शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आज से हो चुकी है. आज पहले दिन शैलपुत्री माता (Navratri Mata Shailputri Pooja) की पूजा की जाती है. पूरे देश में इस वक्त इस पावन उत्सव की धूम है. अगले 9 दिन तक सभी हिंदू श्रद्धालु माता रानी की भक्ति के रंग में रंगे रहेंगे. आज हम आपको मां दुर्गा के उस मंदिर (Durga Mata Mandir) की कहानी बताने जा रहे हैं, जहां पति-पत्नी एक साथ कभी पूजा नहीं कर सकते हैं. मान्यता है कि अगर कोई ऐसी गलती करता है तो उसके दांपत्य जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
माता दुर्गा का यह मंदिर देवभूमि हिमाचल प्रदेश के शिमला में समुद्रतल से करीब 11,000 फीट ऊंचाई पर स्थित है. जहां रोजाना हजारों भक्तों का तांता लगा रहता है. खासतौर पर नवरात्रि के दौरान यहां पर दर्शन करने के लिए भक्तजन दूर-दूर से आते हैं. दर्शन के लिए 9 दिन तक लंबी-लंबी कतारें लगती हैं. स्थानीय लोगों के बीच इस मंदिर को मां दुर्गा मंदिर और श्राई कोटि माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की देखरेख और धार्मिक कार्यक्रमों की जिम्मेदारी माता भीमा काली ट्रस्ट की है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्राई कोटि माता मंदिर में पति-पत्नी का साथ में पूजा व दर्शन करना शुभ नहीं माना जाता है. अगर कोई विवाहित जोड़े गलती से भी साथ में इस मंदिर के दर्शन कर लेते हैं, तो उन्हें पाप लगता है. इसके अलावा दांपत्य जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
इस वजह से दंपति साथ में नहीं करते दर्शन
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती के गणेश जी और कार्तिकेय जी दो बेटे थे. एक दिन गणेश जी और कार्तिकेय भगवान के बीच शर्त लगी कि दोनों में से कौन ब्रह्मांड के जल्दी चक्कर लगा सकता है. भगवान गणेश ने शिव जी और माता पार्वती की परिक्रमा की और कहा मेरे लिए मेरे माता-पिता के चरणों में ही ब्रह्मांड है. लेकिन कार्तिकेय जी ने पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाया. जब भगवान कार्तिकेय पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर गणेश जी के पास आए, तब तक गणपति बप्पा की शादी हो चुकी थी.
भगवान गणेश की शादी की बात सुनकर कार्तिकेय जी नाराज हो गए और उन्होंने संकल्प लिया कि वो कभी शादी नहीं करेंगे. बेटे कार्तिकेय के विवाह नहीं करने की बात जब देवी पार्वती को पता चली, तो उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होंने उस जगह को श्राप दिया, जहां भगवान कार्तिकेय उस समय मौजूद थे.
माता पार्वती ने दिया ये श्राप
मान्यता के अनुसार, भगवान कार्तिकेय उस शिमला में समुद्रतल से करीब 11,000 फीट ऊंचाई पर मौजूद थे. जहां पर आज श्राई कोटि माता मंदिर स्थित है. देवी पार्वती ने कहा, यहां पर जो भी पति-पत्नी कार्तिकेय जी के दर्शन करेंगे, वो कभी भी साथ नहीं रहेंगे. उनके वैवाहिक जीवन में परेशानियां बनी रहेंगी. इसी वजह से श्राई कोटि माता मंदिर में विवाहित जोड़े साथ में दर्शन करने से डरते हैं.
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