लखनऊ, 6 अप्रैल . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को महाराजगंज में रोहिन नदी पर बनाए गए बहुप्रतीक्षित बैराज का उद्घाटन किया. यह परियोजना पूर्वांचल के हजारों किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है. इससे न केवल महराजगंज बल्कि आसपास के नौतनवां और लक्ष्मीपुर क्षेत्रों के किसानों को भी भरपूर सिंचाई सुविधा मिलेगी.
योगी सरकार द्वारा रोहिन नदी पर बनाया गया बैराज हजारों किसानों की सिंचाई की समस्या को खत्म करेगा. साथ ही कृषि उत्पादन और क्षेत्रीय विकास को भी गति देगा. योगी सरकार की यह पहल ‘समृद्ध किसान, सशक्त उत्तर प्रदेश’ के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग ने बताया कि रोहिन नदी पर बैराज लगभग 86 मीटर लंबा है और इसके दोनों तटों पर सिंचाई की व्यवस्था की गई है. इसके बाईं ओर 4,046 हेक्टेयर एवं दाहिनी ओर 3,372 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए जल आपूर्ति सुनिश्चित की गई है. इससे अब 7,000 से अधिक हेक्टेयर खेती योग्य भूमि को सीधे लाभ मिलेगा.
उन्होंने बताया कि मुख्य बैराज पर 10 मीटर चौड़ा और 7 स्टील स्लूइस गेट लगाए गए हैं, जिसमें से पांच गेट 3 मीटर ऊंचे हैं. ये सभी गेट 11 से 13 टन के हैं. यह गेट रोहिन नदी के जल को संग्रहित करके नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचाएंगे. साथ ही दोनों किनारों पर केनाल के हेड पर 4 मीटर चौड़ा और 4 से 5 मीटर ऊंचाई के स्लूइस गेट भी लगाए गए हैं. पहले नदी पर अस्थायी बैरिकेड लगाकर सीमित सिंचाई होती थी, लेकिन अब यह स्थायी संरचना पूरे साल भर पानी उपलब्ध कराने में सक्षम होगी.
बैराज से पांच माइनर नहरें क्रमश: रामनगर, नकटोजी, वटजगर, सिसवा और बौलिया निकाली गई हैं, जो नौतनवां एवं लक्ष्मीपुर विकास खंडों में सिंचाई व्यवस्था को मजबूती देंगी. इससे रबी और खरीफ दोनों फसलों के लिए जल आपूर्ति संभव हो सकेगी. सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता यांत्रिक उपेंद्र सिंह ने बताया कि लगभग 65 वर्ष पूर्व इस क्षेत्र में अस्थायी बैरिकेड के माध्यम से पानी रोका जाता था, जो हर वर्ष मानसून के पहले हटा दिया जाता था. इससे किसानों को वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था और सूखे की स्थिति में भारी नुकसान उठाना पड़ता था. इन परिस्थितियों को देखते हुए सिंचाई विभाग ने ‘रोहिन बैराज-3’ परियोजना बनाई और इसे स्थायी स्वरूप में विकसित किया गया.
इसके मुख्य नहर का शीर्ष डिस्चार्ज 110 क्यूसेक है और 45.36 किमी लंबे रोहिन प्रणाली का सीसीए 8,811 हेक्टेयर है. बैराज के संचालन के लिए तीन विकल्प मैनुअल, इलेक्ट्रिक सिस्टम और कम्प्यूटर आधारित स्काडा सिस्टम की सुविधा दी गई है. आधुनिक स्काडा सिस्टम से कंट्रोल रूम में बैठकर ही बैराज का संचालन किया जा सकता है. यह बैराज आधुनिकता और परंपरा का संगम प्रस्तुत करता है.
प्रमुख सचिव ने बताया कि बैराज के सभी गेटों और यांत्रिक प्रणाली का निर्माण सिंचाई विभाग की आईएसओ प्रमाणित वर्कशॉप सिंचाई कार्यशाला खंड, बरेली में कराया गया है. बैराज पर आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए स्टाप लॉग गेट की भी व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि यह योजना न केवल जल संरचना को सशक्त बनाएगी, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ाएगी. योगी सरकार द्वारा इस तरह की बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रही हैं.
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एसके/एएस
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