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गाजा पट्टी में युद्धविराम का रास्ता करीब करीब साफ, नेतन्याहू-ट्रंप की मुलाकात में हो सकता है ऐलान, इजरायल- हमास पलटेंगे तो नहीं?

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तेल अवीव: गाजा पट्टी में महीनों के जंग के बाद इजरायल और हमास आखिरकार युद्धविराम के लिए तैयार हो सकते हैं। इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बंधकों की रिहाई को लेकर प्रस्तावित डील पर सकारात्मक समझौता हो सकता है। शुक्रवार को हमास की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया दी गई थी, जिसके बाद युद्धविराम पर बातचीत के लिए इजरायली सरकार ने कतर में अपने प्रतिनिधिमंडल को भेजने की मंजूरी दे दी है। यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की वाशिंगटन यात्रा से ठीक पहले हुआ है, जहां वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। नेतन्याहू और ट्रंप की मुलाकात सोमवार को हो सकती है। ट्रंप ने शनिवार को बयान दिया था कि "हमास की प्रतिक्रिया अच्छी रही है"। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि "डील अगले हफ्ते हो सकती है।" हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि "हालात हर दिन बदलते हैं, इसलिए सतर्क रहना होगा।" यह बयान बताता है कि अमेरिका इस डील को लेकर बेहद गंभीर है और ट्रंप की रणनीति इस मुद्दे को अपने विदेश नीति के एजेंडे का अहम हिस्सा बनाने की है।



हालांकि युद्धविराम समझौते की राह में कई पेच अब भी कायम हैं। हमास ने अपने जवाब में कई शर्तें जोड़ दी हैं। हमास समर्थक एक गुट के मुताबिक, समूह चाहता है कि अमेरिका-आधारित गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF) की गाजा में गतिविधियां पूरी तरह रोकी जाएं। इसके अलावा 60 दिन की युद्धविराम अवधि के बाद भी सैन्य कार्रवाई ना दोहराए जाने की गारंटी दी जाए, चरणबद्ध तरीके से इजराइली सेना की वापसी हो और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों, जैसे मिस्र, कतर और अमेरिका इस पूरे समझौते की निगरानी करे।



क्या हमास और इजरायल के बीच वाकई होगा युद्धविराम?

गाजा महीनों की लड़ाई के बाद तबाह हो चुका है। हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घायल हैं। सैकड़ों बच्चे मारे जा चुके हैं और लाखों घर खत्म हो चुके हैं। फिर भी हमास और इजरायल अपनी अपनी शर्तें थोप रहे हैं। जबकि सबसे बड़ी शर्त तो सिर्फ एक होनी चाहिए, वो है युद्धविराम। हमास के एक गुट का कहना है कि कई मामलों पर समझौता होना अभी भी बाकी है। लेकिन हमास की GHF को गाजा से बाहर करने की शर्त को ना तो अमेरिका मानेगा और ना ही इजरायल स्वीकार करेगा। शनिवार को एक इजरायली अधिकारी ने साफ शब्दों में कहा है कि 'ये नहीं हो सकता।' इजरायली अधिकारी ने कहा कि "GHF की मौजूदगी ही एक बड़ी वजह थी कि हमास डील के लिए तैयार हुआ। अब वही उसे हटाना चाहता है, लेकिन यह स्वीकार्य नहीं है।" इस बीच, GHF के दो अमेरिकी कर्मचारियों पर हमले की घटना ने और तनाव पैदा कर दिया है। दक्षिणी खान यूनिस में उन पर ईरानी-निर्मित ग्रेनेड से हमला हुआ, जिसमें दोनों घायल हो गये थे।



इजरायल और हमास के बीच एक और बड़ा विवाद संभावित सीमा रेखाओं और सुरक्षा बफर जोन बनाने को लेकर है। इजरायली नेतृत्व चाहता है कि गाजा की पूरी सीमा पर 1,250 मीटर का बफर जोन बनाया जाए और दक्षिणी मोर्चे पर 'मोराग कॉरिडोर' तक सेना की मौजूदगी बनी रहे। इस योजना के तहत फिलिस्तीनी आबादी को इस लाइन के दक्षिण में ट्रांसफर कर एक इजरायली-नियंत्रित क्षेत्र में रखा जाएगा। इसके लिए नेतन्याहू ने आईडीएफ चीफ ऑफ स्टाफ को एक विस्तृत योजना तैयार करने का निर्देश दे दिया है। लेकिन हमास इजरायल के इस प्रस्ताव को 'बेइज्जती' मानता है। हमास मानता है कि अगर बफर जोन कायम रहता है और GHF की गतिविधियां चलती रहती हैं, तो यह उसके आत्मसम्मान और क्षेत्रीय नियंत्रण की सीधी अनदेखी होगी।



बंद दरवाजों के पीछे डिनर मीटिंग?

इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू रविवार को शाम 4 बजे वाशिंगटन के लिए रवाना होंगे। अनुमान के मुताबिक, यह मीटिंग प्रेस को सार्वजनिक बयान देने के साथ ओवल ऑफिस में आधिकारिक बैठक के बजाय एक निजी डिनर का रूप ले सकती है। ट्रंप ने शनिवार को कहा कि यह "अच्छा है कि हमास ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।" लेकिन अभी तक ये साफ नहीं है कि ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी या नहीं। माना जा रहा है कि अब्राहम समझौते को लेकर भी ट्रंप और नेतन्याहू में बातचीत संभव है, जिसके तहत इजरायल और सऊदी अरब के बीच रिश्ते सामान्य करने के लिए अमेरिका मध्यस्थता कर रहा है।



डील को लेकर नेतन्याहू की कैबिनेट में भी गहमागहमी है और युद्धविराम का विरोध नेतन्याहू की कैबिनेट में ही हो रहा है। दक्षिणपंथी पार्टियां, ओत्ज़मा येहुदीत और रिलिजियस ज़ायनिस्ट पार्टी इस डील का विरोध कर रही हैं। वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच और नेशनल सिक्योरिटी मंत्री इतामार बेन-गवीर का कहना है कि इस डील से हमास को फिर से ताकत मिलेगी और युद्ध के असली मकसद 'हमास का पूरी तरह खात्मा' से समझौता होगा। बेन-गवीर ने साफ कहा, "इस डील से सिर्फ हमास को नई जान मिलेगी, यह सरेंडर जैसा है। हम इसका समर्थन नहीं करेंगे।" इसके बावजूद लिकुड पार्टी के सभी मंत्री डील के पक्ष में बताए जा रहे हैं, जिससे नेतन्याहू को कैबिनेट और संसद दोनों में जरूरी बहुमत मिलने की पूरी उम्मीद है।



प्रस्तावित डील के मुताबिक हमास की कैद में मौजूद सभी जीवित बंधकों और मृतकों की रिहाई चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। शुरुआत 60 दिन के युद्धविराम के पहले दिन 8 जीवित बंधकों की रिहाई से होगी। 50वें दिन 2 और बंधक छोड़े जाएंगे। वहीं, मृत बंधकों के अवशेष तीन चरणों में लौटाए जाएंगे। अगर 60 दिन में अंतिम समझौता नहीं होता, तो अमेरिका यह गारंटी दे सकता है कि जब तक गंभीर बातचीत जारी रहेगी, तब तक लड़ाई दोबारा शुरू नहीं होगी। इस डील के जरिए ट्रंप एक साथ कई लक्ष्यों को साधना चाहते हैं, जिनमें मिडल ईस्ट में स्थिरता, अब्राहम समझौते का विस्तार और सऊदी अरब के साथ सामान्यीकरण की दिशा में एक निर्णायक कदम। नेतन्याहू के लिए यह न सिर्फ बंधकों की वापसी का मौका है, बल्कि अपनी घरेलू राजनीतिक स्थिति मजबूत करने का भी एक बड़ा मौका है।

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