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दलाई लामा और तिब्बत का मसला द्विपक्षीय संबंधों में अड़चन.... जयशंकर की चीन यात्रा से पहले ड्रैगन ने दिखाए तीखे तेवर

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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन यात्रा से पहले चीन अपने तीखे तेवर दिखा रहा है। जयशंकर 2020 में LAC पर हुई हिंसक झड़पों के बाद पहली बार चीन जा रहे हैं। उनकी इस यात्रा से पहले चीन ने कहा है कि तिब्बत से जुड़े मुद्दे, खासकर दलाई लामा के उत्तराधिकारी के पुनर्जन्म वाला मामला भारत और चीन के संबंधों में कांटे की तरह हैं। चीन का मानना है कि ये मुद्दे भारत के लिए बोझ बन गए हैं। जयशंकर इस सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। LAC पर सैन्य तनाव के कारण दोनों देशों के रिश्ते पिछले 6 दशकों में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गए थे। दोनों देश अब रिश्तों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में दोनों देशों ने LAC पर तनाव कम करने पर सहमति जताई थी।



दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन से पहले कहा था कि उनके द्वारा स्थापित ट्रस्ट ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता दे सकता है। इस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। बीजिंग ने कहा कि अगले दलाई लामा को चीनी सरकार की ओर से अनुमोदित किया जाना चाहिए। बता दें कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने दलाई लामा के जन्मदिन समारोह में भाग लिया था।



दलाई लामा 1959 में चीनी सैन्य कार्रवाई के बाद तिब्बत से भागकर भारत में शरण लिए हुए हैं। दलाई लामा की हालिया टिप्पणियों पर चीन की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद, विदेश मंत्रालय ने 4 जुलाई को कहा कि सरकार आस्था और धर्म से जुड़ी मान्यताओं और प्रथाओं के मामलों पर कोई राय नहीं रखती है और न ही कुछ बोलती है।



जयशंकर 14 और 15 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। इस दौरान वे अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मिलेंगे। दोनों विदेश मंत्रियों से उम्मीद है कि वे द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने और भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत को आगे बढ़ाएंगे।



क्या दोनों देश रिश्तों को सुधारने में कामयाब हो पाएंगे?भारत और चीन के बीच रिश्ते बहुत जटिल हैं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद है, व्यापारिक मुद्दे हैं और तिब्बत का मुद्दा भी है। इन सभी मुद्दों को हल करना आसान नहीं है। लेकिन दोनों देशों को मिलकर काम करना होगा ताकि रिश्ते सुधर सकें। यह देखना होगा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन यात्रा से क्या नतीजा निकलता है। क्या दोनों देश रिश्तों को सुधारने में कामयाब हो पाएंगे? यह एक बड़ा सवाल है।
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