कहते हैं, योग में सिर्फ शरीर को नहीं, आत्मा को भी शक्ति देने की क्षमता होती है। यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि भारत की प्राचीन संस्कृति का वो उपहार है जो आत्मा और शरीर को एक सूत्र में पिरोता है। योग मनुष्य और प्रकृति के बीच का गहरा जुड़ाव है, जो विचारों को संतुलन, संयम और आत्म-तृप्ति की ओर ले जाता है।
यह भारतीय विरासत न केवल किताबों में, बल्कि उन लोगों की ज़िंदगी में जीवंत है जो इसे अपनी सांसों में जी रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं जिनकी उम्र भले ही 80 हो, लेकिन जोश और जज़्बे में आज भी युवा उनसे पीछे हैं।
यह कहानी है राजस्थान के एक गांव की – जहां योग ने रचा चमत्कार
ndtv की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के सरदारशहर तहसील के छोटे से गांव पिचकराई ताल के रहने वाले शिव भगवान भाकर आज भी जब दौड़ते हैं, तो नौजवान हैरान रह जाते हैं। कबड्डी के मैदान में वे आज भी प्रतिद्वंद्वियों को ज़मीन पर चित कर देते हैं, और कठिन योग मुद्राओं को ऐसे साधते हैं मानो ये उनके लिए खेल हो।
योग से आए निरोग – दर्द से जीत की असली कहानी
कभी कई गंभीर बीमारियों से जूझ चुके शिव भगवान के जीवन में योग एक नई सुबह की तरह आया। आज वे न केवल निरोग हैं, बल्कि अपने अनुभव से दूसरों को भी योग अपनाने की सलाह देते हैं। लेकिन उनके इस बदलाव की कहानी में भी एक मोड़ है जो दिल छू जाता है।
जब ज़िंदगी ने दी चेतावनी – दो बार आया हार्ट अटैक
2001 में दो बार हार्ट अटैक के बाद शिव भगवान का जीवन पूरी तरह दवाओं पर निर्भर हो गया। डॉक्टरों ने उन्हें चेतावनी दी कि घी या 100 ग्राम से ज्यादा दूध भी जानलेवा हो सकता है। तमाम परहेज और तीन महीने की दवाओं के बावजूद राहत नहीं मिली, बल्कि शरीर में जलन और बेचैनी बढ़ती गई।
योग बना उम्मीद की किरण – रामदेव बाबा से मिली प्रेरणा
इस कठिन दौर में शिव भगवान ने रामदेव बाबा के योग अभियानों से प्रेरणा ली और घर पर ही धीरे-धीरे प्राणायाम व आसन शुरू किए। उनके इस आत्म-संघर्ष ने उन्हें एक नई दिशा दी।
2007 में लिया योग का गहरा ज्ञान, बदल गई ज़िंदगी की तस्वीर
जब वे पतंजलि योग शिविर पहुंचे, तब उन्हें योग का असली महत्व समझ आया। 2007 के बाद से वे रोज सुबह 4 बजे उठते हैं, 3 किलोमीटर दौड़ते हैं, और 3 घंटे तक कठिन योग अभ्यास करते हैं। उनका कहना है कि अब उन्हें किसी भी चीज़ से परहेज नहीं करना पड़ता – रोजाना 2-3 किलो दूध पीते हैं, घी खाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।
दवाएं छोड़ दी, बीमारियां दूर हुईं
योग का ऐसा असर हुआ कि शिव भगवान ने सभी दवाएं छोड़ दीं और बीमारियों ने उनसे किनारा कर लिया। अब उन्हें ना हार्ट की चिंता है, ना खांसी-जुकाम की। यहाँ तक कि 38 साल की उम्र से जो चश्मा पहने हुए थे, वह भी अब नहीं लगाना पड़ता।
गांव में बन गए रोल मॉडल – युवा करते हैं फॉलो
डॉ. सत्यनारायण झाझड़िया बताते हैं कि शिव भगवान आस-पास के गांवों की दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं और युवाओं को पछाड़ते हैं। खेती-बाड़ी, पशुपालन और शारीरिक श्रम में वे आज भी पूरी ऊर्जा से जुटे रहते हैं।
योग सिखाने निकले शिक्षक – गांव-गांव कर रहे प्रचार
आज के तनावपूर्ण समय में शिव भगवान युवाओं को योग करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे बताते हैं कि कौन-से आसन मानसिक तनाव दूर करते हैं और किस प्रकार की साधना से आत्मविश्वास बढ़ता है।
गांव में अब बच्चे, बुज़ुर्ग और युवा सभी शिव भगवान से योग सीखते हैं। 21 जून को योग दिवस पर उन्होंने सभी से योग अपनाने की अपील भी की।
हर दिन सिर्फ 1 घंटा योग, और आप बन सकते हैं मजबूत और स्वस्थ
शिव भगवान का मानना है कि हर वर्ग, हर उम्र के व्यक्ति को रोजाना कम से कम 1 घंटा योग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि "हमने भले ही प्राचीन ऋषियों-मुनियों को योग करते नहीं देखा हो, लेकिन शिव भगवान भाकर को देखकर हमें योग की अद्भुत शक्ति का अनुभव होता है।"
योग भारत की आत्मा है, और शिव भगवान जैसे लोग इसकी धड़कन हैं। उनकी कहानी इस बात का प्रमाण है कि अगर लगन हो, तो उम्र कोई बाधा नहीं – योग से हर इंसान फिर से खिल सकता है।
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