Next Story
Newszop

चांद की रोशनी में अमृत बन जाती है चावल की खीर, जानें वैज्ञानिक कारण

Send Push

लाइव हिंदी खबर :-हिन्दू मान्यताओं में पूर्णिमा को बेहद अहम माना जाता है। खासकर शरद पूर्णिमा को। अश्विन मास में आने वाली इस पूर्णिमा को लेकर मान्यता यही है कि चांद अपनी 16 कलाओं को पूरा करता है और इसी दिन चांद से अमृत की वर्षा होती है।

जिस तरह प्राचीन मान्यताओं में कहते हैं कि आज के दिन आसमान से अमृत बरसता है उसी तरह साइंस भी इस बात को मानता है कि आज ही के दिन आसमान से कुछ ऐसे रासायनिक तत्व गिरते हैं वो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। आप भी जानिए कैसे चांद की रोशनी में रखा खीर बन जाता है अमृत।

जानिए वैज्ञानिक कारण

जानकरों और वैज्ञानिक के मुताबिक दूध में लैक्टिक एसिड और अमृत जैसे तत्व होते हैं। यही तत्व जब चांद की रोशनी पाकर रिएक्शन करते हैं। यह तत्व सबसे ज्यादा चांद की किरणों को अवशोषित करता है। सिर्फ यही नहीं चावल में जो स्टार्च होते हैं वह इस प्रक्रिया को आसान बना देते हैं। जिससे जो तत्व तैयार होता है वो हमारे शरीर में कई तरह के रोगों को कम करता है। साथ ही हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद भी होता है। यही कारण रहा कि प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों ने इस दिन चांद की रोशनी में खीर रखकर खाने को कहा।

चांदी के बर्तन में खाएं खीर, फायदा होगा दुगाना

इस दिन चांद की रोशनी में चांदी के बर्तन में खीर खाने से और भी फायदेमंद होता है। ऐसा माना जाता है कि चांदी में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है। यही कारण है कि चांदी के बर्तन में खीर रखने और उसी में खाने से खीर और भी अधिक फायदेमंद हो जाती है। मान्यता है कि चांदी के पात्र में खीर खाने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।

ये हैं पौराणिक मान्यता

शरद पूर्णिमा की पौराणिक मान्यता भी काफी है। इस दिन लोग ना सिर्फ चांद की पूजा करते हैं बल्कि अपने इष्ट देव की पूजा भी करते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। साथ ही आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा को खासा महत्वपूर्ण माना जाता है।

Loving Newspoint? Download the app now