ढाका, 7 अक्टूबर . बांग्लादेश में अगले साल चुनाव होने वाले हैं और इसकी तैयारी में सभी पार्टियां जुट गई हैं. इस बीच इलेक्शन सिंबल को लेकर एक बड़ी पार्टी ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया है. नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने चेतावनी दी है कि यदि उसे शापला (वाटर लिली यानी नील कमल) चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया तो अगले साल होने वाले चुनावों पर इसके दूरगामी परिणाम पड़ सकते हैं.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह टिप्पणी चुनाव आयोग (ईसी) के उस हालिया निर्देश के बाद आई है जिसमें एनसीपी को 50 विकल्पों में से अपना चुनाव चिन्ह चुनने को कहा गया था. इन विकल्पों में पार्टी की ओर से मांगा गया “शापला” शामिल नहीं था.
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र, द डेली स्टार से बात करते हुए, एनसीपी के मुख्य समन्वयक नसीरुद्दीन पटवारी ने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तो पार्टी लोकतांत्रिक तरीकों से एक स्वतंत्र और संवैधानिक चुनाव आयोग बनाने की दिशा में काम करेगी.
पटवारी ने कहा, “अगर एनसीपी को शापला चिन्ह नहीं मिलता है, तो इसका चुनाव पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा. एक स्वतंत्र आयोग के बिना निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते. अगर चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे, तो सड़कों पर खून-खराबा होगा. लेकिन हम इससे बचने की कोशिश करेंगे. अगर हम मुश्किल में पड़ गए, तो हमारे पास विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.”
“अगर हमें इस अधिकार से वंचित किया जाता है, तो हम लोकतांत्रिक तरीके से एक स्वतंत्र और संवैधानिक चुनाव आयोग बनाने के लिए काम करेंगे. हम अपनी मांगों को पूरा करने से पीछे नहीं हटेंगे और Political रूप से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.”
इस बीच, Monday को राजशाही में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, एनसीपी के मुख्य संयोजक सरजिस आलम ने कहा कि पार्टी आगामी चुनाव शापला चुनाव चिन्ह के तहत लड़ेगी.
सरजिस ने चुनाव आयोग से एनसीपी को शापला सिंबल देने से इनकार करने के बजाय अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि एनसीपी को यह चुनाव चिन्ह प्राप्त करने से रोकने वाली कोई कानूनी बाधा नहीं है.
एनसीपी नेता ने कहा, “हमारी टीम ने इस पर लंबे समय तक काम किया और सभी कानूनी पहलुओं पर ध्यानपूर्वक विचार किया. चुनाव और चुनाव चिन्ह से जुड़े विशेषज्ञों और कानूनी पेशेवरों से परामर्श के बाद, हमने शापला को अपना चुनाव चिन्ह अपनाने का फैसला किया.”
उन्होंने आगे कहा, “यहां कोई कानूनी बाधा नहीं है. अगर चुनाव आयोग मनमाने ढंग से काम करता है या दबाव में आकर हमें शापला चुनाव चिन्ह देने से इनकार करता है, तो हम मानेंगे कि एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था के रूप में उसने अपना चरित्र खो दिया है. अगर ऐसा होता है, तो चुनावी प्रक्रिया में हमारा विश्वास कम हो जाएगा. लेकिन हमें विश्वास है कि हमें शापला चुनाव चिन्ह मिल जाएगा और एनसीपी इसके तहत चुनाव लड़ेगी.”
बांग्लादेश अगले साल होने वाले चुनाव से पहले बढ़ती अनिश्चितता और Political उथल-पुथल का सामना कर रहा है.
छात्र नेताओं ने पहले भी पूर्व Prime Minister शेख हसीना के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित अवामी लीग Government को उखाड़ फेंकने के लिए मुहम्मद यूनुस और कई अन्य कट्टरपंथी Political दलों के साथ मिलकर काम किया था.
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केआर/
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