मई का महीना इस बार मौसम के लिहाज से पूरी तरह अलग रहा। आमतौर पर चिलचिलाती गर्मी और तेज़ धूप वाला यह महीना, इस बार ठंडी हवाओं और बारिश से भीग गया। दिल्ली, मुंबई, भोपाल से लेकर कोलकाता तक, देश के बड़े हिस्से में बारिश और बादलों की वजह से तापमान में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज की गई।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 भारत के इतिहास में सबसे ठंडे और सबसे ज्यादा बारिश वाले महीनों में से एक रहा है।
रिकॉर्ड बारिश और ठंडक ने तोड़े पुराने आंकड़े
IMD ने बताया कि इस बार देशभर में औसतन 126.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो कि 1901 के बाद से मई महीने में सबसे ज्यादा है। भारी बारिश (64.5–115.5 मिमी) और बहुत भारी बारिश (115.6–204.5 मिमी) की घटनाएं कई हिस्सों में रिकॉर्ड स्तर पर देखी गईं, जबकि 204.5 मिमी से अधिक बारिश की घटनाएं पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक रहीं।
तापमान की बात करें तो:
इस वर्ष मई महीने में तापमान के पैटर्न ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में भारत का औसत अधिकतम तापमान 35.08 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि 1901 के बाद सातवां सबसे कम है। वहीं औसत न्यूनतम तापमान 24.07 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि पूरे महीने का औसत तापमान 29.57 डिग्री सेल्सियस रहा। गौरतलब है कि इससे पहले मई 1917 में सबसे ठंडा महीना रहा था, जब औसत अधिकतम तापमान महज 33.09 डिग्री सेल्सियस था।
क्यों बदला इस साल मई का मौसम?
मौसम में आए इस बदलाव की वजहों पर बात करते हुए IMD के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओपी श्रीजीत ने बताया कि इस साल मई में असामान्य ठंडक और भारी बारिश के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं। पहला, दक्षिण-पश्चिम मानसून की सामान्य से पहले दस्तक, जिसने तापमान को नीचे गिरा दिया। दूसरा, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने दबाव क्षेत्र, जिनकी वजह से अधिक बादल छाए रहे और लगातार बारिश होती रही। और तीसरा, पश्चिमी विक्षोभों की असामान्य सक्रियता, जो सामान्यतः सर्दियों में असर दिखाते हैं, लेकिन इस बार मई के अंत तक प्रभावी बने रहे। इन सभी कारणों ने मिलकर मई को एक ठंडा और असामान्य रूप से भीगा महीना बना दिया।
अब तक कहां पहुंचा मानसून?
IMD के महानिदेशक एम. मोहपात्रा ने बताया कि मानसून की उत्तरी सीमा इस समय मुंबई, आदिलाबाद, पुरी और सैंडहेड द्वीप तक पहुंच चुकी है। हालांकि, पिछले सप्ताह से मानसून में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उत्तर-पश्चिम भारत में आंधी-तूफानों की बढ़ती घटनाएं पश्चिमी विक्षोभों के बने रहने की वजह से हो रही हैं। जब तक ये सिस्टम सक्रिय रहेंगे, मानसून की गति धीमी रह सकती है।
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