परेशान महिला पीडियाट्रिशियन डॉक्टर माधवी भारद्धाज के पास पहुंची। यहां, महिला की इस समस्या पर डॉक्टर ने कुछ ऐसा कहा, जो हर पेरेंट्स के लिए बेहद मददगार हो सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर डॉक्टर ने क्या सलाह दी।
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14 महीने का हो गया, लेकिन अभी तक नहीं चलता है
इंस्टाग्राम पर जारी एक वीडियो में डॉक्टर माधवी भारद्धाज कहती हैं कि हाल ही में एक मां क्लिनिक आई थीं। उनकी शिकायत थी कि उनका बच्चा 14 महीने का हो गया है और अभी तक नहीं चल पा रहा है। मां ने बताया कि लोग उनसे कह रहे थे, ‘बच्चे को वॉकर दे दो, देखो तुमको वॉकर में डाला था तो देखो तुम 9 से 10 महीने में चलने लगी थी।’
पेरेंट्स रखें धैर्य

पीडियाट्रिशियन बताती हैं कि इस तरह की समस्या पर सबसे पहले मैं सभी माता-पिता से यही कहना चाहती हूं कि धैर्य रखें। फिर इस बात को समझें कि बच्चे को फर्स्ट बर्थडे तक फर्नीचर पकड़कर क्रूजिंग यानी खड़ा होना आना चाहिए। इसका मतलब यह है कि बच्चे में यह इच्छा होनी चाहिए कि वह फर्नीचर पकड़कर खड़ा हो सके।
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18 महीने में बिना सपोर्ट के चलना चाहिए बच्चा

डॉक्टर आगे बताती हैं कि 15 महीने तक बच्चे को एक ऊंगली पकड़कर थोड़े सपोर्ट के साथ चलना सिखाना चाहिए। वहीं, 18 महीने के भीतर बच्चा बिना किसी सपोर्ट के खुद चलने लगता है। अब वॉकर में डालने पर, अगर कोई बच्चों जल्दी चल रहा था, तो वो उसका पोटेंशियल था।
तभी तो बच्चा चलना सीखेगा
डॉक्टर माधवी कहती हैं कि बच्चा तभी चलना सीखेगा, जब वह अपने पैरों पर खुद वजन डालेगा। इस प्रोसेस में वह बैलेंसिंग सीखता है और धीरे-धीरे एक-एक करके कदम बढ़ाता है। वहीं, वॉकर में रहने वाले बच्चे तो ‘टो-वॉकींग’ करने लगते हैं और बाद में फिजियोथैरेपी करवा-करवा कर इसे ठीक करना पड़ता है। इसलिए वॉकर का यूज करने की कोई जरूरत नहीं है।
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वॉकर में बिठाने की नहीं है जरूरत

एक्सपर्ट कहती हैं कि वॉकर में डालने से बच्चा चलना देर से सीखता है, क्योंकि वॉकर उसके चारों तरफ होता है। ऐसे में बच्चा अपनी ऊपर की बॉडी से जोर लगाकर इधर-उधर घूमता रहता है, लेकिन अपने पैरों पर सही तरीके से वजन डालना नहीं सीख पाता।
बच्चे को हर वक्त न पहनाए जूते-चप्पल

एक्सपर्ट कहती हैं कि बच्चे को सारे वक्त चप्पल, जूते या मोजे पहनाकर रखते हैं, तो ऐसा बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे बच्चे का ग्रिप ठीक से विकसित नहीं होता। असल में तो उसे दो साल तक चप्पल-जूता चाहिए ही नहीं। बच्चे जितना अधिक अलग-अलग सतहों के संपर्क में आते हैं, उतना ही उनका ग्रिप, बैलेंस और कॉर्डिनेशन बेहतर होता है। इसके साथ ही उनका सेंसेरी डेवलपमेंट भी मजबूत होता है।
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बच्चे के गिरने पर न करें पेनिक
चाइल्ड स्पेशलिस्ट अंत में कहती हैं कि बच्चे के गिरने पर घबराएं नहीं। बैठने, चलने और खड़े होने के दौरान थोड़ी बहुत चोटें लगना सामान्य है। इसलिए इन परेशान न हों और धैर्य से काम लें।
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डिस्केलमर: इस लेख में दी गई सूचना पूरी तरह इंस्टाग्राम रील पर आधारित है। एनबीटी इसकी सत्यता और सटीकता की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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