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Jalandhar Grenade Attack: सिर्फ ₹50 की UPI टिप बन गई गिरफ्तारी की वजह, जानें पूरा मामला

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एक मामूली ₹50 की UPI टिप कैसे किसी की गिरफ्तारी की वजह बन सकती है? पंजाब के जालंधर में ऐसा ही कुछ हुआ, जहां एक ई-रिक्शा चालक और उसके रिश्तेदार को आतंकवादी हमले के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। ये गिरफ्तारी एक हाई-प्रोफाइल ग्रेनेड अटैक की जांच के दौरान हुई, जिसमें डिजिटल लेनदेन ने अहम भूमिका निभाई।

🔥 क्या हुआ था हमला?

8 अप्रैल की सुबह, पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता मनोरणजन कालिया के जालंधर स्थित आवास पर ग्रेनेड फेंका गया। इस घटना से इलाके में दहशत फैल गई। पंजाब पुलिस ने केवल 6 घंटे में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया, और इस पूरे ऑपरेशन में ₹50 की एक UPI ट्रांजैक्शन अहम सबूत बनी।

🧾 कैसे जुड़ा ₹50 का लेनदेन केस से?
  • सतीश कुमार काका, जालंधर के भार्गव कैंप का रहने वाला है और ई-रिक्शा चलाता है।
  • 7 अप्रैल की रात को एक अनजान सवारी ने उससे कहा कि वह ATM से पैसे निकलवाना चाहता है और भुगतान UPI से करेगा।
  • सतीश के पास UPI या स्मार्टफोन नहीं था, इसलिए उसने सवारी के फोन से अपने कजिन हैरी को कॉल किया।
  • आरोपी ने हैरी के अकाउंट में ₹3,500 ट्रांसफर किए। हैरी ने ATM से पैसे निकालकर आरोपी को दे दिए।
  • बदले में हैरी को ₹50 की टिप मिली—और यही ट्रांजैक्शन पुलिस की गिरफ्त में ले आया।
🕵️♂️ पुलिस ने ऐसे पकड़ी कड़ी
  • पुलिस ने उस UPI ट्रांजैक्शन के जरिए आरोपी का मोबाइल नंबर ट्रैक किया।
  • मोबाइल लोकेशन और ट्रांजैक्शन डेटा के आधार पर सतीश और हैरी को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • जांच में पता चला कि आरोपी घटना से तीन दिन पहले जालंधर आया था, इलाके की रेकी की और ग्रेनेड फेंकने के 20 मिनट बाद ही रेलवे स्टेशन की ओर भाग गया।
👨⚖️ कोर्ट का आदेश और आगे की कार्रवाई
  • सतीश और हैरी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां 6 दिन की पुलिस रिमांड दी गई।
  • पुलिस का मानना है कि इन दोनों को असली साजिश की जानकारी नहीं थी, लेकिन उनकी मदद ने अप्रत्यक्ष रूप से अपराध को अंजाम तक पहुंचाया
⚠️ सबक: डिजिटल ट्रांजैक्शन में सतर्कता जरूरी

यह केस बताता है कि:

  • UPI जैसी डिजिटल पेमेंट प्रणाली, चाहे जितनी छोटी राशि हो, एक ट्रेस छोड़ती है।
  • अनजान लोगों की मदद करते समय सतर्क रहें—खासकर जब लेनदेन मोबाइल या UPI से जुड़ा हो।
  • साइबर फॉरेंसिक अब अपराध की जांच में अहम हथियार बन चुका है।
📌 निष्कर्ष: एक मामूली मदद, बड़ी मुश्किल

जो ₹50 की एक छोटी सी टिप थी, वह अब सतीश और हैरी के लिए कानूनी और मानसिक परेशानी बन चुकी है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि डिजिटल युग में हर ट्रांजैक्शन, हर कॉल, और हर लोकेशन—जांच एजेंसियों के लिए एक सुराग हो सकता है।

अगर चाहें, तो मैं इस घटना का एक वीडियो स्क्रिप्ट या न्यूज स्लाइड भी बना सकता हूँ। बताएं आपको किस फॉर्मेट में चाहिए?

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