महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है—और इस बार वजह है शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद प्रताप जाधव का एक अजीबोगरीब बयान। पहले से ही ‘जय गुजरात’ के नारे पर विवादों में घिरे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर जहां विपक्ष हमलावर था, वहीं अब उनकी पार्टी के सांसद ने मुंबई को गुजरात की राजधानी बताकर मानो आग में घी डाल दिया है। इस बयान ने महाराष्ट्र की अस्मिता से जुड़े भावनात्मक मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है।
प्रताप जाधव, जो कि केंद्र सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं, ने एक प्रेस बयान में मुंबई को पड़ोसी राज्य यानी गुजरात की राजधानी कह दिया। उन्होंने यह बात एकनाथ शिंदे के जय गुजरात वाले नारे को लेकर मचे बवाल के संदर्भ में कही, लेकिन जैसे ही यह बयान सामने आया, विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया और तीखे सवाल उठाने शुरू कर दिए।
क्या कहा सांसद प्रताप जाधव ने?
अपने बयान में जाधव ने कहा—“गुजरात हमारा पड़ोसी राज्य है, पाकिस्तान नहीं। इस पर राजनीति करना बेवजह है। और वैसे भी, मुंबई संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के दौरान गुजरात की राजधानी थी।” उनका यह बयान सुनते ही सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक हलचल मच गई। महाराष्ट्र की राजधानी को लेकर ऐसा बयान देना लोगों की भावनाओं को झकझोर गया।
विपक्ष ने क्यों साधा निशाना?
शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बयान पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “यह वही आदमी है जो केंद्र में मंत्री बना बैठा है, जिसने 50 खोखे के लिए अपनी पार्टी के नेतृत्व को धोखा दिया, और अब जय गुजरात पार्टी का हिस्सा है। इसमें अब कोई आश्चर्य नहीं कि यह इतिहास बदलने पर उतर आया है।” उनके शब्दों में व्यंग्य के साथ नाराज़गी भी झलक रही थी।
उधर, आदित्य ठाकरे ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रताप जाधव का बयान महाराष्ट्र के प्रति घृणा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “यह न सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ने की कोशिश है, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता पर चोट भी है।”
एकनाथ शिंदे का ‘जय गुजरात’ नारा भी विवाद में
यह पूरा विवाद दरअसल तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने एक कार्यक्रम में अपने भाषण का समापन “जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात” कहकर किया था। कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी थी, और शिंदे ने उनके योगदान की जमकर तारीफ की थी। लेकिन जैसे ही उन्होंने ‘जय गुजरात’ बोला, विपक्ष ने इसे पकड़ लिया और उन पर सत्ता की भूख में अपनी मातृभूमि से मुंह मोड़ने का आरोप लगाने लगा।
जहां एक ओर विपक्ष उन्हें ‘गुजरात समर्थक’ बताकर घेर रहा है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उनके बचाव में उतर आए। उन्होंने कहा, “अगर किसी ने ‘जय गुजरात’ कहा तो इसका मतलब यह नहीं कि वह महाराष्ट्र से कम प्रेम करता है। ऐसा सोचना सरासर गलत है।”
सियासत गरम क्यों हो रही है?
महाराष्ट्र और गुजरात की सीमाएं वर्षों से सांस्कृतिक, भाषायी और राजनीतिक तनाव की गवाह रही हैं। ऐसे में जब कोई सत्ताधारी नेता या मंत्री इस तरह की संवेदनशील बात कहता है, तो वह केवल राजनीतिक बयान नहीं रह जाता—बल्कि वह महाराष्ट्र की अस्मिता और मराठी गौरव से जुड़ा भावनात्मक मुद्दा बन जाता है। यही कारण है कि इस पूरे बयान पर इतनी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
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