नई दिल्ली, 21 जून . राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने इजरायल और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के लेख की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यह लेख देश की भावना को दर्शाता है.
सोनिया गांधी ने एक लेख में ईरान को भारत का पुराना मित्र और इजरायल की ओर से ईरान पर किए हमले की निंदा की है.
सोनिया गांधी के इस लेख पर शनिवार को समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान मनोज झा ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी का लेख पढ़ा, एक तरह से यह देश की भावना को दर्शाता है. 12 जून को संयुक्त राष्ट्र में गाजा में युद्ध विराम का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया था. हमने इसमें भाग नहीं लिया और मुझे याद आया कि महात्मा गांधी ने फिलिस्तीन के संदर्भ में क्या कहा था. भारत की चुप्पी सभ्यता की चुप्पी है. सरकारों को समझना चाहिए, वे आती हैं और जाती हैं, लेकिन एक राष्ट्र का चरित्र बरकरार रहना चाहिए. क्योंकि सत्य नहीं बदलता है, न ही हमारी करुणा की भावना बदलती है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद हम लोगों ने देखा कि हम अलग पड़े हुए थे. इसलिए, मैं कह रहा हूं कि विदेश नीति को रीबूट करने की जरूरत है.
अंग्रेजी भाषा पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर राजद सांसद ने 60 के दशक के भाषाई विवाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि भाषाओं का आपसी संबंध गहरा होता है. एक भाषा की प्रगति दूसरी भाषा की कीमत पर नहीं होती है. भाषा का किसी समुदाय से कोई रिश्ता नहीं होता है. हर भाषा आपकी चिंतन को समृद्ध करती है. उन्होंने दक्षिण भारतीय भाषाओं (जैसे तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम) की समृद्धि की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों को ये भाषाएं आती होंगी, लेकिन, बहुत को नहीं आती होंगी. यह हमारी कमजोरी है.
मनोज झा ने कहा कि योग दिवस के अवसर पर मैं सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूं. मेरा मानना है कि योग का संदेश सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं है. यह भी याद रखना जरूरी है कि योग मानसिक शुद्धता और आध्यात्मिक स्वच्छता का प्रतीक है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है. इस पर जब राजद सांसद से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने जो कहा है उसका एक संदर्भ है और वह संदर्भ बहुत स्पष्ट है. जब हम पर आतंकी हमला हुआ तो देश सामूहिक पीड़ा से गुजर रहा था. हमारी सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह किया. लेकिन, दुख की बात यह है कि एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर कराने की बात दोहराई है. हम चाहते हैं कि संसद सत्र को बुलाकर अमेरिका को जवाब दिया जाए कि अब बहुत हुआ.
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डीकेएम/एएस
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