नई दिल्ली, 11 अप्रैल . अदाणी समूह की सीएसआर पहल ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) में रीनल केयर परियोजना का विस्तार करने के लिए आधारशिला ट्रस्ट के साथ साझेदारी की घोषणा की.
एलएचएमसी के शिक्षण संस्थानों में से एक श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में आधारशिला रीनल केयर परियोजना (एआरसीपी) का विस्तार, दिल्ली के पब्लिक हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर में डायलिसिस केयर को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
मई 2024 में शुरू इस परियोजना का लक्ष्य पांच वर्षों में 5,00,000 फ्री डायलिसिस सेशन प्रदान करना है.
इस विस्तार के साथ श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल को वयस्क रोगियों के लिए पांच डायलिसिस मशीनें मिलेंगी. इसके अलावा, अदाणी सीएसआर पहल एक वर्ष के लिए इन मशीनों की परिचालन लागत को वहन करेगी.
आधारशिला की ट्रस्टी नीना जॉली ने कहा, “यह पहल बेहद व्यक्तिगत और जरूरी है. किडनी की बीमारी का सामना करने पर बहुत से परिवार संघर्ष करते हैं, चाहे वे वयस्क हों या बच्चे. इस साझेदारी के जरिए, हम केवल मशीनें या सेशन ही नहीं दे रहे हैं – हम पहुंच बनाने और क्षमता निर्माण के साथ दिखा रहे हैं कि जब नागरिक समाज, परोपकार और सार्वजनिक व्यवस्था मिलकर उन लोगों की सेवा करते हैं, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, तो सब कुछ संभव है.”
उन्होंने कहा, “यह मानते हुए कि इन मशीनों का पूरी क्षमता से उपयोग किया जाता है, हम दिल्ली नेफ्रोस्कोप को हर साल 20,000 डायलिसिस सेशन के साथ मजबूत बनाएंगे.”
ईवाई-एनएटीहेल्थ की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 2.2 लाख नए मामले सामने आते हैं, जिनमें 3.4 करोड़ से ज्यादा डायलिसिस सेशन की जरूरत होती है.
देश में लगभग 22,500 डायलिसिस मशीनें हैं, जो कुल मांग का 25 प्रतिशत से भी कम पूरा करती हैं.
रिपोर्ट का अनुमान है कि बढ़ते रोगी आधार की पर्याप्त सेवा के लिए कम से कम 65,000 डायलिसिस केंद्र और 20,000 से अधिक प्रशिक्षित तकनीशियन और नेफ्रोलॉजिस्ट की आवश्यकता है.
यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि सार्वजनिक क्षेत्र का डायलिसिस इंफ्रास्ट्रक्चर, विशेष रूप से बाल चिकित्सा देखभाल के लिए, गंभीर रूप से कम संसाधन वाला बना हुआ है.
अकेले दिल्ली एनसीआर में, हर साल लगभग 3,000 नए ईएसआरडी रोगी सामने आते हैं.
हालांकि, अस्पतालों में डायलिसिस क्षमता सीमित या अधिकांश रोगियों के लिए वहनीय नहीं हो सकती है, जिससे रोगियों और उनके परिवारों के लिए उपलब्ध देखभाल विकल्पों की अवधि सीमित हो जाती है.
आधारशिला रीनल केयर परियोजना दिल्ली-एनसीआर में डायलिसिस पहुंच की महत्वपूर्ण कमी को पूरा करती है.
रणनीतिक साझेदारी और उदार डोनर सपोर्ट के जरिए परियोजना डायलिसिस मशीन, प्रशिक्षित तकनीशियन और आवश्यक उपकरण प्रदान कर सरकारी अस्पतालों में रीनल केयर सर्विस को बेहतर बनाती है.
यह सफदरजंग अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल, श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल और एम्स में सर्जिकल ब्लॉक सहित कई संस्थानों में वयस्क और बाल रोगियों दोनों की सेवा करता है.
परियोजना ने परोपकारी समर्थन के माध्यम से पहले ही दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों में 30 डायलिसिस मशीनें और 16 से अधिक तकनीशियन की व्यवस्था की गई है.
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल, श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल और एलएचएमसी के तहत कलावती सरन चिल्ड्रन हॉस्पिटल ने मिलकर अब तक लगभग 8,500 डायलिसिस सेशन दिए हैं.
इस कार्यक्रम में प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही. इनमें चिंतन रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष शिशिर प्रियदर्शी, एलएचएमसी और एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स की निदेशक प्रो. (डॉ.) सरिता बेरी, आधारशिला ट्रस्ट की संस्थापक ट्रस्टी नीना जॉली और गीता अरोड़ा शामिल रहीं. इसके अलावा, दूसरे वरिष्ठ स्वास्थ्य सेवा अधिकारी और प्रमुख नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञों की भी मौजूदगी रही.
विशिष्ट अतिथियों में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और अदाणी समूह के कानूनी प्रमुख जतिन आर. जलुंधवाला शामिल थे.
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एसकेटी/
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