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नोएडा एक्सप्रेस-वे पर अब होगी इजराइली तकनीक से सिंचाई, प्राधिकरण तैयार कर रहा प्लान

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नोएडा, 5 अक्टूबर . नोएडा में इजराइल की तकनीक से सिंचाई होगी और इसके लिए नोएडा प्राधिकरण एक प्लान तैयार कर रहा है. सीएसआर फंड के जरिए इस तकनीक से सिंचाई की जाएगी. इसे ड्रिप तकनीक कहते है. इसी के जरिए नोएडा एक्सप्रेस-वे के सेंट्रल वर्ज पर सिचाई का काम किया जाएगा. इसके लिए प्राधिकरण ने अपने सलाहकार को एस्टीमेट बनाने के लिए कहा है. जानकारी के मुताबिक इस तकनीक से सिंचाई के फायदे है. जिसमें पानी की बचत सबसे ज्यादा होती है.

नोएडा- ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे का अधिकांश हिस्सा नोएडा में आता है. वर्तमान में यहां टैंकर के जरिए सिचाईं की जाती है. इस तरह से सिचाईं करना पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचाता है. साथ ही हाइ स्पीड एक्सप्रेस-वे पर ये अन्य वाहनों के लिए घातक है. इसलिए यहां ड्रिप सिंचाई कराने पर विचार किया जा रहा है. इसके लिए सर्विस लेन पर एक टैंकर बनाया जाएगा. जिसमें एसटीपी से लाया गया पानी स्टोर होगा. इस पानी को फिल्टर किया जाएगा. फिल्टर पानी दूसरी पाइप लाइन के जरिए एक्सप्रेस वे की सेंट्रल वर्ज तक जाएगा. इस पाइप में कुछ-कुछ दूरी पर छेद होते है. इन छेदों से पानी ड्रॉप-ड्रॉप करके जमीन पर पानी जाता है. जिससे पौधों को पानी मिलता है. साथ ही पानी की बर्बादी नहीं होती.

ड्रिप सिंचाई की एक आधुनिक तकनीक है . जिसमें पानी पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद करके पहुंचाया जाता है. इसे टपक सिंचाई या बूंद-बूंद सिंचाई भी कहा जाता है. ड्रिप सिंचाई में पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को जरूरी मात्रा में पानी मिलता है. इसके खर्च की बात करें तो सिर्फ टैंकर और पानी सप्लाई के पाइप की आवश्यकता होती है. इस टैंकर से पानी सप्लाई का काम मशीनों से किया जाता है. इसे इको फ्रेंडली बनाने के लिए मशीन ऑपरेशन का सारा काम सोलर एनर्जी से किया जाएगा.

ड्रिप सिंचाई में पानी और पोषक तत्वों को पाइपों के जरिए खेत में पहुंचाया जाता है. इन पाइपों को ड्रिप लाइन कहा जाता है. ड्रिप लाइन में छोटे-छोटे एमिटर होते हैं, जो पानी और उर्वरक की बूंदें छोड़ते हैं. ड्रिप सिंचाई में पानी की मात्रा और दबाव को नियंत्रित किया जा सकता है. ड्रिप सिंचाई में पानी का रिसाव कम होता है और वाष्पीकरण भी कम होता है. ड्रिप सिंचाई से पौधों की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होता है. ड्रिप सिंचाई से फल जल्दी पकते हैं और स्वस्थ होते हैं.

पीकेटी/एएस

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