New Delhi, 15 जुलाई . Supreme court के पूर्व जस्टिस संजय किशन कौल ने भारतीय न्याय प्रणाली में सुधार और बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) समेत कई मुद्दों पर से खास बात की. इस दौरान उन्होंने विपक्ष के चुनाव आयोग पर उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि Supreme court हर काम नहीं कर सकता है.
Supreme court के पूर्व जस्टिस संजय किशन कौल ने विशेष गहन पुनरिक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर से बातचीत में कहा, “मैं कहूंगा कि राजनीतिक लड़ाई या मतभेद को राजनीतिक तरीके से ही सुलझाना चाहिए. कोर्ट राजनीति के प्रॉबलम को सॉल्व करने के लिए नहीं है. कई बार चीजों का लीगल रेमीफिकेशन होता है और इसलिए एक साथ बहुत से लोग अपना पक्ष रखने के लिए आ जाते है और यहां Supreme court की दिक्कत ज्यादा होती है. Supreme court को यह तय करना चाहिए कि उसे कौन से मामले सुनने हैं और कौन से नहीं. अलग-अलग कामों के लिए अलग संस्थाएं हैं, जैसे चुनाव आयोग, जो एक संवैधानिक संस्था है. उसमे अगर किसी मामले मे कानूनी सवाल है, तभी उसमे हस्तक्षेप होना चाहिए. Supreme court नीतियां नहीं बना सकता या चुनाव आयोग का काम नहीं कर सकता, लेकिन वह चेक एंड बैलेंस का काम करता है.”
विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग पर सवाल उठाए जाने को लेकर पूर्व जस्टिस ने कहा, “ये राजनीतिक मतभेद हैं और आज की राजनीति में मध्यम मार्ग मुश्किल हो गया है, क्योंकि लोग अपने विचारों पर अड़े रहते हैं. फिर भी, चुनाव प्रणाली काम करती है, क्योंकि कई राज्यों में विपक्षी दल जीतते हैं, जिनमें बंगाल, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं. बीजेपी भी सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में जीतती है. यह नहीं कहा जा सकता कि ‘मैं जीता तो ठीक, नहीं जीता तो गड़बड़ है.’
पूर्व जस्टिस संजय किशन कौल ने भारतीय न्याय प्रणाली में सुधार पर कहा, “चीफ जस्टिस के सुधार की बात में कोई निहित मकसद हो सकता है. सबसे बड़ी समस्या मामलों की पेंडेंसी है. इसका समाधान जजों की पर्याप्त नियुक्ति से हो सकता है. हाईकोर्ट में एक-तिहाई पद खाली हैं और यह संख्या बढ़ रही है. निचली अदालतों में भी यही हाल है. हालांकि, Supreme court में यह समस्या नहीं है. संसद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) लाया था, लेकिन Supreme court ने उसे खारिज कर दिया, जिसके कारण सरकार अब भी उसी मुद्दे में उलझी है. नियुक्ति के लिए समयसीमा तय की गई थी, जिसमें मैं भी शामिल था, लेकिन उसे लागू नहीं किया जा रहा. डेढ़ साल से यह मामला कोर्ट में भी नहीं उठा कि नियुक्तियां क्यों रुकी हैं.”
संजय किशन कौल ने टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या को दुखद बताया. उन्होंने कहा, “इस तरह की घटनाएं समाज को गलत संदेश देती हैं. जैसे-जैसे समाज विकसित हो रहा है, वैसे-वैसे महिलाओं को शिक्षा और आजादी भी मिल रही है. लेकिन कुछ लोग, खासकर पुरानी सोच वाले, आज भी महिलाओं की स्वतंत्रता को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाते. जब एक महिला अपनी मर्जी से कुछ करती है और लोग उसे गलत मानते हैं, तो यह समाज की सोच में कमी दिखाता है. आज लोग छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा कर हिंसा पर उतर आते हैं. बातचीत से समस्या सुलझाने की क्षमता कम हो गई है. यह एक सामाजिक समस्या है. इसे कंट्रोल करना जरूरी है. समाज में बदलाव होना चाहिए. महिलाओं को अपने तरीके से काम करने की आजादी मिलनी चाहिए, न कि किसी और की मर्जी से.”
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एफएम/
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