नई दिल्ली: अमेरिकी डॉलर को अभी तक अजेय समझा जाता था। पूरी दुनिया के बाजार हिल जाते थे, मुद्रा की कीमत ऊपर-नीचे हो जाती थी, लेकिन डॉलर अपनी जगह अडिग रहता था। दुनिया के कई देशों को सेंट्रल बैंकों में डॉलर जमा है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के शासन में डॉलर भी डगमगा गया है। क्या उसकी बादशाहत जाने वाली है? इन 5 कारणों से हिल रही है डॉलर की कुर्सी... भरोसा घटाट्रंप प्रशासन की टैरिफ और आर्थिक नीतियों के कारण विदेशी निवेशक अमेरिकी स्टॉक्स और बॉन्ड्स से दूरी बना रहे हैं। इससे डॉलर पर भरोसा घटा है, उसकी मांग कम हो रही है। विदेशी निवेशकअमेरिकी बाजार में विदेशी निवेशकों ने करीब 32 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया हुआ है। अब ये निवेशक दूसरे विकल्प भी देख रहे हैं। इस साल डॉलर की वैल्यू कई दूसरी मुद्रा की तुलना में 9% गिर गई है। दूसरों की मजबूतीसाल 2001 में दुनिया के कुल फॉरेन करंसी रिजर्व में डॉलर का हिस्सा 73% था, अब 58% है। स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और स्वीडन की करंसी की हिस्सेदारी बढ़ी है। केंद्रीय बैंकों ने पिछले तीन वर्षों में हर साल 1000 टन ज्यादा सोने की खरीदारी की है, जो पहले की तुलना में पॉइंट 140% ज्यादा है। निर्भरता नहींदुनिया डॉलर पर निर्भरता घटा रही । ट्रंप की जीत के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई थी। अमेरिका के बजट घाटे और बढ़ते कर्ज के कारण आने वाले वक्तमें वॉशिंगटन की आर्थिक समस्याएं और गंभीर हो सकती हैं। $ नहीं तो कौनचीन की अर्थव्यवस्था बड़ी है, पर उसकी मुद्रा युआन को डॉलर के मुकाबले तैयार होने में समय लगेगा। चीन की आर्थिक नीतियां कठोर है वहां की सरकार पर भी विदेशी निवेशक भरोसा नही कर पाते।
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