाना एवं मस्तिष्क के कीड़ों में लाभ होता है। अजवाइन और अरंड की जड़ को पीसकर माथे पर लेप करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है। अजवाइन के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है। कर्णशूल (कान दर्द) : 10 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में पकाकर सहने योग्य गर्म तेल को 2-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द मिट जाता है। पेट में पानी की अधिकता होना (जलोदर) : गाय के 1 लीटर पेशाब में अजवाइन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गौमूत्र के साथ खाने से जलोदर मिटता है। यही अजवाइन जल के साथ खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं। अजवाइन को बारीक पीसकर उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से जलोदर एवं पेट के अफारे में लाभ होता है। अजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर मात्रा में मिलाकर छाछ पीने से जलोदर में लाभ होता है। अजवाइन, हाऊबेर, त्रिफला, सोंफ, कालाजीरा, पीपरामूल, बनतुलसी, कचूर, सोया, बच, जीरा, त्रिकुटा, चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरमूल, कूठ, पांचों नमक और बायबिण्डग को 10-10 ग्राम की बराबर मात्रा में, दन्ती 30 ग्राम, निशोथ और इन्द्रायण 20-20 ग्राम और सातला 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी तरह बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर बनाकर रख लें। यह चूर्ण सभी प्रकार के पेट की बीमारियों में जैसे अजीर्ण, मल, गुल्म (पेट में वायु का रुकना), वातरोग, संग्रहणी (पेचिश), मंदाग्नि, ज्वर (बुखार) और सभी प्रकार के जहरों की बीमारियों को समाप्त करती है। इस बने चूर्ण को 3 से 4 गर्म की मात्रा में निम्न रोगों में इस प्रकार से लें, जैसे- पेट की बीमारियों में- छाछ के साथ, मल की बीमारी में- दही के साथ, गुल्म की बीमारियों में- बेर के काढ़े के साथ, अजीर्ण और पेट के फूलने पर- गर्म पानी के साथ तथा बवासीर में अनार के साथ ले सकते हैं। सर्दी-जुकाम : पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेगी। इसकी 3-4 बूंद रूमाल में डालकर सूंघने से या 8-10 बूंद गर्म पानी में डालकर भाप लेने से तुरंत लाभ होता है। उल्टी-दस्त : पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 4-5 बूंदें बताशे में या गर्म पानी में डालकर आवश्यकतानुसार देने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में लाभ न हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में दो-तीन बार दे सकते हैं। अतिसार : पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 5 से 7 बूंद बताशे में देने से मरोड़, पेट में दर्द, श्वास, गोला, उल्टी आदि बीमारियों में तुरंत लाभ होता है। कीट दंश : पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डाट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीजें गलकर पानी बन जायेंगी। इसको बिच्छू, ततैया, भंवरी, मधुमक्खी इत्यादि जहरीले कीटों के दंश पर भी लगाने से शांति मिलती है। पेट की गड़बड़, पेट में दर्द, मंदाग्नि, अम्लपित्त : 3 ग्राम अजवाइन में आधा ग्राम कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ फंकी लेने से पेट की गैस, पेट का दर्द ठीक हो जाता है। प्रसूता स्त्रियों (बच्चे को जन्म देने वाली महिला) को अजवाइन के लड्डू और भोजन के बाद अजवाइन 2 ग्राम की फंकी देनी चाहिए, इससे आंतों के कीड़े मरते हैं। पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों से बचाव होता है। भोजन के बाद यदि छाती में जलन हो तो एक ग्राम अजवाइन और बादाम की 1 गिरी दोनों को खूब चबा-चबाकर या कूट-पीस कर खायें। अजवाइन के रस की 2-2 बूंदे पान के बीड़े में लगाकर खायें। अजवाइन 10 ग्राम, कालीमिर्च और सेंधानमक 5-5 ग्राम गर्म पानी के साथ 3-4 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करें। अजवाइन 80 ग्राम, सेंधानमक 40 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, कालानमक 40 ग्राम, जवाखार 40 ग्राम, कच्चे पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन सबको महीन पीसकर कांच के बरतन में भरकर 1 किलो नींबू का रस डालकर धूप में रख दें और बीच-बीच में हिलाते रहें। 1 महीने बाद जब बिल्कुल सूख जाये, तो सूखे चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मंदाग्नि शीघ्र दूर होती है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्ण (अपच), संग्रहणी, अम्लपित्त इत्यादि रोगों में लाभ होता है। शिशु के पेट में यदि दर्द हो और सफर (यात्रा) में हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अंदर अजवाइन को रखकर, शिशु की मां यदि उसके मुंह में चटायें तो शिशु का पेट दर्द तुरंत मिट जाता है। दस्त : जब मूत्र बंद होकर पतले-पतले दस्त हो, तब अजवाइन तीन ग्राम और नमक लगभग 500 मिलीलीटर ताजे पानी के साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ होता है। अगर एक बार में आराम न हो तो 15-15 मिनट के अंतर पर 2-3 बार लें। अजवाइन को पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में लेकर मां के दूध के साथ पिलाने से उल्टी और दस्त का आना बंद हो जाता है। अजवाइन, कालीमिर्च, सेंधानमक, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची आदि को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसे एक चम्मच के रूप में पानी के साथ लेने से खाना खाने के ठीक से न पचने के कारण होने वाले दस्त यानी पतले ट्टटी को बंद हो जाता है। पेट के रोगों पर : एक किलोग्राम अजवाइन में एक लीटर नींबू का रस तथा पांचों नमक 50-50 ग्राम, कांच के बरतन में भरकर रख दें, व दिन में धूप में रख दिया करें, जब रस सूख जाये तब दिन में सुबह और शाम 1 से 4 ग्राम तक सेवन करने से पेट सम्बन्धी सब विकार दूर होते हैं। 1 ग्राम अजवाइन को इन्द्रायण के फलों में भरकर रख दें, जब वह सूख जाये तब उसे बारीक पीसकर इच्छानुसार काला नमक मिलाकर रख लें, इसे गर्म पानी से सेवन करने से लाभ मिलता हैं। अजवाइन चूर्ण तीन ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी से लें। 1.5 लीटर पानी को आंच पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1 लीटर रह जाये तब नीचे उतारकर आधा किलोग्राम पिसी हुई अजवाइन डालकर ढक्कन बंद कर दें। जब ठंडा हो जाये तो छानकर बोतल में भरकर रख लें। इसे 50-50 ग्राम दिन में सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करें पेट में वायु गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 मिलीलीटर मट्ठे में 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम कालानमक मिलाकर आवश्यकतानुसार सेवन करें। बवासीर (अर्श) : अजवाइन देशी, अजवाइन जंगली और अजवाइन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्से सूख जाते हैं। अजवाइन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गर्म पानी के साथ लें। अजवाइन के चूर्ण में सेंधानमक और छाछ (मट्ठा) मिलाकर पीने से कोष्ठबद्धकता (कब्ज) दूर होती है। दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छाछ में डेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) पिसी हुई अजवाइन और एक ग्राम सैंधानमक मिलाकर पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं। प्रमेह (वी*र्य विकार) : अजवाइन 3 ग्राम को 10 मिलीलीटर तिल के तेल के साथ दिन में सुबह, दोपहर और शाम सेवन करने से लाभ होता है। गुर्दे का दर्द : 3 ग्राम अजवाइन का चूर्ण सुबह-शाम गर्म दूध के साथ लेने से गुर्दे के दर्द में लाभ होता है। दाद, खाज-खुजली : त्वचा के रोगों और घावों पर इसका गाढ़ा लेप करने से दाद, खुजली, कीडे़युक्त घाव एवं जले हुए स्थान में लाभ होता है। अजवाइन को उबलते हुए पानी में डालकर घावों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली आदि त्वचा के रोगों में लाभ होता है। मासिक-धर्म सम्बंधी विकार : अजवाइन 10 ग्राम और पुराना गुड़ 50 ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय का मल साफ होता है और रुका हुआ मासिक-धर्म फिर से जारी हो जाता है। अजवाइन, पोदीना, इलायची व सौंफ इन चारों का रस समान मात्रा में लेकर लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में मासिक-धर्म के समय पीने से आर्तव (माहवारी) की पीड़ा नष्ट हो जाती है। 3 ग्राम अजवाइन चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की रुकावट दूर होती है और मासिकस्राव खुलकर आता है। शराब की आदत : शराबियों को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा न जाये तब अजवाइन 10-10 ग्राम की मात्रा में 2 या 3 बार चबायें। आधा किलो अजवाइन 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब आधा से भी कम शेष रहे तब छानकर शीशी में भरकर फ्रिज में रखें, भोजन से पहले एक कप काढ़े को शराबी को पिलायें जो शराब छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीं पाते, उनके लिए यह प्रयोग एक वरदान के समान है। मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट) होना : 3 से 6 ग्राम अजवाइन की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से मूत्र की रुकावट मिटती है। 10 ग्राम अजवाइन को पीसकर लेप बनाकर पेडू पर लगाने से अफारा मिटता है, शोथ कम होता है तथा खुलकर पेशाब होता है। बुखार : अजीर्ण की वजह से उत्पन्न हुए बुखार में 10 ग्राम अजवाइन, रात को 125 मिलीलीटर पानी में भिगों दें, प्रात:काल मसल-छानकर पिलाने से बुखार आना बंद हो जाता है। शीतज्वर में 2 ग्राम अजवाइन सुबह-शाम खिलायें। बुखार की दशा में यदि पसीना अधिक निकले तब 100 से 200 ग्राम अजवाइन को भूनकर और महीन पीसकर पूरे शरीर पर लगायें। अजवाइन को भूनकर बारीक पीसकर शरीर पर मलने से अधिक पसीना आकर बुखार में बहुत लाभ मिलता है। 10 ग्राम अजवाइन रात को 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर पानी को छानकर पीने से बुखार मिटता जाता है। 5 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर पानी में उबालकर, छानकर 25-25 ग्राम पानी 2 घण्टे के अतंराल से पीने पर बुखार और घबराहट भी कम होती है। इन्फ्लुएन्जा : 10 ग्राम अजवाइन को 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी में पकाकर या फांट तैयार कर प्रत्येक 2 घंटे के बाद 25-25 मिलीलीटर पिलाने से रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। 24 घंटे में ही लाभ हो जाता है। अजवाइन, दालचीनी की 2-2 ग्राम मात्रा को 50 मिलीलीटर पानी में उबालें। इसके बाद इसे ठंडाकर-छानकर सुबह और शाम पीने से लाभ होता है। 12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा बच जायें तब ठंडा करके छान लें और रोजाना 4 बार पीने से लाभ होता है। चोट लगने से उत्पन्न सूजन : किसी भी प्रकार की चोट पर 50 ग्राम गर्म अजवाइन को दोहरे कपड़े की पोटली में डालकर सेंक करने से आराम आ जाता है। जरूरत हो तो जख्म पर कपड़ा डाल दें ताकि जले नहीं। किसी भी प्रकार की चोट पर अजवाइन का सेंक बहुत ही लाभकारी होती है। मलेरिया बुखार : मलेरिया बुखार के बाद हल्का-हल्का बुखार रहने लगता है। इसके लिए 10 ग्राम अजवाइन को रात में 100 मिलीलीटर पानी में भिगो दें और सुबह पानी गुनगुना कर जरा सा नमक डालकर कुछ दिन तक सेवन करें। बच्चों के पैरों में कांटा चुभने पर : कांटा चुभने के स्थान पर पिघले हुए गुड़ में पिसी हुई अजवाइन 10 ग्राम मिलाकर थोड़ा गर्म कर बांध देने से कांटा अपने आप निकल जायेगा। पित्ती उछलना : 50 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम गुड के साथ अच्छी प्रकार कूटकर 5-6 ग्राम की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के साथ लेने से 1 सप्ताह में ही तमाम शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी। फ्लू (जुकाम-बुखार ) : 3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी दोनों को उबालकर इनका पानी पिलायें। 12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, आधा रहने पर ठंडा करके छानकर पीयें। इसी प्रकार रोज 4 बार पीने से फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है। जुकाम : अजवाइन की बीड़ी या सिगरेट बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है। अजवाइन को पीसकर एक पोटली बना लें, उसे दिन में कई बार सूंघे, इससे बंद नाक खुल जाएगी। 6 ग्राम अजवाइन पतले कपड़े में बांधकर हथेली पर रगड़कर बार-बार सूंघें। इससे जुकाम दूर हो जायेगा। एक चम्मच अजवाइन और इसका चौगुना गुड़ एक गिलास पानी में डालकर उबालें। आधा पानी रहने पर छान लें तथा गर्म-गर्म पीकर ओढ़ कर सो जायें। जुकाम में लाभ होगा। आमवात : अजवाइन का रस जोड़ों पर मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है। शक्तिवर्धक चूर्ण : अजवाइन, इलायची, कालीमिर्च और सौंठ समान मात्रा में पी लें। आधा चम्मच सुबह, शाम पानी के साथ फंकी लें। हृदय (दिल) शूल : हृदय के दर्द में अजवाइन देने से दर्द बंद होकर हृदय उत्तेजित होता है। फोडे़, फुन्सी की सूजन : अजवाइन को नींबू के रस में पीसकर फोड़े और फुन्सी की सूजन में लेप करने से लाभ मिलता है। सभी प्रकार का दांत दर्द : हर प्रकार का दांत दर्द अजवाइन के प्रयोग से ठीक होता है। आग पर अजवाइन डालकर दर्द करते हुए दांतों पर धूनी दें। उबलते हुए पानी में नमक और एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन डाल कर रख दें। पानी जब गुनगुना रहें तो इस पानी को मुंह में लेकर कुछ देर रोके, फिर कुल्ला करके थूक दें। इस प्रकार कुल्ले करें। अजवाइन की धुआं और कुल्ले करने के बीच 2 घण्टे का अंतर रखें। इस प्रकार दिन में तीन बार करने से दांत दर्द ठीक हो जाता है। गले में दर्द हो तो इसी