इंसुलिन एक हार्मोन होता है और शरीर में ब्लड शुगर के लेवल को मैनेज करने का काम करता है, लेकिन अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति बन जाए तो फिर शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है, जिससे डायबिटीज, मोटापा, समेत कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
आज के इस आर्टिकल में हम डिटेल में जानेंगे कि आखिर इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या होता है और इस वजह से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही ये भी जानेंगे कि इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है या नहीं।
क्या होता है इंसुलिन रेजिस्टेंस?
Cleveland clinic के मुताबिक (ref), इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) एक जटिल स्थिति है, जो तब होता है जब आपकी मसल्स, फैट और लिवर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति उस तरह प्रतिक्रिया नहीं करती हैं जैसी उन्हें करनी चाहिए। इसे बिगड़ा हुआ इंसुलिन संवेदनशीलता (Impaired Insulin Sensitivity) भी कहा जाता है। इससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
इंसुलिन क्या होता है?
इंसुलिन एक हार्मोन है जो आपका पैनक्रियाज बनाता है, जो जीवन और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है। यह हार्मोन ब्लड से ग्लूकोज को आपके सेल्स में ले जाने में मदद करता है ताकि आपका शरीर एनर्जी के लिए इसका उपयोग कर सके।
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सेल्स इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी क्यों हो जाते हैं?

जैसा कि आपने पढ़ा इंसुलिन आपके ब्लड से शुगर को सेल्स में ले जाता है, जिसे शरीर ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करता है। लेकिन अगर शुगर एक्सेस है तो यह थोड़ी-थोड़ी मसल और लिवर में स्टोर हो जाएगी। शुगर के और भी ज्यादा होने पर यह बॉडी में फैट के रूप में जमा हो जाएगी और वेट गेन होना शुरू हो जाता है।
क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर शिखा सिंह के मुताबिक, अगर आप इसके बाद भी कार्ब्स का सेवन जारी रखते हैं तो इससे बॉडी में और ज्यादा शुगर बढ़ जाएगी। ऐसे में इसे मैनेज करने के लिए पैनक्रियाज अधिक इंसुलिन बनाने लगता है। एक बार फिर से इंसुलिन ब्लड से शुगर को सेल्स में लेकर जाएगा, लेकिन अब क्योंकि सेल्स को और अधिक शुगर नहीं चाहिए, ऐसे में वो अपने दरवाजे बंद कर लेते हैं और इंसुलिन को इग्नोर कर देते हैं। इसी प्रोसेस को इंसुलिन रेजिस्टेंस के नाम से जानते हैं।
इंसुलिन रेजिस्टेंस से होने वाली बीमारियां
अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस हो जाए तो इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और इससे आपमें प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके अलावा निम्नलिखित समस्याओं में भी इंसुलिन रेजिस्टेंस योगदान देता है--मोटापा-हार्ट संबंधी रोग-फैटी लिवर-मेटाबॉलिक सिंड्रोम-पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)-थायरॉइड
इंसुलिन रेजिस्टेंस किसे प्रभावित करता है?
इंसुलिन प्रतिरोध किसी को भी प्रभावित कर सकता है। यह टेम्परेरी या क्रोनिक हो सकता है। इसके दो मुख्य कारक शरीर में अतिरिक्त फैट और शारीरिक गतिविधि की कमी हैं। इसके अलावा गलत खानपान, कुछ तरह की दवाएं और इंसुलिन रेजिस्टेंस की फैमिली हिस्ट्री होना भी इस स्थिति में योगदान कर सकते हैं।
क्या इंसुलिन रेजिस्टेंस को ठीक किया जा सकता है?
इंसुलिन प्रतिरोध को रिवर्स या मैनेज किया जा सकता है, लेकिन इसे हमेशा पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे डाइट, एक्सरसाइज और वेट लॉस करना इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार और स्थिति को मैनेज करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने में मदद के लिए दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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