टोक्यो, 12 अक्टूबर . जलवायु परिवर्तन का असर जापान के मौसम पर भी पड़ा है. ये दावा एक विश्वविद्यालय अनुसंधान समूह की रिपोर्ट करती है. इसमें बताया गया है कि 1982 से 2023 तक 42 वर्षों में जापान में ग्रीष्मकाल लगभग तीन सप्ताह लंबा हो गया है.
क्योदो न्यूज एजेंसी ने ‘मी विश्वविद्यालय’ समूह के हवाले से बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण, ग्रीष्मकाल के रूप में वर्गीकृत दिनों की संख्या हर साल बढ़ी है, जबकि शीतकाल में कोई बदलाव नहीं हुआ, और वसंत और पतझड़ की औसत अवधि कम हो गई है.
समूह ने “ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि” को मुख्य कारक बताया और चेतावनी दी कि “यदि ऐसा जारी रहा तो ये प्रवृत्ति और तेज हो जाएगी.”
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ग्रीष्मकाल को जून से अगस्त तक की अवधि के रूप में परिभाषित करती है, लेकिन तापमान की सीमा नहीं बताती.
शोधकर्ताओं में द्वितीय वर्ष के स्नातकोत्तर छात्र माओ ताकीकावा और विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर योशीहिरो ताचिबाना शामिल थे.
अपने शोध में, समूह ने जापान के सबसे मुख्य उत्तरी द्वीप, होक्काइडो से लेकर सबसे दक्षिणी द्वीप क्यूशू, तक, आसपास के समुद्री क्षेत्रों सहित, क्षेत्र को लगभग 200 क्षेत्रों में विभाजित किया और एजेंसी के अवलोकन आंकड़ों का उपयोग करके 42 वर्षों के औसत वार्षिक अधिकतम तापमान की गणना की.
उन्होंने प्रत्येक क्षेत्र के लिए उसकी तापमान सीमा के आधार पर एक “ग्रीष्मकालीन मानक” निर्धारित किया, और एजेंसी के वार्षिक उच्च और निम्न तापमान आंकड़ों का उपयोग करके यह निर्धारित किया कि कौन से दिन ग्रीष्मकाल के दिन माने जाएंगे.
उन्होंने 42 वर्षों के तापमान आंकड़ों का वार्षिक आधार पर विश्लेषण किया.
42 वर्षों की अवधि में लगभग 200 जोनों के औसत को देखें तो, ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत की तारीख लगभग 12.6 दिन आगे बढ़ गई, जबकि समाप्ति की तारीख लगभग 8.8 दिन विलंबित हुई.
समूह ने बताया कि ग्रीष्म ऋतु की अवधि लगभग 21.4 दिन बढ़ गई.
1982 में, ग्रीष्म ऋतु 29 जून से 28 सितंबर तक 92 दिनों तक चली थी. हालांकि, 2023 तक, यह बढ़कर 121 दिनों तक हो गई और 11 जून से 9 अक्टूबर तक चली.
ताचिबाना के अनुसार, एशियाई महाद्वीप से आने वाली गर्म हवाएं एक समय जापानी द्वीपसमूह के आसपास के महासागरों पर ठंडी हो जाती थीं, जिससे वसंत से ग्रीष्म ऋतु तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता था. हालांकि, हाल के वर्षों में, समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान ने इस ठंडक को रोक दिया है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रीष्म ऋतु पहले आ गई है.
ताचिबाना ने कहा कि समुद्र की सतह गर्म रह रही है, जिससे तापमान में गिरावट मुश्किल हो रही है और ग्रीष्म ऋतु के अंत में देरी हो रही है.
इस बीच, सर्दियों की अवधि में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि यह महाद्वीप से आने वाली तेज़ शीत लहरों के निरंतर प्रभाव के कारण है.
–
केआर/
You may also like
बवासीर में रामबाण हैं ये 5 घरेलू चीज़ें,` आज से ही करें सेवन
चूहा हो या छिपकली मक्खी हो या मच्छर` चींटी हो या कॉकरोच। बिना ज़हर और खर्चे के तुरंत जायेंगे भाग आज ही अपनाये ये आसान नुस्खा
साल 2014 के बाद से आरटीआई अधिनियम लगातार हुआ कमजोर: केशव महतो कमलेश
चामराजनगर गणपति विसर्जन: सुरक्षा चाक-चौबंद, 709 पुलिसकर्मी तैनात, ड्रोन से रखी जा रही नजर
'क्या कहना' की यादों में खोईं नवनीत निशान, बोलीं- कुंदन शाह संग काम करना सपना था