नई दिल्ली: समुद्र भारत की अर्थव्यवस्था की नई पहचान बन गया है। भारत का लगभग 95% व्यापार (सामानों के वजन के हिसाब से) और करीब 70% व्यापार (पैसों के हिसाब से) समुद्र के रास्ते होता है। यह दिखाता है कि समुद्री क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था और दुनिया में उसकी पहचान के लिए कितना जरूरी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, समुद्री क्षेत्र भारत के वैश्विक व्यापार और विकास की कहानी का आधार है। एएनआई के मुताबिक कच्चे तेल और कोयले से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और खेती के सामान तक, भारत का ज्यादातर आयात और निर्यात उसके बंदरगाहों से होकर गुजरता है।
इस महत्वपूर्ण व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए भारत ने मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (MIV 2030) लागू किया है। यह एक बड़ी योजना है जिसमें 150 से ज्यादा पहलें शामिल हैं और इसमें करीब 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है। जहाज बनाने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के पैकेज से मदद मिल रही है। इस योजना का मकसद बंदरगाहों को आधुनिक बनाना, जहाजों की क्षमता बढ़ाना और अंदरूनी जलमार्गों (नदियों और नहरों) को बढ़ावा देना है। वित्त वर्ष 2024-25 में बड़े बंदरगाहों ने करीब 855 मिलियन टन माल संभाला, जो पिछले साल के 819 मिलियन टन से एक अच्छी बढ़ोतरी है।
10 सालों में बदली तस्वीर
शिपिंग सेक्टर में भी विस्तारशिपिंग सेक्टर में भी विस्तार हुआ है। भारत के झंडे वाले जहाजों की संख्या 1,205 से बढ़कर 1,549 हो गई है। साथ ही उनका कुल वजन (ग्रॉस टनेज) 10 मिलियन टन से बढ़कर 13.52 मिलियन टन हो गया है। कोस्टल शिपिंग भी लगभग दोगुनी होकर 165 मिलियन टन तक पहुंच गई है। भारत के जहाजों पर काम करने वाले नाविकों की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा होकर तीन लाख से ऊपर हो गई है। अब वे दुनिया के कुल नाविकों का 12% हिस्सा हैं।
जलमार्गों की संख्या में इजाफाअंदरूनी जलमार्गों से माल ढोना (इनलैंड वॉटर ट्रांसपोर्ट) एक महत्वपूर्ण विकास क्षेत्र के रूप में उभरा है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने साल 2025 में 146 मिलियन टन माल ढोया, जो साल 2014 की तुलना में 700% से भी ज्यादा की छलांग है। चालू जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 29 हो गई है। पश्चिम बंगाल में हल्दिया सुविधा सहित नए टर्मिनल और मल्टीमॉडल हब, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत लॉजिस्टिक्स को बेहतर बना रहे हैं।
इस महत्वपूर्ण व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए भारत ने मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 (MIV 2030) लागू किया है। यह एक बड़ी योजना है जिसमें 150 से ज्यादा पहलें शामिल हैं और इसमें करीब 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है। जहाज बनाने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के पैकेज से मदद मिल रही है। इस योजना का मकसद बंदरगाहों को आधुनिक बनाना, जहाजों की क्षमता बढ़ाना और अंदरूनी जलमार्गों (नदियों और नहरों) को बढ़ावा देना है। वित्त वर्ष 2024-25 में बड़े बंदरगाहों ने करीब 855 मिलियन टन माल संभाला, जो पिछले साल के 819 मिलियन टन से एक अच्छी बढ़ोतरी है।
10 सालों में बदली तस्वीर
- पिछले दस सालों में भारत की बंदरगाहों की क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है। यह 1,400 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष से बढ़कर 2,762 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष हो गई है।
- वहीं संभाले गए माल की मात्रा 972 मिलियन टन से बढ़कर 1,594 मिलियन टन हो गई है।
- जहाजों के संचालन में भी काफी सुधार हुआ है। जहाजों के आने-जाने का औसत समय 93 घंटे से घटकर 48 घंटे हो गया है।
- इस क्षेत्र का सालाना शुद्ध मुनाफा 1,026 करोड़ रुपये से बढ़कर 9,352 करोड़ रुपये हो गया है।
- संचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेशियो) 73% से सुधरकर 43% हो गया है।
शिपिंग सेक्टर में भी विस्तारशिपिंग सेक्टर में भी विस्तार हुआ है। भारत के झंडे वाले जहाजों की संख्या 1,205 से बढ़कर 1,549 हो गई है। साथ ही उनका कुल वजन (ग्रॉस टनेज) 10 मिलियन टन से बढ़कर 13.52 मिलियन टन हो गया है। कोस्टल शिपिंग भी लगभग दोगुनी होकर 165 मिलियन टन तक पहुंच गई है। भारत के जहाजों पर काम करने वाले नाविकों की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा होकर तीन लाख से ऊपर हो गई है। अब वे दुनिया के कुल नाविकों का 12% हिस्सा हैं।
जलमार्गों की संख्या में इजाफाअंदरूनी जलमार्गों से माल ढोना (इनलैंड वॉटर ट्रांसपोर्ट) एक महत्वपूर्ण विकास क्षेत्र के रूप में उभरा है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने साल 2025 में 146 मिलियन टन माल ढोया, जो साल 2014 की तुलना में 700% से भी ज्यादा की छलांग है। चालू जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 29 हो गई है। पश्चिम बंगाल में हल्दिया सुविधा सहित नए टर्मिनल और मल्टीमॉडल हब, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत लॉजिस्टिक्स को बेहतर बना रहे हैं।
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