ढाका, 27 अगस्त . बांग्लादेश में हत्याओं, हिरासत में मौतों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाएं बढ़ी हैं. मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार को इसका दोषी माना जा रहा है. इस विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने प्रकाश डाला है.
फ्रांस में जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश (जेएमबीएफ) ने ‘बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के तहत अन्यायपूर्ण हत्याओं और हिरासत में मौतों की स्थिति’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगस्त 2024 से लेकर जुलाई 2025 के बीच देश में यूनुस प्रशासन के तहत ऐसी हत्याओं और हिरासत में मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि घटनाओं की व्यापक आलोचना हुई है, जिससे कानून प्रवर्तन, जेल प्रबंधन और न्यायिक जवाबदेही में व्यवस्थागत विफलताएं उजागर हुई हैं.
मानवाधिकार संस्था ने इस दौरान बांग्लादेश में हुई ऐसी कुल 60 घटनाओं को दर्ज किया है, जिनमें 70 लोगों की जान चली गई. ये घटनाएं देश के कानून और सुरक्षाकर्मियों और जेल प्रबंधन द्वारा की गईं.
रिपोर्ट के मुताबिक, “इन मामलों में, कानून प्रवर्तन और सुरक्षा कर्मियों द्वारा हिरासत में हुई मौतों की संख्या 33 (सभी घटनाओं का 55 प्रतिशत) और 43 पीड़ितों (सभी पीड़ितों का 61 प्रतिशत) के लिए ज़िम्मेदार थी. जेलों में हिरासत में हुई मौतों में 27 घटनाएं (घटनाओं का 45 प्रतिशत) और 27 पीड़ित (पीड़ितों का 39 प्रतिशत) शामिल थे. ये आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर न्याय से परे हत्याएं और हिरासत में हुई मौतें राज्य की हिरासत में हुईं, जो संस्थानों की गहरी कमज़ोरी को दर्शाती हैं.”
जेएमबीएफ की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 और जुलाई 2025 के बीच, 12 ऐसी घटनाएं हुईं, जिनमें पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन, सेना, संयुक्त बल, कोस्ट गार्ड और वायु सेना सहित बांग्लादेश के कानून प्रवर्तन और सुरक्षा कर्मियों द्वारा चलाई गई गोलियों से 21 लोगों की मौत हो गई. पीड़ितों को कथित तौर पर विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान गोली मारी गई थी.
मानवाधिकार संस्था ने अंतरिम सरकार पर नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनी संस्थाओं को व्यवस्थित रूप से हथियार बनाने का आरोप लगाया.
रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों, जेल अधिकारियों और यहां तक कि कुछ हद तक न्यायपालिका का भी असहमति को दबाने के लिए राजनीतिकरण किया गया है. न्याय करने के बजाय, ये संस्थाएं अवामी लीग के कार्यकर्ताओं, मजदूरों और हाशिए पर पड़े समूहों को निशाना बनाकर उत्पीड़न करने का हथियार बन गई हैं. जानबूझकर किए गए राजनीतिकरण ने कानून के शासन में जनता का विश्वास खत्म कर दिया है और राजनीतिक विभाजन को बढ़ा दिया है.
मानवाधिकार संस्था के अनुसार, बांग्लादेश में न्यायपालिका कार्यपालिका के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पीड़ितों के परिवारों को शिकायत दर्ज करते समय धमकियों का सामना करना पड़ता है. पुलिस मामले दर्ज करने से इनकार कर देती है और अदालतें याचिकाओं में देरी करती हैं या उन्हें खारिज कर देती हैं. दर्ज किए गए 70 पीड़ितों में से केवल कुछ ही मामलों में कोई कानूनी कार्यवाही हुई और किसी में भी जवाबदेही नहीं बन पाई.
जेएमबीएफ ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से आग्रह किया कि वह जेलों में सभी न्यायेतर हत्याओं, हिरासत में यातना और चिकित्सा लापरवाही को तुरंत समाप्त करके और पीड़ितों, परिवारों और दस्तावेजो तक पूरी पहुंच के साथ एक अंतरराष्ट्रीय और स्वतंत्र जांच आयोग की स्थापना करके गंभीर उल्लंघनों को तुरंत रोके. मनमाने ढंग से गिरफ्तारी, यातना और कारावास के जरिए राजनीतिक विरोधियों और हाशिए पर पड़े समूहों को निशाना बनाने पर भी रोक लगे.
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पीएके/एएस
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